हरिद्वार आरटीओ कार्यालय के इर्द-गिर्द पनपते दलालों पर गाज,, अब नहीं चलेगा ‘साइकिल-बाइक’ वाला दलाली नेटवर्क,, उपसंभागीय परिवहन अधिकारी निखिल शर्मा का एक्शन मोड, अफसर कम योद्धा ज्यादा नजर आ रहे सुरक्षा अधिकारी तैनात — हर आने-जाने वाले पर सीधी नजर!,, नया प्रशासन कहता है – “सरकार और जनता के बीच से बिचौलिए हटेंगे, तभी व्यवस्था सुधरेगी।” अगर नहीं हटे दलाल तो जिम्मेदार कौन? अधिकारियों की कार्रवाई जमीनी या सिर्फ हवाई?,, जनता बोली – “पहली बार लग रहा है, आरटीओ दफ्तर हमारा है, किसी गिरोह का नहीं”

इन्तजार रजा हरिद्वार- हरिद्वार आरटीओ कार्यालय के इर्द-गिर्द पनपते दलालों पर गाज,,
अब नहीं चलेगा ‘साइकिल-बाइक’ वाला दलाली नेटवर्क,,
उपसंभागीय परिवहन अधिकारी निखिल शर्मा का एक्शन मोड, अफसर कम योद्धा ज्यादा नजर आ रहे
सुरक्षा अधिकारी तैनात — हर आने-जाने वाले पर सीधी नजर!,, नया प्रशासन कहता है – “सरकार और जनता के बीच से बिचौलिए हटेंगे, तभी व्यवस्था सुधरेगी।”
अगर नहीं हटे दलाल तो जिम्मेदार कौन? अधिकारियों की कार्रवाई जमीनी या सिर्फ हवाई?,,
जनता बोली – “पहली बार लग रहा है, आरटीओ दफ्तर हमारा है, किसी गिरोह का नहीं”
Daily Live Uttarakhand इन्तजार रजा, हरिद्वार
हरिद्वार आरटीओ ऑफिस की वो तस्वीर अब इतिहास बनने जा रही है, जहां सड़क के किनारे, चाय की दुकान पर, या किसी बाइक के बोनट पर बैठे तथाकथित ‘जानकार’ लोग आम जनता को घेरकर कहते थे – “काम करवा देंगे साहब, लाइसेंस हो या ट्रांसफर, कोई दिक्कत नहीं।”
लेकिन अब आरटीओ दफ्तर के बाहर नहीं दिखेंगे ये दलाल, न बाइक पर और न फाइलों के बंडल के साथ।
हरिद्वार के नए उपसंभागीय परिवहन अधिकारी निखिल शर्मा ने आरटीओ कार्यालय में दलालों के घुसने पर पाबंदी लगा दी है। और इस बार बात सिर्फ आदेश की नहीं, सिस्टम की सर्जरी की है।
✅ सुरक्षा अधिकारी तैनात — हर आने-जाने वाले पर सीधी नजर!
अब जो भी व्यक्ति आरटीओ दफ्तर आएगा, उसे पहले एक प्रशिक्षित सिक्योरिटी अधिकारी की जांच से गुजरना होगा। वह व्यक्ति कौन है, किस काम से आया है, कागज खुद के हैं या किसी और के?—सब कुछ पूछा जाएगा।
न कोई ‘चालाकी’, न कोई दलाली — सिर्फ काम और पारदर्शिता!
यह वही जगह थी जहां एक समय में आधे से ज्यादा काम दलालों के जरिए ही होते थे।
कोई साइकिल से आता था, कोई मोटरसाइकिल से — फाइलों का बंडल, जेब में रिश्ता और मुंह में झूठ।
लेकिन अब निखिल शर्मा ने यह साफ कर दिया है कि –
“अगर कोई दलाल दफ्तर में मिला तो सीधी एफआईआर और स्थायी प्रतिबंध!”
⚠️ हरिद्वार आरटीओ बना था ‘दलाली का अड्डा’ — अब हुआ दलाल सफाई अभियान शुरू
हरिद्वार में आरटीओ दफ्तर की छवि पिछले कुछ वर्षों से बेहद संदिग्ध होती जा रही थी।
आम जनता का विश्वास टूट रहा था, क्योंकि बिना दलाल के काम नहीं होते थे।
कागज पूरे होते हुए भी आम नागरिक को 3 से 4 चक्कर लगाने पड़ते थे, लेकिन दलालों के जरिए वही काम 30 मिनट में निपट जाता था — बस जेब ढीली होनी चाहिए थी।
अब हालात पलट दिए गए हैं।
नया प्रशासन कहता है – “सरकार और जनता के बीच से बिचौलिए हटेंगे, तभी व्यवस्था सुधरेगी।”
और शायद पहली बार जनता को महसूस हुआ है कि कोई अधिकारी वास्तव में कुछ करने आया है।
🔥 दलालों को चेतावनी — “अगर पकड़े गए तो सीधे होगी कानूनी कार्रवाई”
आरटीओ निखिल शर्मा ने स्पष्ट कर दिया है कि अगर किसी भी रूप में दलाल आरटीओ परिसर में पकड़ा गया —
- तो उसके खिलाफ सीधी एफआईआर दर्ज होगी,
- उसकी पहचान स्थायी रूप से ब्लैकलिस्ट की जाएगी,
- और भविष्य में वह किसी भी सरकारी कार्य में भाग नहीं ले सकेगा।
यह सिर्फ दिखावे की कार्रवाई नहीं, बल्कि ऑन-ग्राउंड एक्शन प्लान है।
हर कोने, हर गेट, हर टेबल पर अब निगरानी है।
🧾 जनता बोली – “पहली बार लग रहा है, आरटीओ दफ्तर हमारा है, किसी गिरोह का नहीं”
वर्तमान हालात को लेकर जब Daily Live Uttarakhand ने आम जनता से प्रतिक्रिया ली, तो लोगों ने खुलकर कहा कि –
“पहली बार ऐसा लग रहा है कि यहां आम आदमी की सुनी जा रही है, वरना पहले तो बिना दलाल के पूछने वाला भी कोई नहीं होता था।”
राजेश कुमार, जो वाहन पंजीकरण के लिए आए थे, बोले –
“पहले लोग डरते थे कि दलाल के बिना काम नहीं होगा, अब अधिकारी खुद मदद कर रहे हैं।”
🎙️ निखिल शर्मा, उपसंभागीय परिवहन अधिकारी, हरिद्वार
“हमारा उद्देश्य है कि हर व्यक्ति को बिना किसी डर या बिचौलिए के सरकारी सेवा का लाभ मिले।
दलाली का यह सिस्टम जनता की उम्मीदों और शासन की पारदर्शिता को खा रहा था। अब हमने उस पर निर्णायक चोट की है।
किसी भी दलाल को बख्शा नहीं जाएगा।”
✊ हरिद्वार से पूरे उत्तराखंड के लिए एक संदेश — दलालों के दिन अब गए!
हरिद्वार से शुरू हुआ यह एक्शन मॉडल अब एक मिसाल बन सकता है पूरे उत्तराखंड के लिए।
अगर प्रशासनिक इच्छाशक्ति और ईमानदार नेतृत्व हो तो कोई भी विभाग दलालों से मुक्त हो सकता है।
अब जरूरत है इस मॉडल को स्थायित्व देने की — ताकि कल कोई फिर से बाइक पर फाइलों की दलाली का धंधा शुरू न कर दे।
हरिद्वार आरटीओ कार्यालय में हुआ यह एक्शन सिर्फ एक विभागीय फैसला नहीं, व्यवस्था पर सीधा प्रहार है।
दलालों की वर्षों पुरानी जड़ें अब उखड़ रही हैं — और अगर यही रफ्तार रही, तो हरिद्वार की जनता को एक पारदर्शी और भरोसेमंद आरटीओ कार्यालय मिलेगा।
अगर नहीं हटे दलाल तो जिम्मेदार कौन? अधिकारियों की कार्रवाई जमीनी या सिर्फ हवाई?
हरिद्वार आरटीओ कार्यालय को दलालमुक्त बनाने की घोषणा तो हो गई, लेकिन असल सवाल यह है कि अगर कुछ दिन बाद फिर वही दलाल परिसर के आसपास सक्रिय नजर आएं, तो उसकी जिम्मेदारी कौन लेगा? क्या यह कार्रवाई महज एक दिखावा है या वास्तव में ईमानदार पहल? जनता अब सिर्फ वादे नहीं, परिणाम चाहती है। यदि प्रशासन अपनी ही घोषणाओं पर अमल नहीं करवा पाया, तो यह जनता के साथ एक और छलावा साबित होगा। निगरानी और जवाबदेही अनिवार्य है।