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साबिर पाक का 757वां उर्स: धरातल पर तैयारी नदारद, मेहंदी डोरी की रस्म से 24 अगस्त को होगी शुरुआत,, स्थानीय लोगों का आरोप – प्रशासन और वक्फ बोर्ड की लापरवाही से मेले की व्यवस्था चरमराई, पानी और कीचड़ से राहगीरों को मुश्किलें,, अधिकारियों का दावा – सभी ठेके और सुरक्षा प्रबंध पूरे, पुलिकर्मीयो की तैनाती और व्यवस्थाओ की तैयारियों में जुटा प्रशासन 

इन्तजार रजा हरिद्वार- साबिर पाक का 757वां उर्स: धरातल पर तैयारी नदारद, मेहंदी डोरी की रस्म से 24 अगस्त को होगी शुरुआत,,

स्थानीय लोगों का आरोप – प्रशासन और वक्फ बोर्ड की लापरवाही से मेले की व्यवस्था चरमराई, पानी और कीचड़ से राहगीरों को मुश्किलें,,

अधिकारियों का दावा – सभी ठेके और सुरक्षा प्रबंध पूरे, पुलिकर्मीयो की तैनाती और व्यवस्थाओ की तैयारियों में जुटा प्रशासन

रुड़की/पिरान कलियर –
उत्तराखंड के प्रसिद्ध दरगाह हज़रत साबिर पाक (रह.) का 757वां उर्स इस बार भी लाखों ज़ायरीनों की आस्था का केंद्र बनने जा रहा है। 24 अगस्त को मेहंदी डोरी की रस्म के साथ इसकी आधिकारिक शुरुआत होगी। लेकिन इस बड़े धार्मिक आयोजन से ठीक पहले तैयारियों को लेकर गंभीर सवाल उठ खड़े हुए हैं।

स्थानीय लोगों का कहना है कि उर्स शुरू होने में अब कुछ ही दिन बचे हैं, मगर प्रशासन और उत्तराखंड वक्फ बोर्ड दोनों ने अभी तक धरातल पर कोई ठोस कदम नहीं उठाया है। झूलों के ठेके से लेकर मेला क्षेत्र की सफाई और जलनिकासी तक, कई अहम काम अधूरे पड़े हैं। नतीजतन, मेले की व्यवस्था पहले ही चरण में चरमराने के संकेत दे रही है।

स्थानीयों का आरोप – “हर साल वही पानी और कीचड़, जिम्मेदार सिर्फ बयानबाज़ी में सक्रिय”

नगर पंचायत पिरान कलियर के वार्ड नंबर 3 के सभासद मोहम्मद नाज़िम ने कहा,

“जहाँ झूले और सर्कस लगाए जाते हैं, वहाँ हमेशा पानी और कीचड़ भरा रहता है। हम साल-दर-साल यही समस्या उठा रहे हैं, लेकिन प्रशासन और वक्फ बोर्ड सिर्फ बैठकों और कागज़ी दावों में सक्रिय रहते हैं। हकीकत में कोई काम नहीं होता।”

वार्ड नंबर 5 के सभासद मोहम्मद राशिद ने भी हालात पर नाराज़गी जताते हुए कहा,

“देश-विदेश से लाखों ज़ायरीन आते हैं, लेकिन मेला क्षेत्र में न तो ठेके छोड़े गए हैं और न ही मूलभूत सुविधाओं का इंतज़ाम हुआ है। वक्फ बोर्ड, जो इस दरगाह का मुख्य संरक्षक है, उसे भी सक्रिय भूमिका निभानी चाहिए थी, मगर यहां हालात खुद बयान कर रहे हैं कि जिम्मेदारियों का निर्वाह नहीं हो रहा।”

पिछले साल की यादें – अव्यवस्था से भरा हुआ था मेला

स्थानीयों का कहना है कि पिछले वर्ष भी उर्स के दौरान कई जगहों पर जलभराव, कीचड़ और गंदगी से ज़ायरीन परेशान रहे थे। बिजली के अस्थायी खंभे गिरने, पानी निकासी की व्यवस्था फेल होने और भीड़ प्रबंधन में कमी के कारण कई बार अफरा-तफरी मच गई थी। उस समय भी प्रशासन और वक्फ बोर्ड ने “अगले साल बेहतर व्यवस्था” का वादा किया था, लेकिन हालात इस बार भी बदले हुए नहीं दिखते।

ज़ायरीनों की मुश्किलें – “आस्था है, पर मेला सफर मुश्किल”

पिरान कलियर का उर्स सिर्फ धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि एक सांस्कृतिक और ऐतिहासिक पहचान भी है। यहां आने वाले ज़ायरीन सैकड़ों किलोमीटर की यात्रा कर दरगाह पर हाज़िरी देते हैं। लेकिन जब वे मेला क्षेत्र में पहुंचते हैं तो गंदगी, जलभराव, असुविधाजनक रास्तों और ट्रैफिक जाम का सामना करना पड़ता है।

स्थानीयों का कहना है कि कई विदेशी ज़ायरीन, जो पहली बार यहां आते हैं, व्यवस्था देखकर हैरान रह जाते हैं। उनका अनुभव सीधे-सीधे इस आयोजन की साख पर असर डालता है।

प्रशासन और वक्फ बोर्ड का दावा – “सभी तैयारियां पूरी”

जब इस पूरे मामले पर जॉइन्ट मजिस्ट्रेट रुड़की, दीपक रामचंद्र सेठ से बात की गई, तो उन्होंने कहा,

“हमारी तरफ से उर्स की सभी तैयारियां पूरी कर ली गई हैं। सभी ठेकों को छोड़ने की प्रक्रिया संपन्न हो चुकी है और सुरक्षा के लिए पुलिस कोतवाली स्थापित करने की तैयारी है। भीड़ और ट्रैफिक नियंत्रण के लिए विशेष प्लान तैयार किया गया है।”

एसपी देहात शेखरचन्द सुयाल ने भी सुरक्षा व्यवस्था पर भरोसा जताते हुए कहा,

“उर्स के दौरान पर्याप्त फोर्स तैनात की जाएगी। हमारा लक्ष्य है कि ज़ायरीनों को सुरक्षित और सुविधाजनक माहौल मिले, ताकि वे बिना किसी परेशानी के अपनी ज़ियारत पूरी कर सकें।”

वहीं वक्फ बोर्ड उत्तराखंड के सूत्रों का कहना है कि बोर्ड ने भी मेले के दौरान सुविधाओं और प्रबंधन के लिए अपनी योजना तैयार की है। हालांकि, स्थानीय लोगों का मानना है कि वक्फ बोर्ड की भूमिका अब भी औपचारिक बैठकों और बयानों तक सीमित है।

आर्थिक दृष्टि से भी अहम – करोड़ों का कारोबार, हजारों लोगों की रोज़ी

पिरान कलियर का उर्स सिर्फ धार्मिक महत्व नहीं रखता, बल्कि यह स्थानीय अर्थव्यवस्था के लिए भी बेहद महत्वपूर्ण है। मेले के दौरान यहां करोड़ों रुपये का कारोबार होता है। झूले, सर्कस, अस्थायी दुकानें, खाने-पीने के स्टॉल, होटल और गेस्टहाउस – सबकी आमदनी में कई गुना बढ़ोतरी होती है।

एक स्थानीय मेला व्यापारी ने बताया,

“उर्स के समय हमारी साल भर की कमाई पूरी हो जाती है। लेकिन अगर व्यवस्थाएं खराब होंगी तो ज़ायरीन कम समय रुकेंगे और कारोबार प्रभावित होगा।”

एक अन्य व्यापारी ने कहा,

“साफ-सफाई और सड़क व्यवस्था अच्छी हो तो लोग यहां ज्यादा समय बिताते हैं, जिससे दुकानदारों की बिक्री बढ़ती है। प्रशासन और वक्फ बोर्ड को इसे सिर्फ धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि आर्थिक अवसर के रूप में भी देखना चाहिए।”

आस्था और प्रबंधन की असली परीक्षा

साबिर पाक का उर्स न सिर्फ आस्था का महापर्व है, बल्कि यह प्रशासन और वक्फ बोर्ड दोनों के लिए हर साल एक बड़ी परीक्षा बनकर आता है। लाखों की भीड़, तंग गलियां, अस्थायी दुकानों और मनोरंजन स्थलों के बीच सुरक्षित, स्वच्छ और सुचारू माहौल बनाना किसी चुनौती से कम नहीं है।

स्थानीय लोगों के आरोप और जिम्मेदारों के दावे – दोनों ही तस्वीर का एक-एक पहलू हैं। लेकिन असली नतीजा 24 अगस्त से शुरू होने वाले उर्स के पहले ही दिन सामने आ जाएगा, जब देश-विदेश से आने वाले ज़ायरीन अपनी नज़र से देखेंगे कि वाकई तैयारी हुई है या सिर्फ आश्वासन दिया गया है।

757वें उर्स की तैयारियों पर उठे सवाल इस आयोजन की गरिमा और साख दोनों के लिए चुनौती हैं। पिरान कलियर की गलियों में उमड़ने वाली आस्था की भीड़ इस बार सिर्फ दुआओं में नहीं, बल्कि बेहतर व्यवस्था में भी जवाब तलाशेगी। प्रशासन और वक्फ बोर्ड के पास अब कुछ ही दिन हैं – ये दिन तय करेंगे कि साबिर पाक का उर्स फिर से अव्यवस्था के साए में होगा या इस बार एक मिसाल पेश करेगा।

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