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क्या पिरान कलियर दरगाह की जमीन हड़पी गई है?, वक्फ बोर्ड अध्यक्ष शादाब शम्स ने उठाई सीबीआई जांच की मांग, शादाब शम्स का ऐलान – ‘लुटेरों को सलाखों के पीछे भेजकर दम लेंगे’,, सज्जादा परिवार की सफाई बेअसर, वक्फ बोर्ड का हमला तेज – ‘अब मजारों पर नहीं चलेगी निजी बादशाहत’, शम्स का बड़ा वार: “जिन्होंने खुद को फकीर कहा, वो आज दरगाह के खुदा बन बैठे हैं”, दरगाह की 100 एकड़ जमीन पर सवाल – “किस हक से मालिक बन गए सज्जादा शम्स का सवाल?”, सज्जादा परिवार की दलील – “हम हर जांच को तैयार, लेकिन बदनामी की राजनीति बंद हो”

इन्तजार रजा हरिद्वार- क्या पिरान कलियर दरगाह की जमीन हड़पी गई है?, वक्फ बोर्ड अध्यक्ष शादाब शम्स ने उठाई सीबीआई जांच की मांग, शादाब शम्स का ऐलान – ‘लुटेरों को सलाखों के पीछे भेजकर दम लेंगे’,, सज्जादा परिवार की सफाई बेअसर, वक्फ बोर्ड का हमला तेज – ‘अब मजारों पर नहीं चलेगी निजी बादशाहत’, शम्स का बड़ा वार: “जिन्होंने खुद को फकीर कहा, वो आज दरगाह के खुदा बन बैठे हैं”, दरगाह की 100 एकड़ जमीन पर सवाल – “किस हक से मालिक बन गए सज्जादा शम्स का सवाल?”, सज्जादा परिवार की दलील – “हम हर जांच को तैयार, लेकिन बदनामी की राजनीति बंद हो”

हरिद्वार, पिरान कलियर।
उत्तराखंड की सबसे बड़ी सूफी दरगाहों में शुमार दरगाह साबिर पाक अब विवादों के बवंडर में आ गई है। वर्षों से श्रद्धा और आस्था का केंद्र रही इस दरगाह पर अब वक्फ बोर्ड और सज्जादा नशीन परिवार के बीच जबरदस्त टकराव देखने को मिल रहा है। उत्तराखंड वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष शादाब शम्स ने सीधे तौर पर सज्जादा परिवार पर करोड़ों रुपये की वक्फ संपत्ति हड़पने का आरोप लगाते हुए इसकी सीबीआई जांच की मांग की है। दूसरी ओर, सज्जादा परिवार खुद को पीड़ित बताते हुए सभी आरोपों को झूठा और साजिशन बता रहा है।

लेकिन इस बार वक्फ बोर्ड का तेवर अलग है। पहली बार किसी वक्फ बोर्ड अध्यक्ष ने इस तरह आक्रामक भाषा का इस्तेमाल करते हुए दरगाह से जुड़े शक्तिशाली खानदान को खुली चुनौती दी है – “सज्जादा परिवार ने अगर एक इंच भी वक्फ की ज़मीन कब्जाई है, तो पाई-पाई का हिसाब लिया जाएगा, और हर लुटेरा सलाखों के पीछे होगा।”

शम्स का बड़ा वार: “जिन्होंने खुद को फकीर कहा, वो आज दरगाह के खुदा बन बैठे हैं”

शादाब शम्स ने पिरान कलियर की दरगाह को लेकर जो बयान दिया है, वह सीधे तौर पर सज्जादा नशीन परिवार पर कानूनी, धार्मिक और नैतिक तीनों मोर्चों पर सवाल खड़े करता है। उन्होंने कहा –
“दरगाह के सज्जादा नशीन के पूर्वज कहा करते थे कि हमारे बदन के कपड़े तक साबिर पाक की अमानत हैं। आज वही खानदान दरगाह की 100 एकड़ जमीन का मालिक बन बैठा है! ये जमीन वक्फ की है – अल्लाह की अमानत, न कि किसी खानदानी वारिस की जागीर।”उन्होंने यह भी कहा कि यह मामला आस्था से जुड़ा है, और आस्था से बड़ी कोई अदालत नहीं होती। “हमने प्रधानमंत्री, गृहमंत्री और मुख्यमंत्री को लिखा है कि इस मामले की सीबीआई जांच करवाई जाए। जो भी दोषी होगा, उसे जेल भेजा जाएगा – चाहे वह कितनी भी बड़ी रसूखदार हस्ती क्यों न हो।”

शम्स का कहना है कि दरगाह पर अवैध कब्जा करने वालों ने उसे निजी जायदाद बना लिया है, जहां गरीबों की खिदमत के बजाय आलीशान कोठियां और निजी शानो-शौकत की सत्ता कायम है।

दरगाह की 100 एकड़ जमीन पर सवाल – “किस हक से मालिक बन गए सज्जादा?”

शम्स ने यह दावा भी किया कि वक्फ की रिकॉर्ड में यह 100 एकड़ जमीन दरगाह की संपत्ति के रूप में दर्ज है, और इसे सज्जादा परिवार ने वर्षों से अपने नाम कर रखा है। “यह जमीन किसी निजी मिल्कियत की तरह बेची और खरीदी जा रही है, जबकि यह वक्फ संपत्ति है। इससे वक्फ की व्यवस्था को, गरीबों के हक को और पूरे सूफी परंपरा को नुकसान हो रहा है। यह सिर्फ कानूनी नहीं, धार्मिक अपराध भी है।”उन्होंने सज्जादा परिवार पर आय-व्यय का कोई लेखा-जोखा न देने और वक्फ बोर्ड की संस्तुतियों की अनदेखी करने का आरोप लगाया।
“वक्फ बोर्ड की नोटिसों का जवाब तक नहीं दिया जाता। इनकी ताकत इतनी है कि इन्होंने वक्फ की कई फाइलें गायब करवा दीं। लेकिन अब सब खुलेगा – एक-एक दस्तावेज़ खंगाले जा रहे हैं।”

सज्जादा परिवार की दलील – “हम हर जांच को तैयार, लेकिन बदनामी की राजनीति बंद हो”

वहीं, इस पूरे मामले में दरगाह साबिर पाक के सज्जादा नशीन परिवार के प्रतिनिधि असद साबरी ने वक्फ बोर्ड के आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया है। उन्होंने कहा,
“शादाब शम्स जब से चेयरमैन बने हैं, तभी से उन्होंने इस मुद्दे को बार-बार उठाकर माहौल खराब करने की कोशिश की है। हम हर तरह की जांच को तैयार हैं – बस वो निष्पक्ष होनी चाहिए।”

उन्होंने कहा कि वक्फ बोर्ड खुद इस जमीन को लेकर सुप्रीम कोर्ट तक कई बार मुकदमा हार चुका है। “अगर अदालतें कह चुकी हैं कि यह जमीन हमारी है, तो अब बार-बार वक्फ का दावा करना केवल सस्ती लोकप्रियता हासिल करने का जरिया है।” असद साबरी ने सरकार के हालिया वक्फ कानून का हवाला देते हुए कहा कि जो संपत्ति वक्फ के नाम रजिस्टर नहीं है, उसे वक्फ संपत्ति नहीं माना जा सकता। उन्होंने शम्स के बयानों को “राजनीति से प्रेरित” और “धार्मिक भावनाओं को भड़काने वाला” बताया।

वक्फ बोर्ड का जवाब – “सज्जादा परिवार को कानून से ऊपर नहीं बनने देंगे”

वक्फ बोर्ड की ओर से असद साबरी के जवाब पर भी तीखी प्रतिक्रिया आई है। शादाब शम्स ने दो टूक कहा –
“अगर सज्जादा परिवार सुप्रीम कोर्ट का हवाला देता है, तो वक्फ बोर्ड कानून का पालन कराएगा। जो जमीन वक्फ की है, वो वापस ली जाएगी। न कोई अदालत अल्लाह की अमानत को किसी खानदान की जागीर मानेगी और न ही हम इसे बर्दाश्त करेंगे।”

वक्फ बोर्ड का कहना है कि सिर्फ पिरान कलियर नहीं, पूरे उत्तराखंड और देश भर में हजारों एकड़ वक्फ संपत्तियों पर इसी तरह के कब्जे हैं। “ये कोई इकलौता मामला नहीं, लेकिन एक मिसाल जरूर बनेगा। सज्जादा परिवार की यह ‘पवित्र प्राइवेट लिमिटेड’ अब नहीं चलेगी,” शम्स ने कटाक्ष करते हुए कहा।

धार्मिक और सामाजिक प्रभाव – क्या दरगाहें अब खानदानी दुकानें बन चुकी हैं?

इस विवाद ने एक बड़ा और अहम सवाल खड़ा कर दिया है – क्या भारत की दरगाहें अब खानदानी दुकानें बन चुकी हैं? वक्फ बोर्ड का कहना है कि कई दरगाहों को वंशानुगत कब्जे ने खात्मे के कगार पर पहुंचा दिया है।

शम्स ने कहा, “जहां कभी गरीबों के लिए लंगर चलता था, वहां अब आलीशान फार्महाउस हैं। जहां कभी अल्लाह का नाम गूंजता था, वहां अब खानदानी बोर्ड लगे हैं। ये दरगाह नहीं, अब पारिवारिक संपत्ति बन चुकी हैं। हम इसे बदलेंगे।” इस पूरे मामले में स्थानीय लोगों की राय भी बंटी हुई है। कुछ लोग सज्जादा परिवार के प्रति निष्ठावान हैं, तो कई लोगों ने वक्फ बोर्ड की पहल को ऐतिहासिक कदम बताया है।

अब आगे क्या? – वक्फ बोर्ड तैयार कर रहा दस्तावेज़ी रिपोर्ट, सीबीआई को सौंपे जाएंगे सबूत

वक्फ बोर्ड सूत्रों के अनुसार, बोर्ड अब दरगाह की सम्पत्ति से जुड़े सभी दस्तावेज़, नक्शे, राजस्व रिकॉर्ड और आय-व्यय विवरण को इकट्ठा कर रहा है। एक उच्चस्तरीय दस्तावेज़ी रिपोर्ट सीबीआई को सौंपने की तैयारी चल रही है। इस रिपोर्ट में जमीन के स्वामित्व, कथित कब्जे, आय के स्रोत, किरायेदारों और संपत्ति के व्यावसायिक उपयोग से जुड़े तमाम तथ्यों को शामिल किया जा रहा है। एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, “हमारी रणनीति साफ है – कानून और सबूतों के साथ आगे बढ़ना। कोई भी रसूख जांच से नहीं बचेगा।”

आस्था की जमीन पर सियासत नहीं, न्याय का हक बनता है

दरगाह साबिर पाक पर शुरू हुआ यह विवाद अब केवल एक संपत्ति विवाद नहीं रहा। यह एक सामाजिक, धार्मिक और कानूनी युद्ध बन चुका है – जहां एक तरफ वक्फ बोर्ड आस्था की रक्षा की बात कर रहा है, तो दूसरी ओर सज्जादा परिवार अपने ‘अधिकारों’ की दुहाई दे रहा है।परंतु जिस तीव्रता और आक्रामकता से वक्फ बोर्ड ने मोर्चा खोला है, उससे यह स्पष्ट है कि इस बार मामला दबने वाला नहीं है। सवाल यह नहीं कि सज्जादा कौन है – सवाल यह है कि मालिक कौन है?

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