सोशल मीडिया पर फर्जी वीडियो का जाल,, लाइक्स और व्यूज की भूख में सच्चाई से हो रहा है खिलवाड़,, साइबर सेल ने लिया एक्शन मोड, भ्रामक कंटेंट फैलाने वालों पर कसेगा शिकंजा

इन्तजार रजा हरिद्वार- सोशल मीडिया पर फर्जी वीडियो का जाल,,
लाइक्स और व्यूज की भूख में सच्चाई से हो रहा है खिलवाड़,,
साइबर सेल ने लिया एक्शन मोड, भ्रामक कंटेंट फैलाने वालों पर कसेगा शिकंजा
हरिद्वार, 01 जुलाई 2025 –
डिजिटल युग में जहां सोशल मीडिया ने सूचना प्रसार को सरल और तीव्र बनाया है, वहीं यह प्लेटफॉर्म अब फर्जी और भ्रामक वीडियो के ज़रिए अफवाहों का अड्डा बनता जा रहा है। पिछले कुछ समय में ऐसे कई वीडियो सामने आए हैं जिन्हें गलत संदर्भ में प्रसारित किया गया, जिससे समाज में भ्रम और असमंजस की स्थिति पैदा हुई।
भ्रामक वीडियो का खेल: पुरानी घटनाएं, नया तमाशा
वायरल हो रहे कुछ वीडियो न तो हालिया घटनाओं से संबंधित हैं और न ही उनके लोकेशन वास्तविक हैं। किसी अन्य राज्य की घटना को उत्तराखंड या हरिद्वार की बताकर वायरल किया जा रहा है। उदाहरण के तौर पर, एक वीडियो जिसमें मारपीट की घटना दिखाई गई थी, उसे हरिद्वार का बताकर सोशल मीडिया पर फैलाया गया, जबकि जांच में पता चला कि वह वीडियो दो साल पुराना और किसी अन्य राज्य का था।
इस तरह की हरकतें न सिर्फ अफवाह फैलाने का काम करती हैं, बल्कि सामाजिक सौहार्द को भी नुकसान पहुंचाती हैं। खासकर धार्मिक, जातीय या सांप्रदायिक संदर्भ में डाली गई झूठी क्लिप्स समाज में तनाव बढ़ाने का काम कर सकती हैं।
लाइक्स की लालसा में संवेदनशीलता की बलि
कुछ सोशल मीडिया यूज़र्स, खासतौर पर यूट्यूब और इंस्टाग्राम रील्स पर सक्रिय कंटेंट क्रिएटर्स, केवल लाइक्स, व्यूज़ और सब्सक्राइबर्स की संख्या बढ़ाने के चक्कर में ऐसी भ्रामक सामग्री फैलाने से भी नहीं हिचकते। कई बार वे वीडियो के कैप्शन और बैकग्राउंड म्यूजिक को भी इस तरह जोड़ते हैं कि वह वीडियो और भी नाटकीय और सनसनीखेज लगे।
यह सोशल मीडिया का ‘वायरल गेम’ आज एक सामाजिक खतरा बन गया है। सत्य के साथ छेड़छाड़ कर, यह केवल डिजिटल अपराध नहीं, बल्कि एक नैतिक पतन भी है।
साइबर टीम सतर्क, पहचान शुरू
हरिद्वार साइबर सेल और अन्य प्रवर्तन एजेंसियां अब ऐसे फर्जी कंटेंट को फैलाने वालों के खिलाफ सख्त कदम उठा रही हैं। सोशल मीडिया मॉनिटरिंग यूनिट लगातार ऐसे अकाउंट्स को ट्रैक कर रही है जो जानबूझकर समाज को गुमराह करने वाले वीडियो वायरल कर रहे हैं।
साइबर सेल के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया,
“हमने कुछ संदिग्ध अकाउंट्स को चिन्हित किया है। अगर कोई जानबूझकर भ्रामक वीडियो फैलाता है, तो उस पर IT एक्ट और अन्य संबंधित धाराओं के तहत मुकदमा दर्ज किया जाएगा।”
इसके तहत दोषियों को 3 से 7 साल तक की सज़ा और जुर्माना भी हो सकता है।
जनता से अपील: आंख मूंदकर न करें शेयर
समाज के हर नागरिक की जिम्मेदारी है कि वह सोशल मीडिया पर फैलाई जा रही किसी भी जानकारी या वीडियो को बिना सत्यापन के आगे न बढ़ाए। प्रशासन ने अपील की है कि कोई भी संदिग्ध या भ्रामक वीडियो मिलने पर तुरंत नजदीकी पुलिस थाने या साइबर हेल्पलाइन पर सूचना दें।
क्या करें और क्या न करें:
क्या करें | क्या न करें |
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संदिग्ध वीडियो को शेयर करने से पहले उसकी सत्यता जांचें | किसी वीडियो को बिना जांचे फॉरवर्ड न करें |
आधिकारिक सूत्रों (जैसे पुलिस, प्रशासन) से जानकारी पुष्टि करें | भावनात्मक कैप्शन देखकर प्रभावित न हों |
भ्रामक कंटेंट की सूचना साइबर सेल को देने में संकोच न करें | वायरल करने की दौड़ में कानूनी पचड़े में न फंसे |
सच की रक्षा करें, समाज को सुरक्षित रखें
सोशल मीडिया केवल मनोरंजन या व्यक्तिगत अभिव्यक्ति का मंच नहीं है, बल्कि यह एक जिम्मेदारी भी है। जब कोई व्यक्ति बिना सोचे-समझे किसी फेक कंटेंट को आगे बढ़ाता है, तो वह न सिर्फ खुद को मुश्किल में डालता है, बल्कि पूरे समाज को गलत दिशा में मोड़ सकता है।
हर शेयर आपकी ज़िम्मेदारी है। इसलिए दो बार सोचें, जांचें और फिर ही कोई जानकारी आगे भेजें।
संवाददाता: डेली लाइव उत्तराखंड
संपर्क: contact@dailyliveuttarakhand.com