बहादराबाद के एक प्रतिष्ठित स्कूल बस में मासूम से हैवानियत — आरोपी चालक गिरफ्तार, स्कूल प्रशासन पर परिजन और पीड़िता को धमकाने का आरोप, मासूम की चुप्पी के पीछे छुपा दर्द, नैतिकता और सुरक्षा व्यवस्था पर बड़ा सवाल, क्या स्कूल प्रशासन की शर्मनाक है भूमिका ?, जनता में पनप रहा रोष, स्कूल प्रशासन पर भी कार्रवाई की मांग की फुंहार
नैतिकता और सुरक्षा व्यवस्था पर बड़ा सवाल,, सरकार और प्रशासन से अपेक्षा, टिकी निगाहें

इन्तजार रजा हरिद्वार- बहादराबाद के एक प्रतिष्ठित स्कूल बस में मासूम से हैवानियत — आरोपी चालक गिरफ्तार, स्कूल प्रशासन पर परिजन और पीड़िता को धमकाने का आरोप, मासूम की चुप्पी के पीछे छुपा दर्द, नैतिकता और सुरक्षा व्यवस्था पर बड़ा सवाल, क्या स्कूल प्रशासन की शर्मनाक है भूमिका ?, जनता में पनप रहा रोष, स्कूल प्रशासन पर भी कार्रवाई की मांग की फुंहार
नैतिकता और सुरक्षा व्यवस्था पर बड़ा सवाल,, सरकार और प्रशासन से अपेक्षा, टिकी निगाहें
हरिद्वार जिले के बहादराबाद क्षेत्र में स्थित एक प्रतिष्ठित प्राइवेट स्कूल एंजिल्स एकेडमी सिनियर सैकेंडरी स्कूल में 6 वर्षीय छात्रा के साथ हुई शर्मनाक घटना ने पूरे जिले को झकझोर कर रख दिया है। मासूम बच्ची ने आरोप लगाया है कि स्कूल बस चालक द्वारा उसके साथ बार-बार छेड़छाड़ की गई और विरोध करने पर चाकू दिखाकर जान से मारने की धमकी दी गई। बच्ची की मां द्वारा थाने में दी गई तहरीर के आधार पर पुलिस ने तत्काल कार्रवाई करते हुए आरोपी चालक को गिरफ्तार कर लिया है। वहीं, स्कूल प्रशासन पर आरोप है कि उसने न केवल मामले को दबाने की कोशिश की, बल्कि पीड़िता और उसकी मां को स्कूल से निकाल दिया।
मासूम की चुप्पी के पीछे छुपा दर्द
यह घटना तब सामने आई जब बच्ची ने अचानक स्कूल जाने से इनकार कर दिया और बार-बार अपने निजी अंगों में दर्द की शिकायत करने लगी। पहले तो परिजन इसे सामान्य बीमारी समझते रहे, लेकिन जब बच्ची ने लगातार स्कूल से बचने की कोशिश की और रोते हुए दर्द की बात कही, तो मां ने गंभीरता से कारण पूछा। तब जाकर बच्ची ने जो खुलासा किया, वह किसी भी माता-पिता के पैरों तले जमीन खिसका देने वाला था।
बच्ची ने बताया कि जिस बस से वह स्कूल जाती है, उस बस का ड्राइवर — जिसका नाम मिन्टु है — सभी बच्चों को स्कूल में उतारने के बाद उसे बस में रोक लेता और उसके साथ गलत हरकतें करता है। जब वह विरोध करती या डर जाती, तो वह उसे चाकू दिखाकर धमकाता कि अगर किसी को बताया, तो जान से मार देगा।
तत्काल बहादराबाद पुलिस ने की तुरंत कार्रवाई, आरोपी चालक गिरफ्तार
बच्ची की मां ने 21 अप्रैल 2025 को थाना बहादराबाद पहुंचकर इस पूरे मामले की लिखित शिकायत दी। तहरीर मिलने के बाद पुलिस ने मु0अ0सं0 170/2025 धारा 64(2)(एम), 64(2)(एफ), 65(2), 351(2) बीएनएस और 19/21 पोक्सो अधिनियम के तहत मुकदमा दर्ज कर लिया। आरोपी चालक मिन्टु पुत्र धर्मवीर, उम्र 30 वर्ष, निवासी ब्रह्मपुरी, रावली महमूद, थाना सिडकुल, हरिद्वार को लोहे के पुल बहादराबाद से गिरफ्तार कर लिया गया।
पुलिस द्वारा बताया गया कि आरोपी से पूछताछ की जा रही है और केस की अग्रिम विवेचना जारी है। बहादराबाद पुलिस की तत्परता इस मामले में सराहनीय रही, जिसने घटना की गंभीरता को समझते हुए तुरंत कार्रवाई की।
क्या स्कूल प्रशासन की शर्मनाक है भूमिका ?
इस पूरी घटना में सबसे अधिक चौंकाने वाली बात यह रही कि जब पीड़िता की मां ने स्कूल प्रशासन में प्रधानाचार्य रश्मि चौहान से शिकायत की, तो उन्हें सहयोग मिलने के बजाय धमकाया गया। शिकायत के बाद न सिर्फ बच्ची को स्कूल से निकाल दिया गया, बल्कि उनकी मां को भी चुप रहने की हिदायत दी गई।
पीड़िता पक्ष का आरोप है कि एंजिल्स एकेडमी सिनियर सैकेंडरी स्कूल की प्रधानाचार्या रश्मि चौहान एक भाजपा नेत्री हैं और उन्होंने अपने प्रभाव का इस्तेमाल करते हुए मामले को दबाने की कोशिश की। यह आरोप बेहद गंभीर हैं, क्योंकि एक शैक्षणिक संस्था का पहला कर्तव्य अपने छात्रों की सुरक्षा है, न कि अपराधी को बचाना
।
बहादराबाद सहित क्षैत्रिय जनता में धीरे धीरे पनप रहा रोष, स्कूल प्रशासन पर भी कार्रवाई की मांग की फुंहार
घटना के सामने आने के बाद बहादराबाद सहित पूरे हरिद्वार में आक्रोश का माहौल पनप रहा है। स्थानीय नागरिक, सामाजिक संगठन और अभिभावक संघ एक सुर में इस मामले में एंजिल्स एकेडमी सिनियर सैकेंडरी स्कूल प्रशासन की भूमिका की निष्पक्ष जांच की मांग कर रहे हैं।
लोगों का कहना है कि जब एक प्रतिष्ठित स्कूल इस तरह की घटनाओं को छुपाने में संलिप्त हो सकता है, तो शिक्षा व्यवस्था की साख पर गंभीर सवाल खड़े होते हैं। कई संगठनों ने स्कूल की मान्यता रद्द करने और प्रधानाचार्या पर कड़ी कार्रवाई की मांग की है।
नैतिकता और सुरक्षा व्यवस्था पर खड़ा हुआ बड़ा सवाल ?
इस घटना ने एक बार फिर से यह स्पष्ट कर दिया है कि बच्चों की सुरक्षा केवल स्कूल की चारदीवारी तक सीमित नहीं होनी चाहिए। स्कूल बसें, ड्राइवर, कंडक्टर — इन सभी की नियमित निगरानी और जांच बेहद जरूरी है। यह सिर्फ कानून की बात नहीं है, यह नैतिकता, मानवता और समाज की सामूहिक जिम्मेदारी का विषय है।
एक 6 साल की मासूम बच्ची, जो दुनिया को समझने की कोशिश कर रही थी, उसके साथ इस तरह की क्रूरता यह दिखाती है कि हम एक संवेदनशील समाज के रूप में कितने असफल हो रहे हैं।
सरकार और प्रशासन से अपेक्षा
अब समय है कि सरकार और प्रशासन इस मामले को उदाहरण बनाएं। न केवल आरोपी को सख्त से सख्त सजा मिले, बल्कि स्कूल प्रशासन की भूमिका की भी निष्पक्ष और गहन जांच हो। अगर राजनीतिक प्रभाव का प्रयोग कर न्याय को दबाने की कोशिश हुई है, तो इसके खिलाफ कड़ा संदेश दिया जाना चाहिए।
साथ ही, यह भी आवश्यक है कि सभी स्कूलों में सुरक्षा मानकों की दोबारा समीक्षा हो, स्कूल बस स्टाफ का पुलिस वेरिफिकेशन नियमित रूप से किया जाए और बच्चों को ‘गुड टच-बैड टच’ जैसी जागरूकता दी जाए।
अब और चुप नहीं बैठेंगे……
यह मामला हमें यह सोचने पर मजबूर करता है कि अगर आज आवाज नहीं उठाई, तो कल और मासूम भी इस क्रूरता का शिकार बनेंगे। यह केवल एक बच्ची की लड़ाई नहीं है — यह हर उस परिवार की लड़ाई है जो अपने बच्चों को स्कूल भेजते हुए यह सोचता है कि वे सुरक्षित हैं।
अब समय है कि हम चुप्पी तोड़ें, अन्याय के खिलाफ खड़े हों और यह सुनिश्चित करें कि भविष्य में कोई भी मासूम ऐसी हैवानियत का शिकार न हो। यह केवल न्याय की नहीं, इंसानियत की भी जीत होनी चाहिए।