एजिल्स एकेडमी सिनियर सैकेंडरी स्कूल बहादराबाद मासूम से यौन उत्पीड़न मामला,छह साल की मासूम से दरिंदगी, आरोपी बस चालक को थी पोर्न देखने की लत, स्कूल प्रशासन की भूमिका पर सवाल, भाजपा नेत्री प्रिंसिपल भूमिगत, जांच जारी

इन्तजार रजा हरिद्वार- एजिल्स एकेडमी सिनियर सैकेंडरी स्कूल बहादराबाद मासूम से यौन उत्पीड़न मामला,छह साल की मासूम से दरिंदगी, आरोपी बस चालक को थी पोर्न देखने की लत, स्कूल प्रशासन की भूमिका पर सवाल, भाजपा नेत्री प्रिंसिपल भूमिगत, जांच जारी
हरिद्वार/बहादराबाद:
एजिल्स एकेडमी सीनियर सैकेंडरी स्कूल, बहादराबाद में छह वर्षीय छात्रा के साथ हुए यौन उत्पीड़न का मामला न केवल भयावह है, बल्कि समाज और स्कूल व्यवस्थाओं के मौजूदा ढांचे पर भी गंभीर सवाल खड़े करता है। मामले में आरोपी बस चालक मोंटी की गिरफ्तारी के बाद जो तथ्य पुलिस जांच में सामने आ रहे हैं, वे और भी अधिक चिंताजनक हैं। मोंटी के मोबाइल से पोर्न साइट्स की हिस्ट्री सामने आई है, जिसमें वह बार-बार कम उम्र की बच्चियों से संबंधित अश्लील सामग्री देखता था। यह जानकारी पुलिस द्वारा की गई शुरुआती जांच में सामने आई है।
आरोपी की मानसिक विकृति की पोल खोलती जांच
पुलिस सूत्रों के अनुसार, मोंटी उर्फ मोंटी सिंह (उम्र 30 वर्ष), निवासी ब्रम्हपुरी, रावली महदूद, बहादराबाद, के मोबाइल फोन की प्रारंभिक छानबीन में पता चला है कि वह अश्लील साइट्स का आदी था। विशेष रूप से वह नाबालिग बच्चियों से संबंधित पोर्न सर्च करता था। अब इस मोबाइल को फोरेंसिक लैब भेजने की तैयारी की जा रही है ताकि कानूनी कार्यवाही को पुख्ता किया जा सके।
इससे यह सवाल भी उठने लगे हैं कि क्या यह उसका पहला अपराध था, या इससे पहले भी वह किसी मासूम को अपना शिकार बना चुका है? पुलिस की जांच अब इस दिशा में भी आगे बढ़ाई जा रही है।
स्कूल प्रिंसिपल डॉ रश्मि चौहान पर गंभीर आरोप, राजनीतिक रंग में लिपटा मामला
इस पूरे प्रकरण में एजिल्स एकेडमी की प्रधानाचार्य रश्मि चौहान की भूमिका भी कटघरे में है। पीड़िता की मां द्वारा जब स्कूल प्रशासन को पूरे मामले की जानकारी दी गई, तो अपेक्षित कार्यवाही करने की बजाय प्रिंसिपल ने बस चालक को क्लीन चिट दे दी। उलटे मासूम बच्ची और उसकी मां को ही स्कूल से निकाल दिया गया और ट्रांसफर सर्टिफिकेट (TC) थमा दिया गया।
आरोप है कि रश्मि चौहान, जो कि भाजपा की स्थानीय नेत्री भी हैं, ने अभिभावकों को खुलेआम धमकाया कि उनका कुछ नहीं बिगाड़ा जा सकता। इस व्यवहार ने न केवल पीड़ित परिवार को मानसिक रूप से झकझोर दिया, बल्कि शिक्षा व्यवस्था की संवेदनशीलता पर भी प्रश्नचिन्ह लगा दिया।
प्रशासनिक तंत्र और संगठन की आड़ में दबाव की साजिश
सूत्रों के अनुसार, भाजपा नेत्री रश्मि चौहान अब प्राइवेट स्कूल संगठन की आड़ में खुद को निर्दोष साबित करने और पीड़ित पक्ष पर दबाव बनाने की कोशिश में हैं। आशंका जताई जा रही है कि इस संगठन के जरिए मामले को दबाने या कमजोर करने का प्रयास किया जा सकता है। परिवार को डर है कि उनकी बच्ची के भविष्य को लेकर उन पर मनोवैज्ञानिक और सामाजिक दबाव बनाया जा सकता है, ताकि वे मामले को आगे न बढ़ाएं।
पुलिस की तत्परता से खुला मामला, जांच जारी
घटना के सामने आने के बाद बहादराबाद थाना पुलिस ने तत्काल कार्रवाई करते हुए आरोपी बस चालक मोंटी को गिरफ्तार कर लिया था। हालांकि, इस मामले में स्कूल प्रशासन के अन्य सदस्यों की भूमिका की भी जांच की जा रही है। पुलिस का मानना है कि यदि प्रिंसिपल ने समय रहते उचित कार्रवाई की होती, तो अपराध की गंभीरता को रोका जा सकता था।
समाज और स्कूलों के लिए चेतावनी
यह मामला हमें यह सोचने पर मजबूर करता है कि बच्चों की सुरक्षा के प्रति हम कितने लापरवाह हैं। जब एक स्कूल परिसर, जो कि बच्चों के लिए सबसे सुरक्षित स्थान माना जाता है, वहां इस तरह की घटनाएं होती हैं और स्कूल प्रशासन उन्हें दबाने का प्रयास करता है, तो यह पूरे समाज के लिए खतरे की घंटी है।
बच्चों के स्कूल आने-जाने के लिए नियुक्त ड्राइवरों की पृष्ठभूमि की गहन जांच होनी चाहिए। साथ ही स्कूल स्टाफ को समय-समय पर यौन शोषण और बच्चों की सुरक्षा पर प्रशिक्षण देना अनिवार्य होना चाहिए।
राजनीति और शिक्षा का खतरनाक गठजोड़
इस मामले में राजनीतिक हस्तक्षेप का पहलू भी खुलकर सामने आया है। यदि कोई स्कूल संचालक राजनीतिक पदों से जुड़ा हो, तो क्या उसे जवाबदेही से छूट मिलनी चाहिए? यह सवाल सिर्फ इस केस का नहीं है, बल्कि पूरे देश में प्राइवेट स्कूलों में बढ़ती मनमानी और राजनीतिक संरक्षण पर सवाल खड़ा करता है।
पीड़िता के लिए न्याय की मांग
मासूम बच्ची और उसके परिवार को न्याय दिलाने के लिए सामाजिक संगठनों और बाल अधिकार कार्यकर्ताओं ने आवाज उठानी शुरू कर दी है। कई स्थानीय संगठनों ने मांग की है कि स्कूल की मान्यता रद्द की जाए और प्रिंसिपल को तत्काल गिरफ्तार कर सख्त सजा दी जाए।
व्यवस्था में व्यापक सुधार की दरकार
एजिल्स एकेडमी में हुए इस अमानवीय कृत्य ने शिक्षा व्यवस्था, स्कूल प्रशासन, और कानून व्यवस्था की कई खामियों को उजागर कर दिया है। यह आवश्यक है कि स्कूलों में नियुक्त प्रत्येक व्यक्ति की पूरी पृष्ठभूमि की जांच हो, सीसीटीवी निगरानी को अनिवार्य बनाया जाए, और बच्चों को ‘गुड टच-बैड टच’ जैसी शिक्षा प्रारंभिक स्तर से ही दी जाए।
इस प्रकार की घटनाएं केवल कठोर कानून से नहीं, बल्कि संवेदनशीलता, सामाजिक चेतना और पारदर्शी प्रशासन से ही रोकी जा सकती हैं। अब वक्त आ गया है कि समाज मिलकर यह सुनिश्चित करे कि स्कूल बच्चों के लिए डर नहीं, भरोसे की जगह बनें।