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किर्बी कंपनी में श्रमिक अधिकारों का हनन एवं त्रिपक्षीय समझौते का उल्लंघन: त्वरित हस्तक्षेप की आवश्यकता,, क्या भगवान का भंडारा करने पर क्रिबी कंपनी ने छीन ली नौकरी,या है कुछ और माया जाल, कामकाज ठप कर क्रिबी कंपनी के श्रमिक अनिश्चितकालीन हड़ताल पर बैठे,अपने साथियों को काम पर बहाल करने के साथ नौ सुत्रीय मांगों को लेकर सौंप दिया ज्ञापन

इन्तजार रजा हरिद्वार-किर्बी कंपनी में श्रमिक अधिकारों का हनन एवं त्रिपक्षीय समझौते का उल्लंघन: त्वरित हस्तक्षेप की आवश्यकता,, क्या भगवान का भंडारा करने पर क्रिबी कंपनी ने छीन ली नौकरी,या है कुछ और माया जाल, कामकाज ठप कर क्रिबी कंपनी के श्रमिक अनिश्चितकालीन हड़ताल पर बैठे,अपने साथियों को काम पर बहाल करने के साथ नौ सुत्रीय मांगों को लेकर सौंप दिया ज्ञापन

हरिद्वार के सिडकुल रोशनाबाद स्थित किर्बी कंपनी, श्रमिक प्रतिनिधियों एवं श्रम विभाग की उपस्थिति में एक त्रिपक्षीय समझौता संपन्न हुआ था, जिसका उद्देश्य श्रमिकों के हितों की रक्षा करना, कार्यस्थल पर शांतिपूर्ण माहौल बनाए रखना और प्रबंधन एवं कर्मचारियों के बीच विश्वास बहाल करना था। लेकिन बड़े खेद के साथ कहना पड़ रहा है कि कंपनी प्रबंधन द्वारा इस समझौते का न केवल उल्लंघन किया गया है, बल्कि श्रमिकों के संवैधानिक अधिकारों का भी निरंतर दमन किया जा रहा है।

 

1. विभाग परिवर्तन के नाम पर उत्पीड़न और दुर्घटना
कंपनी प्रबंधन ने समझौते के स्पष्ट प्रावधानों का उल्लंघन करते हुए श्रमिक समिति के सदस्य श्री जयभगवान सहित कई श्रमिकों का विभाग बिना उनकी सहमति और उचित प्रशिक्षण के बदल दिया। इससे कार्यस्थल पर असुरक्षा की स्थिति उत्पन्न हो गई। श्री जयभगवान को अपरिचित कार्य में लगाते हुए प्रबंधन ने लापरवाही की, जिससे वे गंभीर रूप से घायल हुए और उनकी दो पसलियां फ्रैक्चर हो गईं। यह घटना न केवल श्रम कानूनों का उल्लंघन है, बल्कि मानवाधिकारों का भी सीधा हनन है।

 

2. कैंटीन में भोजन की गुणवत्ता और स्वास्थ्य संकट
श्रमिकों को प्रदान किया जाने वाला भोजन निरंतर खराब गुणवत्ता का रहा है। कई बार भोजन में कीड़े पाए गए हैं, जिससे श्रमिकों की सेहत पर गंभीर प्रभाव पड़ रहा है। इस संबंध में कंपनी प्रबंधन को बार-बार लिखित और मौखिक रूप से अवगत कराया गया, परंतु कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया। यह श्रमिकों के बुनियादी अधिकार—स्वास्थ्य और स्वच्छता—का उल्लंघन है।

3. कंपनी परिसर में असामाजिक तत्वों की उपस्थिति
8 मार्च 2025 को श्रमिक श्री संदीप पर हमला करने वाले असामाजिक तत्व दिनांक 10 अप्रैल को पुनः कंपनी परिसर में देखे गए। इस पर जब श्रमिकों ने शांतिपूर्ण प्रतिवाद कर प्रबंधन से उनके निष्कासन की मांग की, तो उल्टे प्रबंधन ने श्रमिकों को ही धमकाना शुरू कर दिया और असामाजिक तत्वों को संरक्षण देना जारी रखा। इससे साफ है कि प्रबंधन श्रमिकों की सुरक्षा को लेकर गंभीर नहीं है।

4. श्रमिक संगठन का गठन और लोकतांत्रिक प्रक्रिया का अनादर
दिनांक 13 अप्रैल 2025 को श्रमिकों ने लोकतांत्रिक प्रक्रिया के तहत “किर्बी श्रमिक कमेटी” का गठन किया और दिनांक 15 अप्रैल को एक सामूहिक मांग पत्र आपके कार्यालय में प्रस्तुत किया, जिसकी प्रति प्रबंधन को भी डाक द्वारा भेजी गई है। इस संगठन का उद्देश्य केवल श्रमिकों की आवाज़ को एकजुट करना और कानूनी ढंग से अपने हक की मांग करना है।

5. श्रमिक नेताओं का निलंबन – प्रतिशोध की कार्रवाई
प्रबंधन ने पूर्वाग्रह से ग्रसित होकर दिनांक 18 अप्रैल को श्रमिक समिति के तीन पदाधिकारियों और दो अन्य श्रमिकों को बिना किसी कारण और पूर्व सूचना के निलंबित कर दिया है। यह कार्यवाही प्रतिशोध की भावना से की गई है, जिससे कंपनी में तनाव और आक्रोश की स्थिति उत्पन्न हो गई है।

6. धार्मिक आयोजन पर अनुचित कार्रवाई – जबलपुर मामला
एक अन्य शाखा जबलपुर में भी धार्मिक आयोजन के नाम पर श्रमिकों को नौकरी से निकाला गया। श्रमिकों ने श्रमिक संगठन के बैनर तले एक शांतिपूर्ण भंडारा आयोजित किया था, जिसे अनुशासनहीनता करार देकर कुछ कर्मचारियों को सेवा से मुक्त कर दिया गया। यह कार्रवाई भी इस बात को दर्शाती है कि कंपनी प्रबंधन न केवल श्रमिक हितों की उपेक्षा कर रहा है, बल्कि धार्मिक स्वतंत्रता जैसे मूल अधिकारों का भी दमन कर रहा है।

7. प्रशासन और सरकार से अपेक्षित हस्तक्षेप
हमारा आपसे आग्रह है कि आप इस मामले में त्वरित हस्तक्षेप करते हुए निम्नलिखित माँगों पर शीघ्र कार्रवाई सुनिश्चित करें:

1. निलंबित श्रमिकों की तत्काल बहाली की जाए, ताकि कार्यस्थल पर विश्वास बहाल हो सके।

2. कैंटीन की गुणवत्ता में सुधार कर, नियमित जांच एवं निगरानी की व्यवस्था की जाए।

3. सामूहिक मांग पत्र पर शीघ्र वार्ता प्रारंभ करवाई जाए, ताकि समस्याओं का शांतिपूर्ण समाधान निकाला जा सके।

4. बिना सहमति एवं प्रशिक्षण के विभाग परिवर्तन की प्रक्रिया पर रोक लगाई जाए।

5. कंपनी परिसर में असामाजिक तत्वों के प्रवेश पर पूर्ण प्रतिबंध लगाया जाए।

6. मानसिक प्रताड़ना और धमकी की प्रवृत्ति पर कठोर नियंत्रण लगाया जाए।

7. 23 फरवरी के सरकारी अवकाश पर करवाए गए कार्य के लिए ओवरटाइम भुगतान सुनिश्चित किया जाए।

8. पे-स्लिप में श्रमिकों की वास्तविक ड्यूटी के दिन दर्शाए जाएं, जिससे पारदर्शिता बनी रहे।

9. शांतिपूर्ण एवं सम्मानजनक कार्यस्थल वातावरण की गारंटी दी जाए।

10. श्रमिकों के संवैधानिक अधिकारों की रक्षा हेतु ठोस कार्यवाही की जाए।

 

उपरोक्त समस्त बिंदु इस बात का प्रमाण हैं कि किर्बी कंपनी प्रबंधन श्रमिकों के हितों के प्रति गंभीर नहीं है तथा वह समझौतों और कानूनों का पालन नहीं कर रहा। यदि समय रहते इस पर हस्तक्षेप नहीं किया गया, तो यह विवाद और भी गहरा हो सकता है, जिससे औद्योगिक अशांति उत्पन्न होगी और श्रमिकों का मनोबल टूटेगा। अतः आपसे पुनः निवेदन है कि कृपया इस मामले को गंभीरता से लेते हुए समुचित कार्रवाई करें ताकि कार्यस्थल पर न्याय, शांति और सम्मान बना रहे।

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