उत्तराखंडएक्सक्लूसिव खबरें

मीरपुर-मुवाजरपुर में सड़क निर्माण को लेकर दो पक्ष लगातार आमने-सामने,, मीरपुर मुवाजरपुर में बरसात में जलभराव से जूझ रहे थे ग्रामीण, प्रशासन द्वारा नाली खुदवाकर अस्थायी राहत देने की कोशिश,, न्यायालय ने दी यथास्थिति बनाए रखने की हिदायत स्टे ऑर्डर है लागू, एसडीएम बोले- न्यायालय आदेश के बाद ही होगी स्थायी कार्रवाई

इन्तजार रजा हरिद्वार- मीरपुर-मुवाजरपुर में सड़क निर्माण को लेकर दो पक्ष लगातार आमने-सामने,,

मीरपुर मुवाजरपुर में बरसात में जलभराव से जूझ रहे थे ग्रामीण, प्रशासन द्वारा नाली खुदवाकर अस्थायी राहत देने की कोशिश,,

न्यायालय ने दी यथास्थिति बनाए रखने की हिदायत स्टे ऑर्डर है लागू, एसडीएम बोले- न्यायालय आदेश के बाद ही होगी स्थायी कार्रवाई

हरिद्वार। बहादराबाद ब्लॉक के मीरपुर-मुवाजरपुर गांव में सड़क निर्माण को लेकर लंबे समय से विवाद चल रहा है। एक ओर कुछ ग्रामीण चाहते हैं कि सड़क को ऊंचा करके बनाया जाए ताकि उनके घर बरसात के पानी से सुरक्षित रहें, वहीं दूसरी ओर कुछ लोग सड़क को नीचे करने की मांग कर रहे हैं ताकि जलभराव की समस्या खत्म हो सके। मामला अब न्यायालय की चौखट तक पहुंच चुका है, जहां से यथास्थिति बनाए रखने का आदेश दिया गया है।

इसी बीच लगातार हो रही बारिश ने ग्रामीणों की परेशानी बढ़ा दी। बरसात के पानी की निकासी बाधित होने से दर्जनों घरों में पानी घुस गया। हालात ऐसे बने कि ग्रामीण सांप, मेढक और कीड़े-मकोड़ों के बीच रहने को मजबूर हो गए। इसी समस्या को देखते हुए एसडीएम सदर हरिद्वार जितेंद्र कुमार मौके पर पहुंचे और तत्काल राहत के लिए जेसीबी से नाली की सफाई करवाकर पानी निकासी की व्यवस्था करवाई।

मीरपुर मुवाजरपुर के कुछ हिस्से में बरसात में जलभराव से बिगड़ जाते हैं हालात

गांव के लोगों ने बताया कि सड़क का लेवल निर्माण के दौरान बढ़ा दिया गया था, लेकिन उसके साथ नाली का निर्माण नहीं हुआ। परिणामस्वरूप बारिश का पानी सड़कों और घरों में भरने लगा। कई घरों के आंगन और कमरों में पानी जमा हो गया, जिससे बच्चों और बुजुर्गों को सबसे ज्यादा दिक्कत झेलनी पड़ी।

स्थानीय निवासी मास्टर अरुण चौहान ने कहा, “हम लोगों ने बार-बार अधिकारियों को शिकायत दी, लेकिन कोई समाधान नहीं हुआ। करीब 50 घरों में पानी भरा है। ऐसे हालात में लोग बीमारियों और मच्छरों से भी परेशान हो रहे हैं।”

दोनों पक्षों की अलग-अलग मांगें

गांव के दो हिस्सों में राय बंटी हुई है। एक पक्ष का कहना है कि सड़क नीचे की जाए ताकि पानी आसानी से निकल सके, जबकि दूसरा पक्ष मानता है कि सड़क ऊंची करने से उनके घर सुरक्षित रहेंगे।

एक ग्रामीण मास्टर राजेश चौहान ने बताया कि, “एसडीएम साहब पहले आदेश दे चुके हैं कि सड़क को 20 सेंटीमीटर नीचे करके 15 मीटर लंबाई में बनाया जाए। लेकिन अब नाली खुदवाने का प्रस्ताव क्यों लाया गया, यह समझ से परे है। इससे और विवाद खड़ा हो गया है।” सड़क को ऊंचा करना ही सही समाधान नहीं है। उनका तर्क है कि अगर सड़क नीची की जाती है, तो पानी उनके घरों की ओर नही जाएगा बल्कि सही दिशा में चला जाता और वे डूबने से बच सकते थे। अब पिछले सालों का विश्लेषण होगा और कोई स्थाई समाधान निकाला जाएगा

ग्रामीणों की आपसी टकराहट और पंचायत स्तर की पहल

सड़क विवाद के चलते गांव के भीतर दो गुट स्पष्ट रूप से बन गए हैं। एक गुट नाली खुदवाने का विरोध कर रहा है, तो दूसरा गुट इसे बरसात से बचाव का तात्कालिक उपाय मान रहा है। इससे मोहल्ले में आपसी टकराव की स्थिति बनी हुई है।

ग्राम पंचायत प्रतिनिधियों ने दोनों पक्षों से बातचीत करने की कोशिश की। पंचायत का मानना है कि जब तक न्यायालय से अंतिम आदेश नहीं आता, तब तक सभी को शांति बनाए रखनी चाहिए और अस्थायी उपायों को स्वीकार करना चाहिए। पंचायत स्तर पर आपसी सहमति से विवाद टालने का प्रयास किया जा रहा है।

न्यायालय में मामला और स्टे आदेश

इस पूरे विवाद के चलते मामला न्यायालय में पहुंच गया। न्यायालय ने स्थिति की गंभीरता को देखते हुए स्टे आदेश जारी करते हुए स्पष्ट किया है कि अगली सुनवाई तक यथास्थिति बनाए रखी जाए। इसका अर्थ है कि सड़क की ऊंचाई या निर्माण कार्य में कोई स्थायी बदलाव नहीं किया जाएगा।

एसडीएम सदर जितेंद्र कुमार ने भी ग्रामीणों को यही समझाया। उन्होंने कहा, “यह मामला न्यायालय में विचाराधीन है। माननीय न्यायालय ने साफ निर्देश दिए हैं कि यथास्थिति बनी रहे। इसलिए सड़क की ऊंचाई में कोई बदलाव नहीं किया जा रहा है। केवल बरसात के पानी की निकासी के लिए अवरुद्ध नाली को साफ किया जा रहा है। स्थायी कार्रवाई न्यायालय के आदेश के बाद ही होगी।”

ग्रामीणों की आपत्तियां और आशंकाएं

नाली की सफाई का काम शुरू होते ही कुछ ग्रामीणों ने विरोध जताया। उनका कहना था कि जिस जगह नाली बनाई जा रही है, वह दूसरे पक्ष की जमीन है। कल को अगर वह पक्ष आपत्ति जताकर नाली बंद कर देता है तो विवाद और बढ़ेगा।

एक और ग्रामीण धर्मवीर सैनी ने कहा कि, “हम इस कार्रवाई से संतुष्ट नहीं हैं। हमें डर है कि आगे झगड़ा बढ़ सकता है। हमारी मांग है कि पहले की तरह सड़क को नीचे किया जाए, ताकि समस्या स्थायी रूप से खत्म हो।”

वहीं, दूसरे पक्ष से वेदपाल सिंह ने कहा कि प्रशासन के कदम का स्वागत किया और कहा कि फिलहाल बरसात से राहत जरूरी है। उनका कहना था कि नाली से पानी निकलेगा तो गांव की दिक्कतें कुछ हद तक कम होंगी।

पूर्व आदेश और जांच रिपोर्टें

गौरतलब है कि 15 जुलाई 2025 को संयुक्त निरीक्षण आख्या में यह स्पष्ट किया गया था कि सड़क की ऊंचाई को पूर्वी सड़क के स्तर के बराबर किया जाए। इस रिपोर्ट में यह भी उल्लेख था कि इससे पानी की निकासी दोनों ओर सुचारू होगी और किसी एक पक्ष के घर में जलभराव की समस्या नहीं रहेगी।

इस रिपोर्ट को आधार बनाकर पहले आदेश भी जारी हुए थे, लेकिन न्यायालय में मामला पहुंचने के कारण उस आदेश पर अमल नहीं हो पाया। अब जबकि बरसात से हालात गंभीर हो गए, तो प्रशासन ने अस्थायी राहत देने के लिए नाली की सफाई का रास्ता चुना।

एसडीएम सदर जितेन्द्र कुमार की अपील और आश्वासन

एसडीएम सदर जितेंद्र कुमार ने ग्रामीणों से संयम बरतने की अपील की। उन्होंने कहा कि ग्रामीण अपने-अपने पक्ष न्यायालय में रखें। जो भी आदेश माननीय न्यायालय से मिलेगा, प्रशासन उसी का पालन करेगा। उन्होंने आश्वासन दिया कि बरसात के मौसम में किसी भी घर में पानी न घुसे, इसके लिए प्रशासनिक स्तर पर हर संभव प्रयास किए जाएंगे।

मीरपुर-मुवाजरपुर गांव में सड़क निर्माण को लेकर उपजा विवाद फिलहाल अदालत की चौखट पर है। न्यायालय के यथास्थिति बनाए रखने के आदेश के बाद प्रशासन ने स्थायी कदम उठाने से परहेज किया है और केवल बरसात से बचाव के लिए नाली की सफाई कराई जा रही है। गांव के लोग अब कोर्ट के अंतिम आदेश का इंतजार कर रहे हैं। तब तक के लिए प्रशासनिक राहत सीमित रहेगी और स्थायी समाधान न्यायालय के निर्देशों के बाद ही संभव होगा।

Related Articles

Back to top button