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वंदना कटारिया स्पोर्ट्स स्टेडियम बनाम ‘योगस्थली’: खेल परिसर; क्या नाम बदलना सम्मान है या अपमान? हरिद्वार में गरमाया विवाद, कांग्रेस ने बताया महिला खिलाड़ियों का अपमान, सरकार ने दी सफाई—’यह सांस्कृतिक पहचान का विस्तार, किसी का अपमान नहीं’ हरिद्वार में वंदना कटारिया स्पोर्ट्स स्टेडियम का नाम बदले जाने पर बवाल सरकार ने वंदना कटारिया स्पोर्ट्स स्टेडियम रोशनाबाद हरिद्वार का नाम बदलकर किया ‘योगस्थली खेल परिसर’ नामकरण, हरिद्वार में शुरू हुआ कांग्रेस का विरोध प्रदर्शन, खिलाड़ी का अपमान बताकर सरकार पर कांग्रेसी कार्यकर्ताओं ने साधा निशाना 

वंदना कटारिया स्पोर्ट्स स्टेडियम बनाम ‘योगस्थली’: खेल परिसर; क्या नाम बदलना सम्मान है या अपमान?
हरिद्वार में गरमाया विवाद, कांग्रेस ने बताया महिला खिलाड़ियों का अपमान,
सरकार ने दी सफाई—’यह सांस्कृतिक पहचान का विस्तार, किसी का अपमान नहीं’

हरिद्वार में वंदना कटारिया स्पोर्ट्स स्टेडियम का नाम बदले जाने पर बवाल
सरकार ने वंदना कटारिया स्पोर्ट्स स्टेडियम रोशनाबाद हरिद्वार का नाम बदलकर किया ‘योगस्थली खेल परिसर’
नामकरण, हरिद्वार में शुरू हुआ कांग्रेस का विरोध प्रदर्शन, खिलाड़ी का अपमान बताकर सरकार पर कांग्रेसी कार्यकर्ताओं ने साधा निशाना 

हरिद्वार, 22 मई:
उत्तराखंड के रोशनाबाद स्थित वंदना कटारिया स्पोर्ट्स स्टेडियम का नाम बदलकर ‘योगस्थली खेल परिसर’ किए जाने के सरकार के फैसले ने राज्य की राजनीति में भूचाल ला दिया है। कांग्रेस पार्टी ने इस फैसले को महिला खिलाड़ियों के अपमान की संज्ञा देते हुए हरिद्वार में जबरदस्त विरोध प्रदर्शन किया। पार्टी कार्यकर्ताओं का कहना है कि यह कदम सरकार की महिला विरोधी सोच को उजागर करता है और राज्य की शान वंदना कटारिया के सम्मान को ठेस पहुंचाने वाला है।

प्रदर्शन की आग में झुलसी राजनीति

हरिद्वार में कांग्रेस के बैनर तले सैकड़ों कार्यकर्ताओं ने सरकार के इस फैसले के खिलाफ सड़कों पर उतरकर प्रदर्शन किया। हाथों में ओलंपियन वंदना कटारिया की तस्वीरें लिए कार्यकर्ताओं ने “खिलाड़ी का सम्मान करो, नाम परिवर्तन बंद करो!” जैसे नारे लगाए।

अमन गर्ग, महानगर कांग्रेस अध्यक्ष, ने तीखे शब्दों में सरकार पर निशाना साधा:

“यह फैसला न केवल एक खिलाड़ी का अपमान है, बल्कि लाखों बेटियों की उम्मीदों पर पानी फेरने जैसा है। क्या वंदना कटारिया का योगदान इतना छोटा था कि सरकार ने एक झटके में उनके नाम को मिटा दिया?”

 

महेश प्रताप राणा, कांग्रेस नेता और नगरपालिका शिवालिक नगर के पूर्व प्रत्याशी, ने कहा:

“यह सरकार महिला सशक्तिकरण की बात करती है, लेकिन जब एक महिला खिलाड़ी को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सम्मान दिलाने का मौका मिलता है, तो उसका नाम तक स्टेडियम से हटा दिया जाता है। यह शर्मनाक है।”

 

राजवीर सिंह चौहान, पूर्व विधानसभा प्रत्याशी, ने बयान दिया:

“सरकार की प्राथमिकताएं साफ हैं—उन्हें अपने प्रचार और धार्मिक एजेंडे की चिंता है, न कि उन खिलाड़ियों की जिन्होंने देश का नाम रोशन किया। यह फैसला तुरंत वापस लिया जाना चाहिए।”

 

राव आफाक अली, पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष हरिद्वार, ने भी तीव्र असंतोष जताया:

“यह केवल नाम परिवर्तन नहीं है, यह एक महिला की उपलब्धियों को मिटाने की कोशिश है। हम इसे बर्दाश्त नहीं करेंगे। सरकार को बताना होगा कि योगस्थली का नाम रखने के पीछे असली मंशा क्या है।”

सरकार का पक्ष: ‘सम्मान बना रहेगा, पहचान और मजबूत होगी’

राज्य सरकार ने इस विवाद पर सफाई देते हुए कहा है कि यह नाम परिवर्तन किसी व्यक्ति विशेष के अपमान की मंशा से नहीं किया गया, बल्कि यह कदम हरिद्वार की सांस्कृतिक पहचान को सुदृढ़ करने के उद्देश्य से लिया गया है।

खेल मंत्री ने अपने बयान में कहा:

“हरिद्वार योग और आध्यात्म की अंतरराष्ट्रीय पहचान रखता है। ‘योगस्थली खेल परिसर’ नाम इसी पहचान को सशक्त बनाने की दिशा में एक कदम है। वंदना कटारिया हमारे लिए गौरव हैं, और भविष्य में उनके सम्मान के लिए अन्य योजनाएं प्रस्तावित हैं।”

हालांकि, यह सफाई कांग्रेस और कई स्थानीय लोगों को संतुष्ट नहीं कर सकी। सोशल मीडिया पर भी लोगों ने #RespectVandana जैसे हैशटैग चलाकर इस फैसले का विरोध किया।

जनता की राय: बंटी हुई प्रतिक्रिया

स्थानीय नागरिकों में भी इस फैसले को लेकर मिश्रित प्रतिक्रिया देखने को मिल रही है। कुछ लोगों का मानना है कि हरिद्वार की आध्यात्मिक पहचान को महत्व देना सही है, जबकि कुछ लोग इसे वंदना कटारिया के योगदान के साथ अन्याय मानते हैं।

एक स्थानीय महिला खिलाड़ी, ने कहा:

“हम सबके लिए वंदना दीदी प्रेरणा हैं। उनके नाम पर स्टेडियम होना हम लड़कियों के लिए गर्व की बात थी। अब उसका नाम हटाना हमें निराश करता है।”

, एक योग प्रशिक्षक, ने कहा:

“हरिद्वार योग की भूमि है। खेल परिसर का नाम योग से जोड़ना सही है, लेकिन यह भी संभव था कि वंदना कटारिया का नाम हटाए बिना भी ऐसा किया जाता।”

वंदना कटारिया की चुप्पी और समर्थकों की नाराजगी

अब तक इस मामले पर वंदना कटारिया की ओर से कोई औपचारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है, लेकिन उनके करीबियों और प्रशंसकों ने बदलाव पर नाराजगी जताई है। सोशल मीडिया और स्थानीय खेल संगठनों में इस फैसले के खिलाफ माहौल बनता जा रहा है।

उत्तराखंड राज्य महिला आयोग ने भी इस मामले में सरकार से स्पष्टीकरण मांगा है, जबकि कई खेल संगठनों ने राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर इस फैसले पर पुनर्विचार की मांग की है।

 सवाल बरकरार—सम्मान का रूपांतरण या राजनीतिक भूल?

यह विवाद एक बार फिर से देश में खिलाड़ियों को स्थायी पहचान और सम्मान देने की राजनीतिक इच्छाशक्ति पर सवाल खड़ा करता है। वंदना कटारिया जैसे खिलाड़ियों के नामों को हटाने से पहले क्या उनसे बातचीत की गई? क्या उनका योगदान कम पड़ गया? या फिर यह एक ऐसा निर्णय है जिसमें सम्मान की आड़ में राजनीतिक और धार्मिक एजेंडे को आगे बढ़ाया गया?

विरोध प्रदर्शन और जन प्रतिक्रिया को देखते हुए यह स्पष्ट है कि आने वाले दिनों में सरकार पर दबाव बढ़ेगा और वंदना कटारिया की प्रतिक्रिया इस विवाद को नई दिशा दे सकती है। अगर सरकार सच में खेल और खिलाड़ियों के लिए समर्पित है, तो उसे अपने फैसलों में खिलाड़ियों की भावना को भी शामिल करना होगा।

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