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शिवालिक नगर पालिका की पहली बोर्ड बैठक में विकास को मिली रफ्तार, 30 करोड़ का बजट पास, 555 प्रस्तावों पर लगी मुहर, पुलिस की निगरानी में शांतिपूर्ण ढंग से पूरी हुई बैठक, विधायक रहे मौजूद, डीएम का हस्तक्षेप और सख्त सुरक्षा व्यवस्था तीन महीने से लंबित थी बोर्ड बैठक, सभासदों और पालिकाध्यक्ष के बीच सुलह का प्रयास, राजनीतिक खींचतान की पृष्ठभूमि, विधायक आदेश चौहान की रही सक्रिय भूमिका

इन्तजार रजा हरिद्वार-शिवालिक नगर पालिका की पहली बोर्ड बैठक में विकास को मिली रफ्तार,

30 करोड़ का बजट पास, 555 प्रस्तावों पर लगी मुहर,

पुलिस की निगरानी में शांतिपूर्ण ढंग से पूरी हुई बैठक, विधायक रहे मौजूद, डीएम का हस्तक्षेप और सख्त सुरक्षा व्यवस्था

तीन महीने से लंबित थी बोर्ड बैठक,

सभासदों और पालिकाध्यक्ष के बीच सुलह का प्रयास,

राजनीतिक खींचतान की पृष्ठभूमि,

विधायक आदेश चौहान की रही सक्रिय भूमिका

 

शिवालिक नगर पालिका की बहुप्रतीक्षित पहली बोर्ड बैठक शनिवार को जिलाधिकारी के हस्तक्षेप और पुलिस की सख्त निगरानी में शांतिपूर्वक सम्पन्न हुई। इस बैठक में 30 करोड़ रुपये का अनुमानित वार्षिक बजट पास किया गया, जबकि कुल 555 प्रस्तावों को मंजूरी मिली। नगर निकाय चुनावों के तीन माह बाद आयोजित इस बैठक में विकास की नई रूपरेखा को मंजूरी मिली, जिससे क्षेत्र में सकारात्मक बदलाव की आशा बंधी है।


विकास की दिशा में बड़ा कदम: 30 करोड़ का बजट पास

बैठक की सबसे बड़ी उपलब्धि रहा 30 करोड़ रुपये का अनुमानित वार्षिक बजट। इस बजट के माध्यम से पालिका क्षेत्र के समग्र विकास, बुनियादी सुविधाओं की बहाली, अधूरे प्रोजेक्ट्स को पूरा करने और नए निर्माण कार्यों को गति देने की योजना बनाई गई है।

प्रस्तावों की बाढ़

बैठक में प्रारंभ में केवल 29 प्रस्तावों को एजेंडे में शामिल किया गया था, परंतु जैसे ही बोर्ड की चर्चा आगे बढ़ी, सभासदों और पालिकाध्यक्ष की ओर से एक के बाद एक नए प्रस्ताव जोड़े जाने लगे। अंततः कुल 555 प्रस्तावों को मंजूरी दी गई, जिनमें से 530 केवल निर्माण से संबंधित थे। इन प्रस्तावों में शामिल रहे:

  • स्थानीय सड़कों की मरम्मत और नए निर्माण
  • नालियों व जल निकासी व्यवस्था का सुदृढ़ीकरण
  • स्ट्रीट लाइट्स का विस्तार
  • पेयजल योजनाओं का पुनर्गठन
  • पार्कों व सामुदायिक भवनों का निर्माण

इस प्रस्ताव संख्या को देखते हुए यह बैठक विकास कार्यों की दृष्टि से ऐतिहासिक मानी जा रही है।

सभासदों की सक्रियता

सभासदों की सक्रिय भागीदारी बैठक की विशेषता रही। हर वार्ड से संबंधित विकास कार्यों को प्राथमिकता दी गई। सभासदों ने अपने-अपने क्षेत्र की समस्याओं को खुले मन से रखा और अध्यक्ष ने अधिकतर मांगों को बजट के अनुरूप मंजूरी दी।

डीएम का हस्तक्षेप और सख्त सुरक्षा व्यवस्था

तीन महीने से लंबित थी बोर्ड बैठक

7 फरवरी को पालिका बोर्ड ने शपथ ली थी, परंतु उसके बाद लंबे समय तक बोर्ड बैठक नहीं हो सकी। सभासदों की ओर से लगातार मांग की जा रही थी कि बैठक जल्द कराई जाए। 21 अप्रैल को जब कुछ सभासद पालिकाध्यक्ष से मिलने पहुँचे, तो वह अनुपस्थित पाए गए। इसके बाद 23 अप्रैल को 13 में से 12 सभासदों ने जिलाधिकारी को ज्ञापन सौंपा।

जिलाधिकारी की सख्ती से बना रास्ता

सभासदों के दबाव और जनहित के मुद्दों को देखते हुए जिलाधिकारी ने मामले में हस्तक्षेप किया। उन्होंने पालिकाध्यक्ष को निर्देशित किया कि शीघ्र बोर्ड बैठक बुलाई जाए। डीएम के इस हस्तक्षेप से पालिकाध्यक्ष राजीव शर्मा ने बैठक की घोषणा की।

पुलिस बल की तैनाती

बैठक से पूर्व संभावित हंगामे की आशंका को देखते हुए पालिका परिसर में व्यापक पुलिस बंदोबस्त किए गए। हर कोने पर सुरक्षाबल तैनात किए गए थे, जिससे बैठक पूरी तरह से शांति के साथ सम्पन्न हो सकी। अधिकारियों ने संयम और सूझबूझ के साथ स्थिति को नियंत्रित रखा।

सभासदों और पालिकाध्यक्ष के बीच सुलह का प्रयास

राजनीतिक खींचतान की पृष्ठभूमि

पालिका अध्यक्ष राजीव शर्मा और कुछ भाजपा व निर्दलीय सभासदों के बीच पिछले कुछ समय से मतभेद चल रहे थे। यह आशंका थी कि बैठक के दौरान ये मतभेद खुलकर सामने आ सकते हैं, जिससे माहौल गरमा सकता है।

विधायक आदेश चौहान की सक्रिय भूमिका

ऐसे में क्षेत्रीय विधायक आदेश चौहान खुद बैठक में पूरे समय मौजूद रहे। उन्होंने सभासदों को विश्वास में लिया और अध्यक्ष के साथ समन्वय बनाकर बैठक को शांतिपूर्ण बनाने में अहम भूमिका निभाई। माना जा रहा है कि पार्टी स्तर पर उन्हें दोनों पक्षों के बीच टकराव रोकने की जिम्मेदारी दी गई थी।

सभी प्रस्ताव बिना विरोध के पारित

विधायक के हस्तक्षेप और सदस्यों की जिम्मेदारीपूर्ण भूमिका के चलते बैठक बिना किसी हंगामे के समाप्त हुई। सभी प्रस्ताव बहुमत से पारित हुए और कोई मतभेद सार्वजनिक रूप से सामने नहीं आया।


सफाई कर्मियों का धरना और प्रशासन की चुप्पी

धरने का 13वां दिन

बोर्ड बैठक के बाहर पालिका के सफाई कर्मचारी लगातार 13वें दिन भी धरने पर बैठे रहे। उनका विरोध एक सभासद के पति द्वारा की गई कथित अभद्रता को लेकर था। कर्मचारियों की मांग थी कि संबंधित व्यक्ति माफी मांगे या प्रशासन कार्रवाई करे

बैठक के दिन कर्मचारी उम्मीद लगाए बैठे थे कि पालिकाध्यक्ष या अन्य जनप्रतिनिधि कोई समाधान निकालेंगे, लेकिन न तो कोई माफी आई और न ही कोई मध्यस्थता हुई। यह स्थिति दर्शाती है कि प्रशासनिक संवाद की कमी से जमीनी कर्मचारी उपेक्षा महसूस कर रहे हैं।

बैठक समाप्त होने के बावजूद धरना यथावत रहा, जो यह दर्शाता है कि बोर्ड ने इस मुद्दे को प्राथमिकता नहीं दी। यदि भविष्य में यह मुद्दा नहीं सुलझाया गया, तो इससे पालिका की सेवाएं बाधित हो सकती हैं।


जनता की अपेक्षाएं और प्रशासन की जिम्मेदारी

जनता को चाहिए पारदर्शिता

इस बैठक में भारी बजट और बड़ी संख्या में प्रस्तावों को मंजूरी दी गई है। जनता अब उम्मीद कर रही है कि यह सारे निर्णय केवल कागजों तक सीमित न रहें, बल्कि धरातल पर इनका असर दिखे।

निर्माण कार्यों में गुणवत्ता की जांच जरूरी

हर साल कई करोड़ रुपये निर्माण में खर्च होते हैं, लेकिन अक्सर गुणवत्ता पर सवाल उठते हैं। इस बार पारित हुए 530 निर्माण प्रस्तावों की निगरानी, गुणवत्ता और समयबद्धता बेहद अहम होंगी।

सभासदों की भूमिका बड़ी

सभासदों ने इस बार मजबूत तरीके से अपने क्षेत्र की समस्याओं को उठाया। अब यही उम्मीद की जा रही है कि वे इन प्रस्तावों की निगरानी भी उसी जिम्मेदारी के साथ करें ताकि जनता को सीधे लाभ मिले।


: उम्मीदों से भरी शुरुआत

शिवालिक नगर पालिका की यह पहली बोर्ड बैठक प्रशासनिक, राजनीतिक और विकासात्मक दृष्टि से सफल रही। 30 करोड़ रुपये का बजट, 555 प्रस्तावों की मंजूरी और शांति पूर्ण संचालन—यह सब दर्शाता है कि अगर इच्छाशक्ति हो तो टकराव को टाला जा सकता है और विकास की राह प्रशस्त की जा सकती है।

हालांकि, बैठक के बाहर सफाई कर्मियों का धरना और उस पर हुई प्रशासनिक चुप्पी एक चिंताजनक पहलू है, जिसे भविष्य में गंभीरता से लेना होगा। इस बैठक ने एक मजबूत नींव रखी है, अब देखना होगा कि उस पर कितनी मज़बूत इमारत खड़ी होती है।

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