बहादराबाद के सलेमपुर-दादुपुर सुमन नगर क्षैत्र में दमघोंटू धंधे का आतंक, कबाड़ खानों और प्लास्टिक जलाने वाले अवैध उद्योगों ने बिगाड़ी हवा-पानी की सेहत, जनता का फूटा गुस्सा, राव आफाक बोले- अब सिर्फ आश्वासन नहीं, ठोस कार्रवाई चाहिए

इन्तजार रजा हरिद्वार- बहादराबाद के सलेमपुर-दादुपुर सुमन नगर क्षैत्र में दमघोंटू धंधे का आतंक,
कबाड़ खानों और प्लास्टिक जलाने वाले अवैध उद्योगों ने बिगाड़ी हवा-पानी की सेहत,
जनता का फूटा गुस्सा, राव आफाक बोले- अब सिर्फ आश्वासन नहीं, ठोस कार्रवाई चाहिए
हरिद्वार जिले के सलेमपुर-दादुपुर और सुमन नगर क्षेत्र में इन दिनों प्रदूषण एक गंभीर समस्या बनता जा रहा है। इसकी सबसे बड़ी वजह है—रिहायशी इलाकों के बीच चल रहे अवैध कबाड़ खाने और प्लास्टिक जलाकर गुल्ला बनाने वाले छोटे-छोटे लघु उद्योग। इन धंधों ने न केवल लोगों के स्वास्थ्य को खतरे में डाला है, बल्कि क्षेत्र में लगातार आगजनी की घटनाओं से सुरक्षा का संकट भी खड़ा कर दिया है।
इन अवैध उद्योगों से उठता जहरीला धुआं हवा को जहरीला बना रहा है, जिससे सांस संबंधी बीमारियों के मामले बढ़ रहे हैं। वहीं, इन उद्योगों से निकला प्लास्टिक और रसायनिक कचरा जलने से नालियां और सीवर तक अवरुद्ध हो रही हैं। क्षेत्र की सड़कों पर कबाड़ का अंबार लग चुका है, जिससे न केवल आवागमन बाधित हो रहा है, बल्कि यह दृश्य साफ-सफाई और नगर निगम की कार्यप्रणाली पर भी सवाल खड़े करता है।
कबाड़ की वजह से रोज होती है परेशानी
स्थानीय निवासियों की मानें तो इस अवैध कबाड़ कारोबार की वजह से उनका जीवन नारकीय हो चुका है। सुबह से लेकर रात तक ट्रक, ट्रैक्टर और टेम्पो कबाड़ लादे गलियों में दौड़ते रहते हैं, जिससे सड़कें जाम हो जाती हैं। प्लास्टिक और रबड़ जैसे मटेरियल जलाने से उठने वाले काले धुएं और बदबू से घरों की खिड़कियां तक खोलना मुश्किल हो गया है।
बच्चों और बुजुर्गों को खांसी, आंखों में जलन, दम फूलने जैसी समस्याएं लगातार हो रही हैं। डॉक्टरों का कहना है कि यह प्रदूषण लंबे समय में कैंसर और फेफड़ों की गंभीर बीमारियों का कारण बन सकता है।
राव आफाक ने उठाई आवाज, जताया रोष
जनता की इस गंभीर समस्या को लेकर पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष राव आफाक सामने आए हैं। उन्होंने क्षेत्र में एक विरोध प्रदर्शन का नेतृत्व करते हुए प्रशासन को आड़े हाथों लिया। उनका कहना है कि यह समस्या नई नहीं है, बल्कि कई सालों से लोग इसकी शिकायत कर रहे हैं, लेकिन आज तक कोई ठोस और स्थायी कार्रवाई नहीं हुई है।
राव आफाक ने कहा, “यह सिर्फ एक इलाके का मामला नहीं है, बल्कि आम जनता की जिंदगी का सवाल है। प्रशासन अगर अब भी नहीं जागा, तो हालात और बिगड़ जाएंगे। कबाड़ खानों और प्लास्टिक जलाने वाले इन अवैध धंधों से लोगों की जान पर बन आई है।”
उन्होंने प्रशासन पर लापरवाही का आरोप लगाते हुए कहा कि पहले भी तत्कालीन एसडीएम ने एक दिखावटी कार्रवाई कर कुछ कबाड़ हटवाए थे, लेकिन बाद में सबकुछ वैसे का वैसा हो गया। उन्होंने कहा कि इस बार जनता अब झूठे आश्वासन से नहीं मानेगी।
जनता का बढ़ता आक्रोश, आंदोलन की चेतावनी
क्षेत्र के लोग अब संगठित होकर इस समस्या के खिलाफ आवाज उठाने लगे हैं। उनका कहना है कि अगर प्रशासन ने जल्द से जल्द कोई ठोस कार्रवाई नहीं की, तो वे बड़े आंदोलन की राह अपनाएंगे। कई मोहल्लों की आरडब्ल्यूए और युवा संगठन अब एकजुट होकर जनहित याचिका दायर करने की योजना बना रहे हैं।
एक स्थानीय महिला ने बताया, “हम रोज बच्चों को लेकर परेशान रहते हैं। स्कूल से आने के बाद घर में भी दम घुटता है। रात में जब ये लोग प्लास्टिक जलाते हैं, तो ऐसा लगता है जैसे किसी गैस चेंबर में रह रहे हों।”
युवाओं का कहना है कि यह स्थिति उनके भविष्य के लिए खतरनाक है। पढ़ाई-लिखाई भी प्रभावित हो रही है और मानसिक तनाव बढ़ता जा रहा है। लोगों का यह भी आरोप है कि इन अवैध कारोबारियों को कुछ स्थानीय नेताओं और अफसरों का संरक्षण प्राप्त है, जिसके चलते कार्रवाई नहीं हो रही।
प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और प्रशासन की भूमिका पर सवाल
इस पूरे मामले में सबसे बड़ा सवाल प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और जिला प्रशासन की निष्क्रियता पर उठ रहा है। बोर्ड के पास हवा की गुणवत्ता मापने और प्रदूषण फैलाने वाले उद्योगों के खिलाफ कार्रवाई करने की जिम्मेदारी है, लेकिन अभी तक न तो किसी इकाई को नोटिस भेजा गया और न ही कोई जांच रिपोर्ट सार्वजनिक की गई।
प्रशासन की चुप्पी से यह संदेश जा रहा है कि या तो अधिकारी मामले की गंभीरता को समझ नहीं पा रहे, या फिर जानबूझकर आंखें मूंदे हुए हैं। यह स्थिति न केवल जनता के लिए निराशाजनक है, बल्कि शासन-प्रशासन की छवि पर भी प्रश्नचिह्न लगाती है।
जनता की मांगें क्या हैं?
- सभी अवैध कबाड़ खानों और लघु उद्योगों की तत्काल पहचान कर उन्हें बंद किया जाए।
- रिहायशी क्षेत्रों में इस प्रकार की गतिविधियों को पूरी तरह प्रतिबंधित किया जाए।
- प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा नियमित रूप से क्षेत्र की हवा और जल गुणवत्ता की जांच कर रिपोर्ट जारी की जाए।
- आगजनी की घटनाओं को रोकने के लिए फायर डिपार्टमेंट की निगरानी बढ़ाई जाए।
- इस पूरे मामले में लापरवाही बरतने वाले अधिकारियों पर विभागीय कार्रवाई की जाए।
अब क्या करेगा प्रशासन?
जनता, जनप्रतिनिधि और सामाजिक संगठन अब एक स्वर में प्रशासन से जवाब मांग रहे हैं। जिलाधिकारी और एसडीएम से अपेक्षा की जा रही है कि वे जल्द से जल्द इस मुद्दे पर संज्ञान लेकर स्थायी समाधान की दिशा में कदम उठाएं।
अगर प्रशासन ने अब भी देर की, तो यह मामला केवल प्रदूषण का नहीं रहेगा, बल्कि जन आंदोलन का रूप ले सकता है। क्षेत्र की महिलाएं, बुजुर्ग और छात्र भी इस संघर्ष में आगे आने को तैयार हैं।
सलेमपुर-दादुपुर और सुमन नगर क्षेत्र में चल रहा यह अवैध कबाड़ और प्लास्टिक उद्योग न केवल पर्यावरण का विनाश कर रहा है, बल्कि इंसानी जिंदगियों को भी खतरे में डाल रहा है। अब वक्त आ गया है जब शासन-प्रशासन को केवल आश्वासन नहीं, बल्कि कार्रवाई करनी होगी। जनता की आवाज को नजरअंदाज करना अब मुमकिन नहीं रहा।
यह मामला सिर्फ एक मोहल्ले का नहीं, बल्कि हर उस नागरिक का है जो स्वच्छ हवा में सांस लेने का हकदार है। प्रशासन को यह समझना होगा कि अगर अब भी चुप्पी रही, तो सड़कों पर जनता का शोर बहुत दूर तक गूंजेगा।