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हरिद्वार में त्रिवेंद्र सिंह रावत के खिलाफ बढ़ता गुस्सा और विरोध प्रदर्शन, जमकर हुई त्रिवेंद्र के खिलाफ नारेबाजी, लापता सांसद को ढुंढ दिया तो 20,000 का रख दिया ईनाम

इन्तजार रजा हरिद्वार-हरिद्वार में त्रिवेंद्र सिंह रावत के खिलाफ बढ़ता गुस्सा और विरोध प्रदर्शन, जमकर हुई त्रिवेंद्र के खिलाफ नारेबाजी, लापता सांसद को ढुंढ दिया तो 20,000 का रख दिया ईनाम

हरिद्वार, उत्तराखंड में इस समय राजनीतिक उथल-पुथल का माहौल है, जिसमें पूर्व मुख्यमंत्री और वर्तमान सांसद त्रिवेंद्र सिंह रावत के खिलाफ स्थानीय युवाओं और ग्रामीणों का गुस्सा खुलकर सामने आया है। हाल ही में सिंहद्वार क्षेत्र में प्रदर्शन कर रहे स्थानीय निवासियों ने त्रिवेंद्र सिंह रावत के खिलाफ नारेबाजी की और उन्हें तत्काल इस्तीफा देने की मांग की। यह विरोध प्रदर्शन सांसद के कार्यकाल के दौरान उनकी नीतियों और कथित तौर पर उनके द्वारा किए गए फैसलों के विरोध में था, जिनसे स्थानीय लोगों को आर्थिक और सामाजिक नुकसान हुआ है।

प्रदर्शन का कारण:——प्रदर्शनकारियों का कहना था कि त्रिवेंद्र सिंह रावत ने अपने चार साल के कार्यकाल में क्षेत्रीय विकास को लेकर कोई महत्वपूर्ण कदम नहीं उठाए। उनका आरोप था कि रावत ने अवैध खनन को बढ़ावा दिया और स्थानीय ग्रामीणों का रोजगार छीनने का प्रयास किया। इसके अलावा, प्रदर्शनकारियों का मानना था कि सांसद केवल अपनी राजनीति चमकाने के लिए काम कर रहे हैं और उन्होंने गरीबों, दलितों और समाज के कमजोर वर्गों के अधिकारों का उल्लंघन किया है।

स्थानीय युवाओं और ग्रामीणों का कहना था कि त्रिवेंद्र सिंह रावत ने क्षेत्रीय समस्याओं को नजरअंदाज किया और उनका ध्यान केवल अपने व्यक्तिगत राजनीतिक लाभ पर केंद्रित था। उन्होंने आरोप लगाया कि रावत ने अपने कार्यकाल में जो भी कदम उठाए, वे सिर्फ और सिर्फ उनके व्यक्तिगत लाभ के लिए थे, जिससे आम जनता का कोई फायदा नहीं हुआ। यही कारण था कि गुस्साए प्रदर्शनकारियों ने रावत के खिलाफ नारेबाजी की और उनके इस्तीफे की मांग की।

अवैध खनन और रोजगार छीनने का आरोप:—-हरिद्वार क्षेत्र में अवैध खनन एक बड़ा मुद्दा रहा है, और त्रिवेंद्र सिंह रावत पर आरोप था कि उन्होंने इस अवैध खनन को बढ़ावा दिया। प्रदूषण, पर्यावरणीय नुकसान और स्थानीय ग्रामीणों की जीविका पर असर डालने वाली इस समस्या को हल करने के बजाय, रावत ने इसे नजरअंदाज किया, जिससे लोगों में नाराजगी बढ़ गई। स्थानीय लोगों का मानना था कि रावत ने केवल खनन माफिया के साथ मिलकर अपनी राजनीति को मजबूत किया, जिससे न केवल पर्यावरण को नुकसान हुआ, बल्कि स्थानीय लोगों का रोजगार भी प्रभावित हुआ।

प्रदर्शनकारियों ने यह भी कहा कि त्रिवेंद्र सिंह रावत के कार्यकाल में स्थानीय स्तर पर कोई बड़ा रोजगार सृजन नहीं हुआ। उनके हिसाब से, रावत ने अपने कार्यकाल में हरिद्वार क्षेत्र के लोगों को रोजगार देने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाया, बल्कि उनके फैसलों से लोगों के रोजगार छिनने की स्थिति उत्पन्न हुई। इससे साफ संकेत मिलता है कि सांसद का ध्यान केवल अपनी राजनीति और व्यक्तिगत लाभ पर था, जबकि उन्होंने जनता की वास्तविक समस्याओं को नजरअंदाज किया।

Trivendra Singh Rawat. सांसद की कार्यशैली पर सवाल:—–हरिद्वार क्षेत्र के लोग यह भी आरोप लगा रहे थे कि त्रिवेंद्र सिंह रावत ने अपने कार्यकाल में कभी भी अपने क्षेत्र का दौरा नहीं किया। सांसद के रूप में उनकी कार्यशैली पर सवाल उठते हुए प्रदर्शनकारियों ने कहा कि त्रिवेंद्र सिंह रावत केवल संसद में बयानबाजी करते रहे, लेकिन धरातल पर उन्होंने कोई ठोस काम नहीं किया। उनका कहना था कि अगर रावत को अपने क्षेत्र के लोगों की समस्याओं का समाधान करना था, तो उन्हें पहले खुद इन समस्याओं को समझने के लिए स्थानीय स्तर पर काम करना चाहिए था।

प्रदर्शनकारियों ने यह भी बताया कि रावत ने केवल देवस्थानम बोर्ड जैसी संस्थाओं की स्थापना की और मंगालोर में स्लाटर हाउस खोलने की अनुमति दी, जो क्षेत्रीय विकास के लिए कोई सकारात्मक कदम नहीं था। इसके विपरीत, इन निर्णयों ने स्थानीय समुदायों में विरोध को जन्म दिया, खासकर धार्मिक और सामाजिक दृष्टि से संवेदनशील स्थानों पर ऐसी परियोजनाओं का शुरू होना।

रुड़की में ‘गुमनाम सांसद’ के बोर्ड पर इनाम की घोषणा:—–त्रिवेंद्र सिंह रावत के खिलाफ गुस्से का एक और उदाहरण तब सामने आया जब रुड़की क्षेत्र में ‘गुमनाम सांसद’ के बोर्ड लगाए गए थे। इन बोर्डों में लिखा था कि जो भी त्रिवेंद्र सिंह रावत को ढूंढेगा, उसे 10,000 रुपये का इनाम मिलेगा। यह कदम स्थानीय निवासियों के बीच बढ़ते गुस्से का संकेत था। रुड़की के लोगों ने यह बोर्ड लगाए थे, क्योंकि वे रावत के बारे में यह मानते थे कि वह अपने क्षेत्र में न तो आते हैं और न ही उनकी समस्याओं के बारे में कोई गंभीरता से सोचते हैं।

इस ‘गुमनाम सांसद’ के बोर्ड लगाने का कदम यह दिखाता है कि रावत के खिलाफ केवल सामान्य जनता ही नहीं, बल्कि उनके ही निर्वाचन क्षेत्र के लोग भी अपनी नाराजगी और असंतोष जाहिर कर रहे थे। यह उनके कार्यकाल के दौरान क्षेत्रीय विकास और लोगों के मुद्दों पर उनकी निष्क्रियता का स्पष्ट उदाहरण था।

दलितों और गरीबों के अपमान का आरोप:प्रदर्शनकारियों ने आरोप लगाया कि त्रिवेंद्र सिंह रावत ने अपने कार्यकाल में दलितों और गरीबों के हक का लगातार उल्लंघन किया। उनका कहना था कि रावत ने समाज के कमजोर वर्गों के लिए कोई कदम नहीं उठाया और उनकी समस्याओं को नजरअंदाज किया। इस प्रकार, यह प्रदर्शन न केवल स्थानीय विकास की मांग का था, बल्कि समाज के सामाजिक और आर्थिक न्याय के मुद्दे को भी उजागर कर रहा था।

हरिद्वार के इस विरोध प्रदर्शन में भाग ले रहे लोगों ने स्पष्ट रूप से त्रिवेंद्र सिंह रावत से इस्तीफा देने की मांग की। उनका कहना था कि यदि सांसद अपने कार्यकाल के दौरान क्षेत्रीय विकास को लेकर कोई ठोस कदम नहीं उठा सके, तो उन्हें अपने पद से इस्तीफा दे देना चाहिए। यदि रावत ने अपनी नीतियों और फैसलों को लेकर जनता से माफी नहीं मांगी और अपनी कार्यशैली में सुधार नहीं किया, तो यह विरोध और बढ़ सकता है।

इस प्रदर्शन से यह साफ है कि त्रिवेंद्र सिंह रावत के खिलाफ हरिद्वार में एक गहरा असंतोष व्याप्त है। स्थानीय लोग उनकी नीतियों और कार्यों से निराश हैं, और उनका मानना है कि सांसद को इस्तीफा दे देना चाहिए ताकि क्षेत्रीय समस्याओं का समाधान हो सके और लोगों को रोजगार मिले। यह राजनीतिक विरोध केवल एक व्यक्ति के खिलाफ नहीं, बल्कि एक बड़े सामाजिक और आर्थिक मुद्दे की ओर इशारा करता है।

 

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