अर्द्ध कुंभ से पहले हरिद्वार के कायाकल्प की तैयारी तेज़, सीसीआर सभागार में मेला अधिकारी सोनिका और जिलाधिकारी मयूर दीक्षित ने की व्यापक समीक्षा बैठक, पार्किंग, घाटों, सड़कों और वेस्ट मैनेजमेंट को लेकर दिए अहम निर्देश, धार्मिक स्थलों की गरिमा बनाए रखने पर विशेष ज़ोर

इन्तजार रजा हरिद्वार- अर्द्ध कुंभ से पहले हरिद्वार के कायाकल्प की तैयारी तेज़,
सीसीआर सभागार में मेला अधिकारी सोनिका और जिलाधिकारी मयूर दीक्षित ने की व्यापक समीक्षा बैठक,
पार्किंग, घाटों, सड़कों और वेस्ट मैनेजमेंट को लेकर दिए अहम निर्देश, धार्मिक स्थलों की गरिमा बनाए रखने पर विशेष ज़ोर
हरिद्वार, 13 जून 2025 | रिपोर्ट – Daily Live Uttarakhand ब्यूरो
हरिद्वार में वर्ष 2026 में प्रस्तावित अर्द्ध कुंभ मेले को लेकर शासन-प्रशासन की तैयारियाँ अब निर्णायक मोड़ पर पहुंच चुकी हैं। शुक्रवार को सीसीआर सभागार में आयोजित एक महत्वपूर्ण समीक्षा बैठक में मेला अधिकारी सोनिका और जिलाधिकारी मयूर दीक्षित ने अर्द्ध कुंभ और हरिद्वार के बहुआयामी विकास कार्यों की बारीकी से समीक्षा की। इस बैठक में उन्होंने संबंधित विभागों के अधिकारियों को स्पष्ट निर्देश दिए कि कोई भी कार्य सतही या बिना दृष्टिकोण के न किया जाए, बल्कि हर कार्य की योजना धार्मिक, सांस्कृतिक और पर्यावरणीय संतुलन को ध्यान में रखते हुए बनाई जाए।
मेले तक नहीं बन पाई तो मत बनाओ मल्टीलेवल पार्किंग!
बैठक के दौरान सबसे पहले चर्चा का विषय बना पं. दीनदयाल उपाध्याय मल्टीलेवल पार्किंग प्रोजेक्ट। जिलाधिकारी मयूर दीक्षित और मेला अधिकारी सोनिका ने स्पष्ट निर्देश दिए कि यदि यह कार्य मेले से पहले पूरा हो पाने की स्थिति में नहीं है, तो इसे तत्काल रोक दिया जाए। उनका कहना था कि अर्धकुंभ जैसे विशाल आयोजन में अस्थायी पार्किंग व्यवस्थाओं का दबाव बहुत अधिक होता है। ऐसे में निर्माणाधीन पार्किंग स्थल मेला क्षेत्र की यातायात और व्यवस्था को बाधित कर सकते हैं। अधिकारियों को निर्देश दिया गया कि पहले इस परियोजना की यथार्थपरक समय सीमा सुनिश्चित करें और तब ही इसे प्रारंभ करें।
धार्मिक स्थलों पर काम से पहले हो गहन अध्ययन
मेला अधिकारी ने सती कुण्ड सहित अन्य धार्मिक स्थलों पर हो रहे सौंदर्यकरण एवं विकास कार्यों के संदर्भ में चेताया कि इन स्थलों की पौराणिकता, धार्मिक महत्व, और सांस्कृतिक गरिमा को क्षति न पहुँचे। उन्होंने कहा कि इन स्थलों के पुनरोद्धार से पहले गहन शोध एवं दस्तावेज़ी अध्ययन अनिवार्य है ताकि धार्मिक भावनाएं आहत न हों और ऐतिहासिक मूल्यों की रक्षा की जा सके।
उन्होंने अधिकारियों को हिदायत दी कि ऐसे किसी भी स्थल पर अनावश्यक निर्माण या आधुनिकीकरण का प्रयास न किया जाए, बल्कि स्थानीय पंडितों, इतिहासकारों और पुरातत्वविदों से विमर्श के बाद ही कार्यवाही की जाए।
डुप्लीकेसी बंद हो, हर कार्य हो पारदर्शी
समीक्षा बैठक में अधिकारियों से यह भी कहा गया कि किसी भी परियोजना में डुप्लीकेसी (प्रत्यावृत्ति) न हो। सोनिका ने दोहराया कि “हर एक परियोजना के बारे में एक स्पष्ट दस्तावेज़ी प्रमाण होना चाहिए कि यह कार्य अन्य किसी योजना की प्रतिलिपि नहीं है।” उन्होंने अधिकारियों को डुप्लीकेसी न होने का प्रमाण पत्र लिखित रूप में देने का आदेश दिया।
इसके पीछे मुख्य उद्देश्य यह था कि सरकारी बजट का दुरुपयोग न हो और सभी कार्यों की जवाबदेही सुनिश्चित की जा सके। यह पहल पारदर्शिता और जनविश्वास बनाए रखने की दिशा में एक अहम कदम माना जा रहा है।
रोड प्लान हो जनता के लिए सुगम और सुरक्षित
बैठक में रोड प्लानिंग को लेकर भी गहन विमर्श किया गया। जिलाधिकारी ने कहा कि सभी सड़क योजनाओं को इस तरह से तैयार किया जाए कि जनता के लिए आवागमन सुगम, सरल और सुरक्षित हो। अर्धकुंभ मेले में लाखों की संख्या में श्रद्धालु हरिद्वार आते हैं, जिनके आवागमन के दौरान सड़क नेटवर्क की कार्यकुशलता की अग्निपरीक्षा होती है।
अधिकारियों को निर्देश दिया गया कि पुलिस विभाग के साथ तालमेल करके यातायात का रोडमैप तैयार करें और यह सुनिश्चित करें कि मुख्य जंक्शनों पर किसी भी तरह की भीड़भाड़ या अराजकता की स्थिति न बने।
सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट में लाएं नवीनतम तकनीक
एक अत्यंत महत्वपूर्ण विषय रहा सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट। अधिकारियों ने कहा कि अर्धकुंभ जैसे आयोजन में कचरे की मात्रा हजारों टन प्रतिदिन तक पहुंच सकती है। इसलिए उन्होंने निर्देश दिए कि परंपरागत तरीकों से हटकर आधुनिक और वैज्ञानिक तकनीकों का इस्तेमाल किया जाए।
मशीनी शक्ति (मैकेनिकल पॉवर) का भरपूर उपयोग करते हुए वेस्ट जनरेशन से लेकर निस्तारण स्थल तक की एक सुव्यवस्थित कार्य योजना तैयार की जाए। अधिकारियों ने साफ किया कि इस दिशा में किसी भी तरह की लापरवाही या अपर्याप्त तैयारी को स्वीकार नहीं किया जाएगा।
सिंचाई विभाग ने घाट सौंदर्यकरण और जलसंरचना पर दी रिपोर्ट
बैठक में सिंचाई विभाग के अभियंताओं ने घाट निर्माण कार्य, विशेषकर हरकी पैड़ी, सुभाष घाट, मालवीय दीप, ब्रह्मकुंड, कांगड़ा घाट के सौंदर्यकरण और पुनरोद्धार को लेकर विस्तृत रिपोर्ट प्रस्तुत की। उन्होंने बताया कि घाटों पर स्वच्छता, सुरक्षा, रैंप, रेलिंग, सीढ़ियों की मजबूती पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है।
टीम लीडर सुनील गुप्ता ने शंकराचार्य चौक से सीसीआर तक रोड निर्माण कार्य का खाका प्रस्तुत किया, जिसमें विशेष रूप से पैदल यात्रियों और दिव्यांगों की सुविधा का ख्याल रखा गया है।
10 प्रमुख जंक्शनों का ज्योमेट्रिक पुनरोद्धार
बैठक में यह भी जानकारी दी गई कि हरिद्वार शहर के 10 प्रमुख जंक्शनों का ज्योमेट्रिक पुनरोद्धार (geometric redesign) किया जाएगा। इसका उद्देश्य इन चौराहों पर ट्रैफिक फ्लो को बेहतर बनाना, अतिक्रमण रोकना, और सुन्दरता बढ़ाना है।
इन कार्यों में डिवाइडर, सिग्नल सिस्टम, स्ट्रीट लाइटिंग और साइनेज का पुनर्गठन शामिल होगा।
‘कल्चरल हब’ और चंडी घाट का भी होगा कायाकल्प
अधिकारियों ने बताया कि हरिद्वार को धार्मिक नगरी के साथ-साथ सांस्कृतिक केंद्र के रूप में भी विकसित किया जा रहा है। इसके लिए एक ‘कल्चरल हब’ का निर्माण प्रस्तावित है, जहाँ भजन संध्या, सांस्कृतिक कार्यक्रम और आर्ट गैलरी जैसी सुविधाएं होंगी।
साथ ही चंडी घाट का भी सौंदर्यकरण और पुनरोद्धार किया जाएगा ताकि यह स्थल भी हरिद्वार की सांस्कृतिक और पर्यटन धरोहर का हिस्सा बन सके।
कई वरिष्ठ अधिकारी रहे उपस्थित
बैठक में हरिद्वार नगर निगम के आयुक्त नन्दन कुमार, उप जिलाधिकारी जितेन्द्र कुमार, अधिशासी अभियंता दीपक कुमार, जल निगम के अधिशासी अभियंता आर. गुप्ता, तथा संबंधित विभागों के अधिकारी जैसे मेहुल शर्मा, रश्मि, आदि उपस्थित रहे।
निष्कर्ष: अर्धकुंभ नहीं केवल मेला, यह हरिद्वार का भविष्य है
हरिद्वार में आयोजित इस समीक्षा बैठक ने यह स्पष्ट कर दिया कि अर्धकुंभ केवल एक धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि यह शहर के भविष्य की नींव है। इस अवसर पर जो भी कार्य किए जा रहे हैं, वे केवल मेला अवधि तक सीमित नहीं, बल्कि हरिद्वार के दीर्घकालिक विकास और सांस्कृतिक संरक्षण से जुड़े हैं।
प्रशासन की तत्परता, योजनाबद्धता और पारदर्शिता यह संकेत देती है कि आने वाला अर्धकुंभ 2026, न केवल एक आध्यात्मिक उत्सव होगा, बल्कि यह प्रशासनिक प्रबंधन, तकनीकी दक्षता और सांस्कृतिक संवेदनशीलता की मिसाल भी बनेगा।