उत्तराखण्ड को डिजिटल इंडिया का स्किल कैपिटल बनाने की ओर कदम, मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की उपस्थिति में तीन महत्वपूर्ण त्रिपक्षीय समझौते, टाटा ट्रस्ट, नैस्कॉम और वाधवानी फाउंडेशन के साथ साझेदारी से युवाओं को मिलेगा एआई व टेक्नोलॉजी आधारित प्रशिक्षण

इन्तजार रजा हरिद्वार- उत्तराखण्ड को डिजिटल इंडिया का स्किल कैपिटल बनाने की ओर कदम,
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की उपस्थिति में तीन महत्वपूर्ण त्रिपक्षीय समझौते,
टाटा ट्रस्ट, नैस्कॉम और वाधवानी फाउंडेशन के साथ साझेदारी से युवाओं को मिलेगा एआई व टेक्नोलॉजी आधारित प्रशिक्षण
उत्तराखण्ड के युवाओं को तकनीकी रूप से सक्षम बनाने और राज्य को डिजिटल इंडिया के तहत एक प्रमुख स्किल हब बनाने की दिशा में बड़ा कदम उठाया गया है। मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी की उपस्थिति में सचिवालय में तीन महत्वपूर्ण त्रिपक्षीय समझौतों पर हस्ताक्षर किए गए, जिनके तहत राज्य में तकनीकी शिक्षा, कौशल विकास, और सामाजिक उत्थान के लिए बहुआयामी पहल की जाएगी।
सेतु आयोग, नैस्कॉम और उच्च शिक्षा विभाग का त्रिपक्षीय समझौता
उत्तराखण्ड को टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में अग्रणी राज्य बनाने के उद्देश्य से सेतु आयोग, उच्च शिक्षा विभाग, तकनीकी शिक्षा विभाग और नैस्कॉम/आईटी-आईटीईएस सेक्टर स्किल काउंसिल के बीच त्रिपक्षीय समझौते पर हस्ताक्षर किए गए। इसके तहत:
- राज्य के सभी सरकारी व निजी उच्च शिक्षण संस्थानों में उभरती टेक्नोलॉजी से जुड़े कोर्सेस को शैक्षणिक क्रेडिट के साथ शामिल किया जाएगा।
- हर जिले में एक मॉडल कॉलेज को “मेंटर संस्थान” के रूप में विकसित किया जाएगा।
- राज्य के 1.5 लाख से अधिक छात्रों को फ्यूचर स्किल्स प्राइम प्लेटफॉर्म के माध्यम से एआई, डाटा साइंस, साइबर सिक्योरिटी, पायथन और जनरेटिव एआई जैसे क्षेत्रों में प्रशिक्षण मिलेगा।
वाधवानी फाउंडेशन के साथ रोजगारोन्मुख कौशल विकास का समझौता
राज्य में रोजगारपरक व्यक्तित्व विकास को बढ़ावा देने के लिए सेतु आयोग, उच्च शिक्षा विभाग और वाधवानी फाउंडेशन के बीच त्रिपक्षीय समझौते पर हस्ताक्षर किए गए, जिसके प्रमुख बिंदु हैं:
- यह समझौता तीन वर्षों के लिए किया गया है।
- राज्य के सभी सरकारी उच्च शिक्षण संस्थानों में अगले सत्र से एआई आधारित व्यक्तित्व विकास और स्वरोजगार संबंधित पाठ्यक्रम शुरू किए जाएंगे।
- इसका लाभ लगभग 1.20 लाख छात्रों को मिलेगा, जो रोजगार और उद्यमिता के लिए तैयार किए जाएंगे।
टाटा ट्रस्ट के साथ दस वर्षों की दीर्घकालिक साझेदारी
सामाजिक और आर्थिक विकास को गति देने के लिए उत्तराखण्ड सरकार और टाटा ट्रस्ट के बीच 10 वर्षों का समझौता हुआ है। इस साझेदारी के अंतर्गत राज्य में निम्नलिखित क्षेत्रों में संयुक्त कार्य किया जाएगा:
- जल प्रबंधन
- पोषण एवं स्वास्थ्य
- टेलीमेडिसिन
- ग्रामीण आजीविका सृजन
- ग्रीन एनर्जी
इस दीर्घकालिक सहयोग का उद्देश्य उत्तराखण्ड के दूरस्थ एवं ग्रामीण क्षेत्रों में मूलभूत सुविधाओं और जीवनस्तर को बेहतर बनाना है।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का उद्बोधन
समझौतों के अवसर पर मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी ने तीनों करारों को उत्तराखण्ड के लिए “भविष्य निर्माण की आधारशिला” बताया। उन्होंने कहा:
“हमारा उद्देश्य राज्य को डिजिटल टैलेंट का ग्लोबल केंद्र बनाना है। इन समझौतों से युवाओं को एआई आधारित स्किल्स, व्यक्तित्व विकास, और रोजगार की नई राहें मिलेंगी।”
मुख्यमंत्री ने आगे यह भी कहा कि सरकार समाज के अंतिम पायदान पर खड़े व्यक्ति तक योजनाओं को पहुंचाने के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने विश्वास जताया कि ये पहल राज्य के शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार क्षेत्र में क्रांतिकारी बदलाव लाएंगी।
प्रमुख हस्तियां रहीं मौजूद
इस अवसर पर राज्य सरकार और तीनों साझेदार संस्थानों के उच्चाधिकारी भी उपस्थित रहे, जिनमें प्रमुख नाम हैं:
- डॉ. धन सिंह रावत – कैबिनेट मंत्री
- श्री राज शेखर जोशी – उपाध्यक्ष, सेतु आयोग
- श्री आनंद बर्द्धन – मुख्य सचिव
- श्री शत्रुघ्न सिंह – सीईओ, सेतु आयोग
- श्री सिद्धार्थ शर्मा – सीईओ, टाटा ट्रस्ट
- श्रीमती अभिलाषा गौड़ – सीईओ, नैस्कॉम स्किल काउंसिल
- श्री सुनील दहिया – एक्जीक्यूटिव वीपी, वाधवानी फाउंडेशन
- श्री रंजीत सिन्हा – उच्च शिक्षा सचिव
- अन्य अधिकारीगण – श्रीमती राधिका झा, श्री नितेश झा, श्री चन्द्रेश यादव, श्री वी. षणमुगम, श्री सी. रविशंकर
उत्तराखण्ड सरकार का यह कदम युवाओं को भविष्य के लिए तैयार करने, तकनीकी दक्षता में निवेश, और समाज के समग्र विकास के लिए एक रणनीतिक एवं दूरदर्शी पहल है। ये तीनों समझौते न केवल राज्य को डिजिटल इंडिया मिशन से जोड़ते हैं, बल्कि इसे राष्ट्रीय तकनीकी नेतृत्व की ओर भी अग्रसर करते हैं।
आगामी वर्षों में जब उत्तराखण्ड के छात्र एआई, साइबर सुरक्षा, और डेटा एनालिटिक्स में निपुण होंगे और राज्य के ग्रामीण क्षेत्र पोषण, स्वास्थ्य और ग्रीन एनर्जी के मॉडल बनेंगे, तब इन समझौतों को उत्तराखण्ड के विकास इतिहास में मील का पत्थर माना जाएगा।
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