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स्मार्ट मीटर और बिजली दरों के खिलाफ देहरादून-हरिद्वार कूच रहे किसानों के दल-बल को बहादराबाद में रोका,, प्रशासन ने टोल प्लाज़ा को बनाया मुख्य बैरियर, किसानो से वार्ता को तैयार प्रशासन  किसान यूनियन बोली – जब तक मांगें नहीं मानी जाएंगी, आंदोलन जारी रहेगा कई थानों की पुलिस फोर्स तैनात, किसान नेताओं पर  दर्ज हो सकता है मुकदमा

इन्तजार रजा हरिद्वार- स्मार्ट मीटर और बिजली दरों के खिलाफ देहरादून-हरिद्वार कूच रहे किसानों के दल-बल को बहादराबाद में रोका,,

प्रशासन ने टोल प्लाज़ा को बनाया मुख्य बैरियर, किसानो से वार्ता को तैयार प्रशासन 

किसान यूनियन बोली – जब तक मांगें नहीं मानी जाएंगी, आंदोलन जारी रहेगा

कई थानों की पुलिस फोर्स तैनात, किसान नेताओं पर  दर्ज हो सकता है मुकदमा

हरिद्वार, ब्यूरो।
स्मार्ट मीटर लगाने और बिजली दरों में बढ़ोतरी के खिलाफ आंदोलन कर रही किसान यूनियन ने मंगलवार को हरिद्वार कूच किया। अलग-अलग ग्रामीण क्षेत्रों से बड़ी संख्या में किसान ट्रैक्टर-ट्रालियों और चारपहिया वाहनों के साथ बहादराबाद टोल प्लाज़ा पहुंचे। यहां प्रशासन ने उन्हें रोकने के लिए पुख्ता इंतज़ाम किए। स्थिति को देखते हुए जिला प्रशासन ने टोल प्लाज़ा को मुख्य बैरियर बना दिया है और किसानों से वार्ता कर समाधान निकालने की कोशिश की जा रही है।

प्रशासन अलर्ट, टोल पर तैनात भारी पुलिस बल

किसानों की घोषणा के बाद से ही प्रशासन ने तैयारी तेज कर दी थी। हरिद्वार प्रवेश द्वार पर सुरक्षा के लिए पुलिस बल की तैनाती की गई। सुबह से ही पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों ने टोल प्लाज़ा पर डेरा डाल दिया। सिटी मजिस्ट्रेट और विद्युत विभाग के अधिकारी मौके पर मौजूद रहे। प्रशासन का उद्देश्य किसानों को शहर में प्रवेश करने से पहले ही शांतिपूर्ण तरीके से रोकना और वार्ता कर उनकी समस्याएं सुनना है।

एसपी देहात शेखर सुयाल ने बताया कि –
“हमारी प्राथमिकता है कि किसानों के जत्थे को शांति और संयम के साथ संभाला जाए। हम चाहते हैं कि वार्ता के जरिए ही समाधान निकले, जिससे आम जनमानस को किसी तरह की परेशानी न हो।”

किसान यूनियन ने दिखाई एकजुटता

किसान यूनियन जिलाध्यक्ष राजीव शास्त्री ने आंदोलनकारियों की अगुवाई की। उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा लगाए जा रहे स्मार्ट मीटर ग्रामीणों के हित में नहीं हैं। किसानों का मानना है कि इससे बिलों में अनावश्यक बढ़ोतरी हो रही है। उन्होंने साफ कहा कि जब तक स्मार्ट मीटर योजना और बढ़ी हुई बिजली दरें वापस नहीं ली जातीं, तब तक आंदोलन जारी रहेगा।

राजीव शास्त्री ने मंच से ऐलान किया –
“हम अपनी मांगों पर किसी भी कीमत पर पीछे नहीं हटेंगे। सरकार को किसानों की आवाज़ सुननी ही पड़ेगी। यह लड़ाई किसानों के अधिकार और आम जनता की जेब से जुड़ी है।”

माहौल गरमाया, भीड़ बढ़ती गई

सुबह से ही अलग-अलग गांवों से किसान जत्थे के रूप में टोल प्लाज़ा पर पहुंचते रहे। ढोल-नगाड़ों और नारेबाजी के बीच माहौल जोशपूर्ण दिखाई दिया। बड़ी संख्या में महिलाएं भी किसानों के समर्थन में आईं। किसानों ने नारे लगाए – “स्मार्ट मीटर वापस लो”, “बिजली दरों में बढ़ोतरी बंद करो।”

जैसे-जैसे दिन चढ़ा, किसानों की भीड़ टोल प्लाज़ा पर बढ़ती गई। आसपास के क्षेत्र से आम लोग भी यहां जुटकर किसानों का समर्थन करने लगे। स्थिति को देखते हुए प्रशासन सतर्क हो गया और आसपास के थानों से अतिरिक्त फोर्स बुला ली गई।

पुलिस और किसानों में संवाद की कोशिश

प्रशासन ने टकराव से बचने के लिए वार्ता का रास्ता चुना। मौके पर मौजूद अधिकारियों ने किसान नेताओं से बैठकर बातचीत की पेशकश की। इस दौरान किसानों ने अपनी समस्याएं स्पष्ट रूप से रखीं। अधिकारियों ने भरोसा दिलाया कि उनकी मांगों और सुझावों को सरकार तक पहुँचाया जाएगा।

एसपी देहात शेखर सुयाल ने कहा कि –
“हम आंदोलनकारियों से भी अपील करते हैं कि शांति बनाए रखें। किसी भी आम नागरिक को परेशानी न हो, इसका सभी को ध्यान रखना चाहिए। प्रशासन उनकी बात सुनने और उचित मंच पर उठाने के लिए प्रतिबद्ध है।”

किसान–सरकार आमने-सामने

किसानों का कहना है कि स्मार्ट मीटर योजना का सीधा असर गरीब और मध्यमवर्गीय परिवारों पर पड़ रहा है। उनका तर्क है कि बिना उनकी सहमति के यह योजना थोपना अनुचित है। दूसरी ओर, सरकार का मानना है कि स्मार्ट मीटर व्यवस्था बिजली वितरण को पारदर्शी बनाने और चोरी रोकने का साधन है। लेकिन किसान इस तर्क को मानने को तैयार नहीं हैं और लगातार अपने विरोध को तेज कर रहे हैं।

बढ़ सकता है आंदोलन

किसान नेताओं ने चेतावनी दी है कि यदि उनकी मांगें नहीं मानी गईं तो आंदोलन को और व्यापक रूप दिया जाएगा। यूनियन ने साफ कर दिया कि यह सिर्फ शुरुआत है। आने वाले दिनों में धरना-प्रदर्शन और भी जिलों में फैलाया जाएगा।

स्मार्ट मीटर और बिजली दरों में बढ़ोतरी को लेकर उठी यह लड़ाई अब एक बड़े जनआंदोलन का रूप लेती जा रही है। हरिद्वार में मंगलवार को किसान यूनियन के कूच ने यह साबित कर दिया कि ग्रामीण जनता इस मुद्दे को लेकर बेहद संवेदनशील है। प्रशासन फिलहाल वार्ता के जरिए स्थिति संभालने की कोशिश कर रहा है। लेकिन यदि समाधान जल्दी नहीं निकला, तो आने वाले दिनों में हालात और गरमा सकते हैं।

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