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सीएम धामी की सर्जिकल स्ट्राइक, हरिद्वार के डीएम कर्मेंन्द्र सिंह सस्पेंड, जमीन घोटाले में विजिलेंस जांच के आदेश

इन्तजार रजा हरिद्वार- सीएम धामी की सर्जिकल स्ट्राइक,

हरिद्वार के डीएम कर्मेंन्द्र सिंह सस्पेंड,

जमीन घोटाले में विजिलेंस जांच के आदेश

हरिद्वार में हुए बहुचर्चित ज़मीन घोटाले ने उत्तराखंड प्रशासन की नींव हिला दी है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इस मामले में सख्त एक्शन लेते हुए हरिद्वार के जिलाधिकारी कर्मेंन्द्र सिंह को निलंबित कर दिया है। उनके साथ-साथ एसडीएम अजयवीर सिंह और पूर्व नगर आयुक्त वरुण चौधरी को भी तत्काल प्रभाव से सस्पेंड किया गया है।

यह फैसला IAS रणवीर सिंह चौहान की उस रिपोर्ट के आधार पर लिया गया है जिसमें इन अधिकारियों को जमीन हस्तांतरण और रजिस्ट्री प्रक्रिया में अनियमितताओं का दोषी पाया गया।

क्या है पूरा मामला?

हरिद्वार में सरकारी, वक्फ और चारागाह भूमि को निजी जमीन बताकर फर्जी दस्तावेज़ों के माध्यम से रजिस्ट्रियां की गईं। आरोप है कि इन जमीनों को बिल्डरों और स्थानीय प्रभावशाली लोगों को औने-पौने दाम पर बेचा गया। रिपोर्ट के अनुसार, यह सब जिलाधिकारी कार्यालय, नगर निगम और तहसील प्रशासन की मिलीभगत से संभव हुआ।

मुख्यमंत्री को सौंपी गई जांच रिपोर्ट में स्पष्ट रूप से कहा गया कि जिलाधिकारी कार्यालय से गलत अनुमतियां दी गईं और रजिस्ट्री के मामलों में जानबूझकर प्रक्रिया का उल्लंघन हुआ।

विजिलेंस जांच का आदेश

सीएम धामी ने इस घोटाले को गंभीरता से लेते हुए अब मामले को विजिलेंस जांच के हवाले कर दिया है। विजिलेंस टीम को यह जिम्मेदारी दी गई है कि वह दस्तावेज़ों, फर्जी रजिस्ट्री और लेन-देन की गहराई से जांच करे। साथ ही, जिन लोगों ने इस घोटाले से लाभ कमाया, उन पर भी शिकंजा कसा जाए।

जनता में आक्रोश, विपक्ष हमलावर

इस मामले को लेकर हरिद्वार की जनता में भारी आक्रोश है। लंबे समय से स्थानीय लोग और आरटीआई कार्यकर्ता इन गड़बड़ियों की शिकायत कर रहे थे, लेकिन प्रशासन ने उन्हें नजरअंदाज किया। अब जब सीएम ने खुद कार्रवाई की है, तो लोगों की उम्मीदें बढ़ी हैं कि असली दोषियों को सज़ा मिलेगी।

वहीं, कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों ने सरकार पर हमला बोला है। कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा कि सिर्फ निलंबन से कुछ नहीं होगा, असली कार्रवाई तब मानी जाएगी जब दोषियों को जेल भेजा जाए।

सीएम धामी की यह कार्रवाई उत्तराखंड प्रशासन में जवाबदेही की दिशा में एक अहम कदम है। लेकिन यह शुरुआत भर है — यदि विजिलेंस जांच निष्पक्ष और तेज़ हुई, तो यह राज्य में भ्रष्टाचार के खिलाफ निर्णायक युद्ध साबित हो सकता है। वरना, यह भी एक और दिखावटी कार्रवाई बनकर रह जाएगी। जनता अब सिर्फ दिखावा नहीं, नतीजा चाहती है।

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