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ज्वालापुर के जूर्स कंट्री क्षैत्र के रिहायशी इलाके में चल रहे शराब ठेके पर भड़की जनता, प्रशासनिक आश्वासन निकला झूठा, दो माह बाद फिर सड़क पर उतरे लोग, ‘अब नहीं सहेंगे’—ताला जड़कर चेताया, ठेका नहीं हटा तो होगा बड़ा आंदोलन, तो क्या ‘मिलीभगत से फलफूल रहा नशे का धंधा’, आखिर प्रशासन की चुप्पी पर उठे सवाल

इन्तजार रजा हरिद्वार- ज्वालापुर के जूर्स कंट्री क्षैत्र के रिहायशी इलाके में चल रहे शराब ठेके पर भड़की जनता,
प्रशासनिक आश्वासन निकला झूठा, दो माह बाद फिर सड़क पर उतरे लोग,
‘अब नहीं सहेंगे’—ताला जड़कर चेताया, ठेका नहीं हटा तो होगा बड़ा आंदोलन, तो क्या ‘मिलीभगत से फलफूल रहा नशे का धंधा’, आखिर प्रशासन की चुप्पी पर उठे सवाल

हरिद्वार, ज्वालापुर।
ज्वालापुर कोतवाली क्षेत्र की घनी रिहायशी बस्ती में स्थित शराब के ठेके को लेकर जनता का आक्रोश एक बार फिर सड़कों पर फूट पड़ा। मंगलवार को बड़ी संख्या में स्थानीय लोगों ने जूर्स कंट्री के समीप चल रहे ठेके पर ताला जड़कर जोरदार विरोध प्रदर्शन किया। यह वही ठेका है, जिसके खिलाफ दो माह पूर्व भी प्रदर्शन हुआ था। उस समय प्रशासन ने तीन माह के भीतर ठेका स्थानांतरित करने का लिखित आश्वासन दिया था, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई।

प्रदर्शन के पीछे आक्रोश का कारण
स्थानीय निवासियों का कहना है कि ठेका रिहायशी क्षेत्र में होने के कारण महिलाओं और बच्चों का घर से निकलना दूभर हो गया है। शराबियों की भीड़, सड़क पर हो रहे झगड़े, गाली-गलौच और अभद्र व्यवहार से माहौल बिगड़ता जा रहा है। ठेके के आसपास स्कूल, मंदिर और कॉलोनियां हैं, जिससे सामाजिक और धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंच रही है।

तो क्या ‘मिलीभगत से फलफूल रहा नशे का धंधा’
प्रदर्शन कर रहे नागरिकों का आरोप है कि प्रशासन और शराब माफिया की मिलीभगत के चलते ठेका आज तक नहीं हटाया गया। क्षेत्रवासी फिरोज आलम ने कहा, “यह ठेका शराब नहीं, ज़हर बांट रहा है। हम इसे अब और बर्दाश्त नहीं करेंगे। यदि प्रशासन ने जल्द ठेका नहीं हटाया तो हम चक्का जाम से लेकर न्यायालय तक का रुख करेंगे।”

 

स्थानीय निवासी जेपी जुयाल ने कहा: “यह पूरे समाज की आत्मा का अपमान है। हमारे बच्चों का भविष्य इस नशे के माहौल में सुरक्षित नहीं रह सकता। यह ठेका हर हाल में हटेगा, चाहे इसके लिए हमें कोई भी कीमत क्यों न चुकानी पड़े।”

जनता का आरोप—कानून को ताक पर रखा गया
नियमों के अनुसार, शराब के ठेके धार्मिक स्थलों और शिक्षण संस्थानों से कम से कम 100 मीटर की दूरी पर होने चाहिए, लेकिन यहां यह ठेका मंदिर और स्कूल के बीचोंबीच चल रहा है। स्थानीय नागरिकों ने प्रशासन पर आरोप लगाया कि वह नियमों की खुलेआम अनदेखी कर रहा है और माफियाओं को संरक्षण दे रहा है।

अब आर-पार की लड़ाई का ऐलान
प्रदर्शनकारियों ने चेतावनी दी है कि यदि तय समयसीमा के भीतर ठेका नहीं हटाया गया, तो इस आंदोलन को जिला स्तर पर व्यापक रूप दिया जाएगा। मोहल्लों में बैठकें शुरू हो चुकी हैं और आंदोलन की रणनीति तैयार की जा रही है। महिलाओं और युवाओं की भागीदारी से यह स्पष्ट संकेत मिल रहा है कि अब यह केवल एक मोहल्ले की लड़ाई नहीं, पूरे हरिद्वार की चेतावनी है।

प्रशासन की चुप्पी पर उठे सवाल
अब तक न तो आबकारी विभाग ने कोई प्रतिक्रिया दी है और न ही जिला प्रशासन ने स्थिति स्पष्ट की है। स्थानीय लोगों का कहना है कि यदि प्रशासन खुद कार्रवाई नहीं करता, तो यह मामला जनहित याचिका के ज़रिए उच्च न्यायालय तक ले जाया जाएगा।

रिहायशी क्षेत्रों में शराब के ठेके केवल नशे के अड्डे नहीं, बल्कि सामाजिक विघटन के केंद्र बनते जा रहे हैं। ज्वालापुर में उपजा यह जनआक्रोश केवल एक ठेके के खिलाफ नहीं, बल्कि उस व्यवस्था के विरुद्ध है जो जनता की भावनाओं और सुरक्षा को दरकिनार कर लाभ के समीकरण साधती है। अब फैसला प्रशासन को करना है—जनता के साथ या माफिया के पक्ष में।

जिला आबकारी अधिकारी कैलाश बिनजोला ने बताया कि दोनों पक्षों से बातचीत की जा चुकी है और प्रशासन मामले को सुलझाने की दिशा में गंभीर है। उन्होंने कहा कि वर्तमान परिस्थितियों को देखते हुए सभी पहलुओं पर विचार किया जा रहा है। जल्द ही ऐसा रास्ता निकाला जाएगा जिससे किसी पक्ष को नुकसान न हो और विवाद का स्थायी समाधान सुनिश्चित किया जा सके। प्रशासन पूरी निष्पक्षता के साथ आवश्यक कार्रवाई करेगा।

ठेका संचालक योगेन्द्र शर्मा ने बताया कि ठेका बंद होने से उन्हें भारी नुकसान हो रहा है, जिससे सरकार को दिया जाने वाला राजस्व जमा करना संभव नहीं होगा। उन्होंने प्रशासन से अनुरोध किया कि यदि उन्हें 15 से 20 दिन का समय दिया जाए, तो वह ठेका किसी अन्य स्थान पर स्थानांतरित कर लेंगे। उनका कहना है कि वे नियमों का पालन करना चाहते हैं, लेकिन इसके लिए प्रशासनिक सहयोग आवश्यक है।

 

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