सौर सखियों” को मिला नई पहचान का सम्मान, मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सौर स्वरोजगार योजना की महिलाओं से किया संवाद, महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए मिलेगा “सौर सखी” का विशेष दर्जा

इन्तजार रजा हरिद्वार- सौर सखियों” को मिला नई पहचान का सम्मान,
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सौर स्वरोजगार योजना की महिलाओं से किया संवाद,
महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए मिलेगा “सौर सखी” का विशेष दर्जा
देहरादून, 30 मई 2025 —
राजधानी देहरादून में आयोजित मुख्य सेवक संवाद कार्यक्रम में उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सौर स्वरोजगार योजना से जुड़ी महिलाओं से सीधे संवाद किया और उनके अनुभवों को सुना। इस अवसर पर उन्होंने एक महत्वपूर्ण घोषणा की — अब इस योजना से जुड़ी महिलाओं को राज्य सरकार “सौर सखी” के विशेष सम्मान से नवाजेगी। यह नाम केवल पहचान भर नहीं, बल्कि एक प्रेरणा का प्रतीक होगा, जो अन्य महिलाओं को भी इस क्षेत्र में आगे बढ़ने का रास्ता दिखाएगा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि यह पहल राज्य सरकार के नारी सशक्तिकरण, स्वच्छ ऊर्जा, और स्वरोजगार के विजन को साकार करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। उन्होंने कहा,
“सौर सखियों ने यह सिद्ध कर दिया है कि जब हमारी मातृशक्ति को सही संसाधन, प्रशिक्षण और सहयोग मिलता है, तो वे न केवल अपने लिए बल्कि पूरे समाज के लिए बदलाव की वाहक बनती हैं।”
सौर ऊर्जा के क्षेत्र में महिलाओं का उभरता नेतृत्व
उत्तराखंड सरकार द्वारा चलाई जा रही सौर स्वरोजगार योजना के माध्यम से ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों की महिलाएं अब आत्मनिर्भर बन रही हैं। इस योजना के तहत लाभार्थियों को सोलर पैनल इंस्टॉलेशन, सोलर स्ट्रीट लाइट, सोलर इन्वर्टर, वॉटर हीटर, कुकर, तथा अन्य उपकरणों से संबंधित प्रशिक्षण और तकनीकी सहायता दी जाती है। साथ ही, वित्तीय अनुदान और बैंक ऋण की सुविधाएं भी उपलब्ध कराई जाती हैं।
इस कार्यक्रम में प्रतिभाग करने वाली कई महिलाओं ने अपने अनुभव साझा किए। टिहरी गढ़वाल से आई मीना देवी ने बताया कि उन्होंने योजना के तहत सोलर लाइट इंस्टॉल करने का प्रशिक्षण प्राप्त किया और अब वे अपने गांव में एक छोटी टीम के साथ सोलर प्रोजेक्ट्स का काम कर रही हैं।
“पहले हम दूसरों पर निर्भर रहते थे। अब हमें खुद पर भरोसा है। योजना ने हमें आत्मनिर्भर बनाया है,” मीना ने कहा।
इसी प्रकार पिथौरागढ़ की अनिता बिष्ट ने बताया कि उन्होंने योजना के तहत लोन लेकर एक सोलर उपकरणों की दुकान खोली है और इससे उन्हें मासिक रूप से 15-20 हजार रुपये की आय हो रही है।
“सौर सखी” बनेगी गांव-गांव की पहचान
मुख्यमंत्री धामी ने यह स्पष्ट किया कि सरकार अब हर गांव में कम से कम एक “सौर सखी” तैयार करने की योजना पर कार्य कर रही है। इन महिलाओं को तकनीकी प्रशिक्षण देने के साथ-साथ मार्केटिंग और वित्तीय प्रबंधन की भी शिक्षा दी जाएगी ताकि वे अपने व्यवसाय को और अधिक विस्तार दे सकें।
सरकार का लक्ष्य है कि “हर गांव में सौर ऊर्जा, हर घर में सौर सखी” की तर्ज पर उत्तराखंड को सौर राज्य के रूप में विकसित किया जाए। इस कार्य में “सौर सखियों” की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण होगी।
सरकार अब इन सौर सखियों के अनुभवों को जनमंचों, सोशल मीडिया, रेडियो, और पंचायत स्तर पर साझा करेगी, जिससे राज्य की अन्य महिलाएं भी इससे प्रेरणा लेकर इस दिशा में कदम बढ़ा सकें।
मुख्य सेवक संवाद: लाभार्थियों से सीधा संवाद
मुख्य सेवक संवाद कार्यक्रम के अंतर्गत मुख्यमंत्री सीधे उन नागरिकों से संवाद करते हैं जिन्हें विभिन्न सरकारी योजनाओं से लाभ मिला है। यह संवाद सिर्फ औपचारिक नहीं होता, बल्कि योजना की वास्तविक स्थिति, व्यवहारिक समस्याएं और सुधार के सुझावों को सीधे जानने का अवसर भी प्रदान करता है।
इस कार्यक्रम के दौरान मुख्यमंत्री ने कई महिलाओं से सीधे बात कर उनके सुझाव लिए और अधिकारियों को निर्देश दिए कि उन सुझावों को योजनाओं की आगे की रूपरेखा में सम्मिलित किया जाए।
उन्होंने कहा,
“लाभार्थियों के सुझाव ही हमारी योजनाओं को जन-जन तक पहुंचाने का सबसे सशक्त माध्यम हैं। हमें योजनाएं फाइलों में नहीं, जमीन पर दिखनी चाहिएं।”
प्रधानमंत्री के विजन को साकार करती योजना
यह योजना प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आत्मनिर्भर भारत और वोकल फॉर लोकल अभियान से प्रेरित है। राज्य सरकार ने इसे स्थायी विकास और स्वच्छ ऊर्जा के एजेंडे के साथ जोड़ा है। इससे न केवल ग्रामीण क्षेत्रों को बिजली की वैकल्पिक व्यवस्था मिली है, बल्कि पारंपरिक ऊर्जा स्रोतों पर निर्भरता भी घटी है।
उत्तराखंड जैसे पर्वतीय राज्य में जहां बिजली की आपूर्ति और वितरण एक चुनौतीपूर्ण कार्य है, वहाँ सौर ऊर्जा आधारित रोजगार न केवल आवश्यकताएं पूरी कर रहा है, बल्कि पर्यावरण संरक्षण की दिशा में भी अहम भूमिका निभा रहा है।
नारी शक्ति से बदलेगा उत्तराखंड का ऊर्जा परिदृश्य
“सौर सखी” अभियान के माध्यम से सरकार एक ऐसा तंत्र विकसित कर रही है जिसमें महिलाएं केवल लाभार्थी नहीं, बल्कि नीति निर्धारक और कार्यान्वयनकर्ता की भूमिका में भी होंगी। यह पहल उत्तराखंड को सौर ऊर्जा के क्षेत्र में अग्रणी राज्य बनाने की दिशा में एक मजबूत कदम है।
मुख्यमंत्री ने अंत में कहा:
“जब एक महिला सशक्त होती है, तो एक पूरा परिवार सशक्त होता है। और जब सौर सखी सशक्त होगी, तो उत्तराखंड आत्मनिर्भर होगा।”