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बेटियों ने संभाली जिलाधिकारी की कुर्सी,, अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस पर प्रशासनिक जिम्मेदारी का अनुभव,, फरियाद सुनी, समाधान बताया — बेटियों ने सीखा प्रशासन का असली अर्थ

जिलाधिकारी मयूर दीक्षित की अनोखी पहल पर सोमवार का दिन हरिद्वार की पांच बालिकाओं के लिए इतिहास बन गया। अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस के अवसर पर इन बेटियों ने एक दिन के लिए प्रशासनिक अधिकारी बनकर न केवल जनता की समस्याएं सुनीं, बल्कि अधिकारियों को निर्देश भी दिए। यह दिन उनके जीवन का ऐसा अनुभव बन गया, जिसने उनके आत्मविश्वास और भविष्य की दिशा दोनों को नई उड़ान दी।

इन्तजार रजा हरिद्वार- बेटियों ने संभाली जिलाधिकारी की कुर्सी,,

अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस पर प्रशासनिक जिम्मेदारी का अनुभव,,

फरियाद सुनी, समाधान बताया — बेटियों ने सीखा प्रशासन का असली अर्थ

हरिद्वार, 13 अक्टूबर 2025।
जिलाधिकारी मयूर दीक्षित की अनोखी पहल पर सोमवार का दिन हरिद्वार की पांच बालिकाओं के लिए इतिहास बन गया। अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस के अवसर पर इन बेटियों ने एक दिन के लिए प्रशासनिक अधिकारी बनकर न केवल जनता की समस्याएं सुनीं, बल्कि अधिकारियों को निर्देश भी दिए। यह दिन उनके जीवन का ऐसा अनुभव बन गया, जिसने उनके आत्मविश्वास और भविष्य की दिशा दोनों को नई उड़ान दी।

जिलाधिकारी के साथ प्रशासनिक जिम्मेदारी का अनुभव

जिला कार्यालय के जनसुनवाई कक्ष में जब बेटियों ने जिलाधिकारी की कुर्सी संभाली, तो वहां मौजूद हर व्यक्ति ने तालियों से उनका स्वागत किया। जिलाधिकारी मयूर दीक्षित ने बेटियों को जिला प्रशासन की कार्यप्रणाली से अवगत कराते हुए उन्हें बताया कि जनसुनवाई, शिकायत निस्तारण, विकास योजनाओं की निगरानी और जनकल्याण से जुड़ी नीतियों का संचालन किस प्रकार किया जाता है।

इसके बाद जनसुनवाई के दौरान फरियादी अपनी शिकायतें लेकर पहुंचे। बेटियों ने ध्यानपूर्वक समस्याएं सुनीं और जहां संभव हुआ, तुरंत निर्देश भी दिए। कई जटिल मामलों पर उन्होंने जिलाधिकारी से विचार-विमर्श किया और समाधान की दिशा में कदम उठाए।

‘जिन्दगी का अविस्मरणीय अनुभव’ — बेटियों की जुबानी

एक दिन की प्रशासनिक अधिकारी बनीं छात्राओं ने कहा कि जिलाधिकारी के साथ बैठना और जनता की समस्याएं सुनना उनके जीवन का सबसे यादगार पल है।
कक्षा 8 की शीतल ने कहा – “मैंने कभी नहीं सोचा था कि इतनी छोटी उम्र में मैं जिलाधिकारी के साथ बैठकर जनता की फरियादें सुनूंगी। यह अनुभव मेरे जीवन की सबसे बड़ी प्रेरणा बन गया है।” कक्षा 11 की ईशा गोयल ने बताया – “मैं अब और मेहनत करूंगी ताकि भविष्य में सचमुच प्रशासनिक अधिकारी बन सकूं और समाज की सेवा कर सकूं।”

इसी तरह तनीषा, तमन्ना और अंशिका ने भी कहा कि यह अनुभव उन्हें अपने सपनों को साकार करने की दिशा में आगे बढ़ने की प्रेरणा देगा।

बालिकाओं में आत्मविश्वास और जागरूकता का उद्देश्य

जिलाधिकारी मयूर दीक्षित ने बताया कि इस पहल का उद्देश्य सरकारी विद्यालयों की बालिकाओं में आत्मविश्वास बढ़ाना और उन्हें प्रशासनिक व्यवस्था के प्रति जागरूक करना है। उन्होंने कहा –
“समाज में बालिकाओं की भागीदारी को बढ़ाने, शिक्षा के महत्व को समझाने और उन्हें जिम्मेदारी का अनुभव देने के लिए यह कार्यक्रम बेहद आवश्यक है। इससे बेटियों में यह विश्वास जगेगा कि वे किसी भी क्षेत्र में पुरुषों से पीछे नहीं हैं।” उन्होंने बताया कि यह कार्यक्रम रिलैक्सो कम्पनी के सहयोग से संचालित किया गया है। आने वाले समय में जिले के अन्य स्कूलों की मेधावी छात्राओं को भी इस पहल से जोड़ा जाएगा ताकि हर बेटी को प्रशासनिक कार्यों का अनुभव प्राप्त हो सके।

फरियाद सुनने से समाधान तक — प्रशासन का असली सबक

कार्यक्रम के दौरान बेटियों ने न केवल प्रशासनिक प्रक्रिया को समझा बल्कि नागरिकों की भावनाओं को भी करीब से महसूस किया। जनसुनवाई में आई एक महिला फरियादी ने कहा – “आज हमारी बात एक बेटी ने सुनी, यह बहुत भावनात्मक क्षण था। बेटियों को इस तरह अवसर देना समाज के लिए बड़ी सीख है।” बालिकाओं ने अपने अनुभव साझा करते हुए कहा कि उन्होंने सीखा कि प्रशासनिक कार्य केवल आदेश देने का नहीं, बल्कि लोगों की समस्याएं समझकर उन्हें हल करने का माध्यम है। उन्होंने यह भी कहा कि वे अपने स्कूलों और गांवों में जाकर अन्य बालिकाओं को शिक्षा और आत्मनिर्भरता के लिए प्रेरित करेंगी।

इन बालिकाओं ने संभाली एक दिन की जिम्मेदारी

  1. शीतल, पुत्री श्री तेलूराम, कक्षा 8, जेनरल शाहनवाज राजकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय, ऐथल
  2. तनीषा, पुत्री श्री शमीम, कक्षा 8, राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय, बुक्कनपुर (लक्सर)
  3. ईशा गोयल, पुत्री श्री प्रवेश गोयल, कक्षा 11, नेशनल कन्या इंटर कॉलेज, खानपुर
  4. तमन्ना, पुत्री श्री परविंदर कुमार, कक्षा 9, राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय, अकबरपुर उर्द
  5. अंशिका, पुत्री श्री संदीप कुमार, कक्षा 12, अटल उत्कर्ष राजकीय इंटर कॉलेज, मुण्डाखेड़ा कलां,, इन पांचों बालिकाओं ने दिनभर जिला प्रशासन के विभिन्न विभागों का अवलोकन किया और अधिकारियों से सीधे संवाद भी किया।

अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस का प्रेरणादायी संदेश

यह आयोजन अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस के अवसर पर किया गया, जिसका मकसद था – “बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ और बेटी बढ़ाओ।”
हरिद्वार में यह कार्यक्रम इस बात का प्रतीक बन गया कि जब प्रशासनिक इच्छाशक्ति और सामाजिक सहयोग साथ आते हैं, तो बालिकाएं हर क्षेत्र में अपनी प्रतिभा का लोहा मनवा सकती हैं।

जिलाधिकारी ने कहा कि प्रशासन आगे भी ऐसे नवाचारपूर्ण कार्यक्रम आयोजित करेगा ताकि सरकारी विद्यालयों की छात्राएं समाज में अपनी भूमिका को बेहतर ढंग से समझ सकें और भविष्य के लिए बड़ी सोच के साथ आगे बढ़ें। हरिद्वार प्रशासन की यह पहल न केवल जिले की बेटियों के लिए प्रेरणा बनी, बल्कि यह संदेश भी दिया कि भविष्य में वही समाज आगे बढ़ेगा जो अपनी बेटियों को अवसर देगा।

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