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सरकारी कुर्सी से भड़की नफरत की आग! मंडी सचिव ने धर्म पूछकर की बदसलूकी, युवक को गालियां-धमकिया,, मंडी सचिव पर धार्मिक टिप्पणी, धक्का-मुक्की और धमकी के गम्भीर आरोप, अल्पसंख्यक आयोग ने लिया संज्ञान,, जिलाधिकारी हरिद्वार से मांगी गई जांच आख्या, 15 दिन में रिपोर्ट तलब का आदेश,,

इन्तजार रजा हरिद्वार- सरकारी कुर्सी से भड़की नफरत की आग!
मंडी सचिव ने धर्म पूछकर की बदसलूकी, युवक को गालियां-धमकिया,,

मंडी सचिव पर धार्मिक टिप्पणी, धक्का-मुक्की और धमकी के गम्भीर आरोप, अल्पसंख्यक आयोग ने लिया संज्ञान,,

जिलाधिकारी हरिद्वार से मांगी गई जांच आख्या, 15 दिन में रिपोर्ट तलब का आदेश,,

इन्तजार रजा, हरिद्वार | 3 जुलाई 2025

हरिद्वार जनपद के ज्वालापुर क्षेत्र में एक अल्पसंख्यक नागरिक द्वारा मंडी समिति के सचिव पर लगाए गए गंभीर आरोपों के बाद उत्तराखण्ड अल्पसंख्यक आयोग सक्रिय हो गया है। आयोग ने जिलाधिकारी हरिद्वार को पत्र भेजकर पूरे मामले की उच्च स्तरीय जांच कराकर 15 दिन के भीतर रिपोर्ट उपलब्ध कराने के निर्देश दिए हैं।

यह मामला उस समय तूल पकड़ गया जब ग्राम सराय, ज्वालापुर निवासी श्री जावेद साबरी ने उत्तराखण्ड अल्पसंख्यक आयोग को एक शिकायती पत्र भेजा। पत्र में उन्होंने सचिव, मंडी समिति ज्वालापुर पर न केवल धार्मिक आधार पर टिप्पणी करने का आरोप लगाया, बल्कि शारीरिक व मानसिक उत्पीड़न, धक्का-मुक्की, गाली-गलौच और धमकी देने जैसे गंभीर आरोप भी लगाए हैं।

मंडी सचिव के व्यवहार से आहत, आयोग से की शिकायत

शिकायतकर्ता श्री जावेद साबरी ने अपने पत्र में लिखा है कि वह विक्रेता लाइसेंस बनवाने के उद्देश्य से मंडी समिति ज्वालापुर के सचिव कार्यालय पहुंचे थे। इस दौरान वहां पर मौजूद सचिव द्वारा न केवल उनके धर्म को लेकर आपत्तिजनक टिप्पणी की गई, बल्कि उनके साथ असम्मानजनक व्यवहार करते हुए, अपने अधीनस्थ कर्मचारियों को बुलाकर गाली-गलौच, धक्का-मुक्की और धमकी भी दी गई।

श्री साबरी के अनुसार, इस पूरे घटनाक्रम का वीडियो फुटेज मंडी समिति कार्यालय में लगे सीसीटीवी कैमरों में दर्ज है। साथ ही कुछ भाग उनके मोबाइल फोन में भी कैद है। उन्होंने आयोग से अपील की है कि सीसीटीवी फुटेज को सुरक्षित रखते हुए उच्च स्तरीय जांच कराई जाए ताकि न्याय हो सके

 

अल्पसंख्यक आयोग ने लिया तत्काल संज्ञान

उत्तराखण्ड अल्पसंख्यक आयोग, देहरादून द्वारा पत्र संख्या: उअसंआ/विविध पत्रा/2025-26 दिनांक 27 जून 2025 को जिलाधिकारी हरिद्वार को भेजे गए पत्र में कहा गया है कि उक्त प्रकरण की छायाप्रति संलग्न करते हुए मामले की समुचित जांच, शिकायतकर्ता के पक्ष एवं उपलब्ध साक्ष्यों के आधार पर निष्पक्ष कार्यवाही की जाए। पत्र में जिलाधिकारी को निर्देशित किया गया है कि 15 दिन के भीतर जांच रिपोर्ट आयोग को प्रस्तुत की जाए।  आयोग को शीघ्र उपलब्ध कराएं ताकि आगे की सुनवाई में कोई विलंब न हो।

आयोग का सख्त रुख, भेदभाव पर जीरो टॉलरेंस

उत्तराखण्ड अल्पसंख्यक आयोग के सचिव जे.एस. रावत द्वारा हस्ताक्षरित इस पत्र से स्पष्ट है कि राज्य सरकार का रुख धार्मिक भेदभावउत्पीड़न के मामलों में सख्त है। आयोग ने संकेत दिए हैं कि यदि शिकायत सही पाई जाती है तो संबंधित अधिकारी के खिलाफ कड़ी अनुशासनात्मक कार्रवाई की संस्तुति की जा सकती है।

आयोग के इस पत्र की प्रति श्री जावेद साबरी को भी भेज दी गई है, ताकि वे आगे की कार्यवाही के लिए सभी आवश्यक दस्तावेज समय से जमा कर सकें।

समाज में आक्रोश, पारदर्शिता की मांग

घटना की जानकारी सामने आने के बाद ज्वालापुर क्षेत्र के स्थानीय लोगों में आक्रोश व्याप्त है। कई सामाजिक संगठनों ने इस मामले में पारदर्शी जांच और दोषी के खिलाफ दृढ़ कार्रवाई की मांग की है। क्षेत्र के कई वरिष्ठ नागरिकों का कहना है कि यदि मंडी समिति जैसा सार्वजनिक कार्यालय भी धार्मिक आधार पर भेदभाव करेगा, तो आम जनता का विश्वास खत्म हो जाएगा।

सोशल मीडिया पर टिप्पणियां करते हुए लोगों ने कहा, “यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है कि एक सरकारी अधिकारी धर्म देखकर व्यवहार कर रहा है। इस पूरे मामले की निष्पक्ष जांच होनी चाहिए और सच्चाई सामने लानी चाहिए।”

वहीं कुछ व्यापारियों ने मंडी समिति की कार्यप्रणाली पर भी सवाल उठाते हुए कहा कि वहाँ पर आम विक्रेताओं को लाइसेंस मिलने में अनावश्यक अड़चनों का सामना करना पड़ता है। यदि अधिकारी ही नियमों का पालन नहीं करेंगे तो पारदर्शिता की उम्मीद कैसे की जा सकती है?

15 दिन में रिपोर्ट से तय होगी साख

अब सारी निगाहें जिलाधिकारी हरिद्वार की ओर हैं, जिनसे उत्तराखण्ड अल्पसंख्यक आयोग ने 15 दिन के भीतर विस्तृत जांच आख्या मांगी है। इस मामले में आयोग की सक्रियता, प्रशासनिक जवाबदेही को रेखांकित करती है।

यह मामला केवल एक व्यक्ति के साथ हुए दुर्व्यवहार का नहीं, बल्कि सिस्टम में व्याप्त भेदभाव और असंवेदनशीलता की ओर इशारा करता है। यदि समय पर न्याय नहीं हुआ तो यह प्रकरण एक बड़ी सामाजिक बहस का कारण बन सकता है।

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