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हरिद्वार कलेक्ट्रेट विकास भवन के सामने शिक्षकों का धरना-प्रदर्शन, राज्याधीन सेवाओं में न्याय की दस्तक, एससी-एसटी शिक्षक संगठन की छह सूत्रीय मांगें सामने, सामाजिक प्रतिनिधित्व और शिक्षा सुधारों के लिए सरकार से संवाद की अपील,6 सुत्रीय मांगो को लेकर मुख्यमंत्री उत्तराखंड सरकार के नाम एसडीएम सदर हरिद्वार को सौंपा ज्ञापन 

इन्तजार रजा हरिद्वार- हरिद्वार कलेक्ट्रेट विकास भवन के सामने शिक्षकों का धरना-प्रदर्शन, राज्याधीन सेवाओं में न्याय की दस्तक,
एससी-एसटी शिक्षक संगठन की छह सूत्रीय मांगें सामने,
सामाजिक प्रतिनिधित्व और शिक्षा सुधारों के लिए सरकार से संवाद की अपील,6 सुत्रीय मांगो को लेकर मुख्यमंत्री उत्तराखंड सरकार के नाम एसडीएम सदर हरिद्वार को सौंपा ज्ञापन 

हरिद्वार/देहरादून।
उत्तराखंड में सामाजिक न्याय की मांग एक बार फिर ज़ोर पकड़ चुकी है। इस बार आवाज़ उठाई है राज्य के एससी-एसटी वर्ग के शिक्षक कर्मचारियों ने, जो “एससी-एसटी शिक्षक एसोसिएशन” के बैनर तले एकजुट होकर सरकार से अपने संवैधानिक अधिकारों की बहाली की माँग कर रहे हैं।शिक्षकों का कहना है कि शिक्षा विभाग में प्रतिनिधित्व, पदोन्नति, रोस्टर प्रणाली, संगठनात्मक मान्यता और सरकारी विद्यालयों की स्थिति से जुड़े मुद्दों पर लगातार अनदेखी हो रही है। इन छह सूत्रीय मांगों को लेकर एक ज्ञापन मुख्यमंत्री को भेजा गया है, जिसे जिलाधिकारी हरिद्वार के माध्यम से प्रेषित किया गया।

1. इरशाद हुसैन कमेटी की रिपोर्ट को सार्वजनिक किया जाए

एसोसिएशन की प्रमुख मांग 2012 में गठित इरशाद हुसैन समिति की रिपोर्ट को सार्वजनिक करना है। यह समिति राज्य में एससी-एसटी वर्गों के सरकारी सेवाओं में प्रतिनिधित्व की समीक्षा के लिए बनाई गई थी और 2016 में अपनी रिपोर्ट सौंप चुकी है।

वीपी सिंह, अध्यक्ष एसोसिएशन कहते हैं:
“यह रिपोर्ट दिखाएगी कि हमें कितना वंचित रखा गया है। इसे दबाकर सरकार सच्चाई छिपा रही है।”

2. 2019 के बाद लागू रोस्टर प्रणाली में सुधार की आवश्यकता

शिक्षकों का आरोप है कि 2019 में लागू नई रोस्टर प्रणाली ने आरक्षण की मूल भावना को नष्ट कर दिया है। आरक्षित पदों को या तो खाली रखा जा रहा है या सामान्य वर्ग से भर दिया गया है।

मांगेराम मोर्या, महामंत्री एसोसिएशन, कहते हैं:
“यदि आरक्षित वर्ग के पदों पर नियुक्ति नहीं होगी, तो यह संविधान का उल्लंघन है। सरकार को इस विसंगति पर गंभीरता से कदम उठाना होगा।”

3. विभागीय पदोन्नति में आरक्षित वर्ग की उपेक्षा

तीसरी मांग विभागीय पदोन्नति में एससी-एसटी कर्मचारियों को समुचित प्रतिनिधित्व देने की है। वर्षों से प्रमोशन रोस्टर का पालन नहीं हो रहा है जिससे सामाजिक न्याय की भावना को ठेस पहुँच रही है।

सत्यपाल सिंह, प्रधानाचार्य रुहालकी इंटर कॉलेज, कहते हैं:
“योग्यता और अनुभव के बावजूद सिर्फ जातिगत आधार पर उपेक्षा हो रही है, यह बेहद निराशाजनक है।”

4. एसोसिएशन को प्रतिनिधि संस्था के रूप में मान्यता मिले

एसोसिएशन की मांग है कि उन्हें सरकारी मान्यता दी जाए ताकि वे नीति-निर्माण में भाग ले सकें और अपनी बात शासन तक सीधे पहुँचा सकें।

संगठन का कहना है:
“अन्य संगठनों को प्रतिनिधित्व मिलता है, तो हमें क्यों नहीं? हमारी समस्याएं तब तक नहीं सुलझेंगी जब तक हमें निर्णय प्रक्रिया का हिस्सा नहीं बनाया जाएगा।”

5. सरकारी विद्यालयों को सशक्त किया जाए

शिक्षकों ने सरकारी स्कूलों की गिरती स्थिति पर चिंता जताई है। उनका कहना है कि बिना संसाधनों और शिक्षकों के गुणवत्तापूर्ण शिक्षा असंभव है।

मांगों में शामिल है:

  • सभी रिक्त पदों पर शीघ्र नियुक्तियाँ
  • मूलभूत सुविधाओं की उपलब्धता
  • स्थानांतरण नीति में पारदर्शिता

6. अनुसूचित जाति और जनजाति आयोग की निगरानी सुनिश्चित हो

छठी और अत्यंत महत्वपूर्ण मांग यह है कि राज्य के एससी/एसटी आयोग को सक्रिय बनाया जाए और उसे शिक्षा विभाग में हो रहे भेदभाव और रोस्टर उल्लंघन की जांच का अधिकार दिया जाए।

शिक्षकों का कहना है कि यदि आयोग को इस दिशा में जिम्मेदारी दी जाती है, तो जातीय भेदभाव की घटनाओं पर लगाम लगेगी और सामाजिक न्याय को ठोस आधार मिलेगा।

अब सरकार की बारी: संवाद ही समाधान है

इन छह मांगों में प्रत्येक मांग संविधान, सामाजिक समरसता और शिक्षा व्यवस्था की रीढ़ से जुड़ी हुई है। यदि इन पर ध्यान नहीं दिया गया, तो शिक्षक समुदाय में गहरी नाराजगी और आंदोलन की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता।

जितेन्द्र कुमार, एसडीएम सदर हरिद्वार, ने कहा: मुख्यमंत्री उत्तराखंड सरकार के नाम ज्ञापन दिया गया है
“मैं शिक्षकों की भावनाओं और ज्ञापन को गंभीरता से शासन तक पहुँचाऊँगा।

अब मुख्यमंत्री और शासन प्रशासन से अपेक्षा की जा रही है कि वे वार्ता का आयोजन कर, सामाजिक न्याय की दिशा में ठोस निर्णय लें। यह केवल एक वर्ग की मांग नहीं, बल्कि राज्य के समग्र लोकतांत्रिक स्वास्थ्य की कसौटी है।


रिपोर्ट: Daily Live Uttarakhand के लिए विशेष संवाददाता इन्तजार रजा हरिद्वार 

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