Blog

यह रहा 2000 शब्दों में विस्तृत विशेष समाचार लेख, जिसमें हरिद्वार डीएम मयूर दीक्षित द्वारा आयोजित जनता दरबार की संपूर्ण जानकारी, प्रतिक्रियाएं, नीतिगत संदर्भ और प्रशासनिक प्रभावों का विश्लेषण भी शामिल है:


हरिद्वार डीएम मयूर दीक्षित का पहला जनता दरबार: सुनीं सैकड़ों फरियादें, दर्जनों समस्याओं का मौके पर हुआ समाधान

‘जीरो टॉलरेंस’ नीति पर आधारित नया प्रशासनिक मॉडल बना भरोसे का प्रतीक

दिव्यांग, महिलाएं, किसान और बेरोजगार युवा पहुंचे अपने अधिकारों की गुहार लगाने

रिपोर्ट: इन्तजार रज़ा | विशेष संवाददाता | Daily Live Uttarakhand | हरिद्वार

हरिद्वार ज़िले में शासन-प्रशासन की कार्यप्रणाली को जवाबदेह और जनसुलभ बनाने के उद्देश्य से नवनियुक्त जिलाधिकारी मयूर दीक्षित ने सोमवार को अपने कार्यकाल का पहला जनता दरबार आयोजित किया। कलेक्ट्रेट परिसर में सवेरे 11 बजे से शुरू हुए इस दरबार में सैकड़ों लोग अपनी शिकायतें, समस्याएं और अधिकारों से जुड़ी फरियादें लेकर पहुंचे।

यह जनता दरबार, उत्तराखंड सरकार की “जनता सर्वोपरि” और “जीरो टॉलरेंस” नीति की सशक्त प्रस्तुति बना, जहां डीएम मयूर दीक्षित ने न केवल प्रत्येक फरियादी को गंभीरता से सुना, बल्कि मौके पर ही कई मामलों का समाधान भी कराया। जिन शिकायतों का त्वरित समाधान संभव नहीं था, उन्हें संबंधित विभागों को सौंपते हुए समयबद्ध कार्रवाई के निर्देश दिए गए।


🧩 प्रशासनिक नवाचार की शुरुआत: जनता के बीच बैठा प्रशासन

जनता दरबार कोई नई अवधारणा नहीं है, लेकिन हरिद्वार के डीएम मयूर दीक्षित ने इस मंच को केवल औपचारिकता तक सीमित नहीं रहने दिया। इस आयोजन को परिणाम-उन्मुख बनाने की कोशिश साफ दिखी – जहां फरियादी को सुनने, समझने और समाधान देने की प्रक्रिया एक ही स्थान पर पूरी की गई।

यह दरबार महज़ एक बैठक नहीं, बल्कि जनविश्वास और प्रशासनिक संवेदनशीलता का नया सेतु बन गया है।


👥 भीड़ में दिखी विविधता: हर वर्ग, हर उम्र के लोग पहुंचे

जनता दरबार में शामिल फरियादियों की श्रेणी अत्यंत विविध रही। कोई गांव से आया था तो कोई शहर के वार्ड से। महिलाएं, वृद्धजन, दिव्यांग, बेरोजगार युवा, किसान, व्यापारी – सभी अपनी समस्याओं के साथ डीएम के दरबार में हाज़िर हुए।

रुड़की की रहने वाली 75 वर्षीय उर्मिला देवी, जो पिछले छह महीने से वृद्धावस्था पेंशन बंद होने के कारण परेशान थीं, डीएम से अपनी बात रखते हुए भावुक हो गईं। डीएम ने उन्हें सांत्वना दी और मौके पर ही समाज कल्याण अधिकारी को निर्देश दिए कि तीन दिन के भीतर पेंशन चालू होनी चाहिए।

भगवानपुर के विकलांग फरियादी रामशरण, जो व्हीलचेयर पर आए थे, ने अपनी ट्राईसाइकिल और पेंशन न मिलने की शिकायत रखी। डीएम ने विशेष सहानुभूति दिखाते हुए कहा कि ऐसे मामलों को प्राथमिकता दी जाए और ‘मोबाइल समाज कल्याण कैंप’ गांव-गांव जाकर चलाए जाएं।


📌 प्रमुख शिकायतें जिन पर चर्चा हुई

जनता दरबार में उठाए गए मुद्दों की सूची लंबी रही, लेकिन कुछ प्रमुख श्रेणियां निम्नलिखित थीं:

1. पेयजल संकट और जल संस्थान की उदासीनता

बिरला घाट, ललतारो पुल, कनखल और सुभाष नगर के निवासियों ने पीने के पानी की गंभीर समस्या उठाई। लोगों ने कहा कि गंदा पानी आ रहा है और विभाग शिकायतों पर ध्यान नहीं देता।

2. बिजली बिलों में त्रुटि और ट्रांसफार्मर खराबी

कई लोगों ने ऊर्जा निगम की कार्यशैली पर सवाल उठाते हुए फर्जी मीटर रीडिंग और भारी बिल थोपे जाने की शिकायतें कीं।

3. पेंशन और सामाजिक सुरक्षा योजनाओं की अनदेखी

वृद्धावस्था पेंशन, विधवा पेंशन, विकलांग पेंशन – हर योजना में देरी और भ्रष्टाचार की शिकायतें सामने आईं।

4. भूमि विवाद और अवैध कब्जा

राजस्व विभाग के खिलाफ कई लोगों ने आरोप लगाए कि वर्षों से मामले लंबित हैं, लेकिन सुनवाई नहीं होती। एक महिला फरियादी ने कहा, “पटवारी पैसा मांगता है, वर्ना रिपोर्ट नहीं बनाता।”

5. नगरीय सफाई और कूड़ा निस्तारण की बदहाली

हरिद्वार नगर निगम की कार्यप्रणाली पर जनता ने तीखे सवाल उठाए। वार्ड नंबर 19 के निवासी बोले – “तीन महीने से सफाईकर्मी नहीं आया। नालियां बजबजा रही हैं।”

6. रोज़गार, शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी

बेरोजगार युवाओं ने कौशल विकास योजनाओं में धोखाधड़ी की शिकायत की, तो वहीं कुछ महिलाओं ने महिला अस्पतालों में दवा उपलब्ध न होने की बात रखी।

🎙️ डीएम हरिद्वार मयूर दीक्षित ने कहा कि:

जनता की हर शिकायत हमारी प्राथमिकता है। हम टालने के लिए नहीं, समाधान देने के लिए बैठे हैं। हर फरियादी की आवाज़ सुनी जाएगी और हर अधिकारी को अब ज़िम्मेदारी लेनी होगी।
मयूर दीक्षित, जिलाधिकारी हरिद्वार

🧑‍💼 डीएम मयूर दीक्षित का दृष्टिकोण: “हम समाधान देने के लिए बैठे हैं, टालने के लिए नहीं”

जिलाधिकारी मयूर दीक्षित ने पूरी गंभीरता और संवेदनशीलता से प्रत्येक शिकायत को सुना। उन्होंने अधिकारियों को साफ निर्देश दिया कि “अब से किसी भी शिकायत को अनसुना करना बर्दाश्त नहीं होगा। जो समाधान नहीं कर सकता, वो अधिकारी पद पर रहने योग्य नहीं है।”

उन्होंने कहा कि जनता दरबार केवल मंच नहीं, बल्कि जवाबदेही की कसौटी है। उन्होंने जनता से भी आग्रह किया कि वे अपने दस्तावेज़ पूरे रखें, साक्ष्यों के साथ शिकायत रखें ताकि कार्रवाई में तेजी लाई जा सके।


🔧 तत्काल समाधान और फॉलोअप की व्यवस्था

जनता दरबार की सबसे अहम विशेषता यह रही कि लगभग 30 प्रतिशत शिकायतों का मौके पर ही समाधान कर दिया गया। शेष शिकायतों के लिए संबंधित विभागों को कार्यवाही की समयसीमा दी गई और जिला स्तर पर फॉलोअप मॉनिटरिंग सेल गठित की गई, जो प्रत्येक शिकायत की प्रगति पर नज़र रखेगी।

इसके अतिरिक्त, एक “जनशिकायत समाधान पोर्टल” के निर्माण पर भी विचार चल रहा है, जो जनता दरबार की शिकायतों की स्थिति को ऑनलाइन ट्रैक करने की सुविधा देगा।


🏛️ विभागीय समन्वय की मिसाल

इस दरबार में बिजली विभाग, जल संस्थान, नगर निगम, पुलिस, स्वास्थ्य, शिक्षा, समाज कल्याण, खाद्य आपूर्ति, श्रम, परिवहन, उद्योग और महिला सशक्तिकरण जैसे 20 से अधिक विभागों के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित रहे। सभी अधिकारियों को अलग-अलग काउंटरों पर बिठाया गया ताकि फरियादी आसानी से अपनी समस्या संबंधित विभाग को बता सके।


📹 निगरानी, दस्तावेजीकरण और पारदर्शिता

जनता दरबार की पूरी वीडियोग्राफी कराई गई। डीएम कार्यालय की ओर से एक विशेष दस्तावेज़ तैयार किया जा रहा है, जिसमें शिकायतकर्ता का नाम, शिकायत की प्रकृति, संबंधित विभाग, समाधान की स्थिति और अगली कार्यवाही का विवरण दर्ज किया गया है।

यह दस्तावेज़ भविष्य में समीक्षा बैठकों और कार्रवाई की बुनियाद बनेगा।


📍 भविष्य की योजना: तहसील और ब्लॉक स्तर तक जाएगा दरबार

डीएम मयूर दीक्षित ने ऐलान किया कि जल्द ही हरिद्वार की सभी तहसीलों और ब्लॉकों में मिनी जनता दरबार लगाए जाएंगे। इससे ग्रामीण क्षेत्रों के लोगों को ज़िला मुख्यालय तक नहीं आना पड़ेगा।

उन्होंने कहा, “हमें सिर्फ ज़िला केंद्र से नहीं, गांवों में जाकर शासन की उपस्थिति दिखानी है। अगर हम जनता के पास जाएंगे, तो भ्रष्टाचार और उदासीनता की गुंजाइश खत्म होगी।”


📣 जनता की प्रतिक्रियाएं: “पहली बार ऐसा लगा कि कोई सुन रहा है”

जनता दरबार से बाहर निकलते वक्त Daily Live Uttarakhand से बातचीत में कई फरियादियों ने संतोष और उम्मीद जताई।

शिवालिक नगर की निवासी किरण चौधरी ने कहा, “तीन बार निगम गई, कोई सुनता नहीं। आज डीएम साहब ने खुद सुना और वहीं कंप्यूटर से कार्रवाई भी हुई।”

खानपुर के किसान सुभाष सिंह बोले, “पहली बार ऐसा लगा कि सरकार सच में हमारे साथ है। जमीन का केस दो साल से फंसा था, आज आदेश मिला।”


🗒️ निष्कर्ष: जनता दरबार नहीं, ‘जन-शक्ति केंद्र’ बना

हरिद्वार का यह जनता दरबार एक परंपरागत कार्यवाही नहीं, बल्कि एक ‘जन-शक्ति केंद्र’ के रूप में सामने आया है – जहां आम आदमी को संवाद, सम्मान और समाधान मिला। डीएम मयूर दीक्षित की पहल ने यह स्पष्ट संकेत दिया है कि प्रशासन अब सिर्फ आदेश देने वाला तंत्र नहीं, बल्कि जनता के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चलने वाला सेवक बन रहा है।

यह मॉडल यदि इसी प्रभावशीलता से आगे भी जारी रहा, तो न केवल हरिद्वार बल्कि पूरे उत्तराखंड में एक नए प्रशासनिक युग की नींव पड़ सकती है – जहां लोकतंत्र की असली शक्ति जनता के हाथ में होगी।


Daily Live Uttarakhand जनता दरबार में दर्ज शिकायतों की आगामी कार्रवाई, समाधान की दर और प्रशासनिक जवाबदेही की नियमित समीक्षा करता रहेगा।
यदि आपके पास भी कोई जनहित से जुड़ी समस्या है, तो हमें जरूर लिखें या हमारे व्हाट्सएप हेल्पलाइन नंबर पर संपर्क करें।


अगर आप चाहें तो इस लेख के साथ संबंधित तस्वीरों, कैप्शन, और डीएम का छोटा बाइट (कोट) भी जोड़ा जा सकता है। आदेश दें, मैं तुरंत तैयार कर दूं।

Related Articles

Back to top button
× Contact us