हरिद्वार सहित छह जिलों में सिविल डिफेंस फोर्स की तैनाती की तैयारी आपदा प्रबंधन से लेकर सीमा सुरक्षा तक सिविल डिफेंस की होगी अहम भूमिका देहरादून मॉडल को आधार बनाकर पूरे राज्य में सिविल सुरक्षा नेटवर्क का विस्तार, देहरादून बना रोल मॉडल, अब बाकी जिलों में दोहराई जाएगी सफलता, कोटद्वार, रुड़की और हल्द्वानी को भी जल्द योजना में जोड़ने की तैयारी

इन्तजार रजा हरिद्वार- हरिद्वार सहित छह जिलों में सिविल डिफेंस फोर्स की तैनाती की तैयारी
आपदा प्रबंधन से लेकर सीमा सुरक्षा तक सिविल डिफेंस की होगी अहम भूमिका
देहरादून मॉडल को आधार बनाकर पूरे राज्य में सिविल सुरक्षा नेटवर्क का विस्तार, देहरादून बना रोल मॉडल, अब बाकी जिलों में दोहराई जाएगी सफलता, कोटद्वार, रुड़की और हल्द्वानी को भी जल्द योजना में जोड़ने की तैयारी
उत्तराखंड में अब नागरिकों की सुरक्षा और आपदा प्रबंधन को लेकर एक बड़ी पहल की जा रही है। राज्य सरकार ने सिविल डिफेंस को लेकर अपनी रणनीति का विस्तार करते हुए अब केवल देहरादून तक सीमित न रखकर हरिद्वार, उधम सिंह नगर, चंपावत, पिथौरागढ़, चमोली और उत्तरकाशी जैसे छह और जिलों में सिविल डिफेंस यूनिट स्थापित करने की तैयारी कर ली है। यह कदम न केवल आपदा प्रबंधन को मजबूत करेगा, बल्कि सीमावर्ती इलाकों में आतंरिक सुरक्षा को भी नई ताकत देगा।
सीमावर्ती जिलों में बढ़ेगी सुरक्षा, तैयार होगी प्रशिक्षित नागरिक सेना
उत्तराखंड की भौगोलिक स्थिति इसे विशेष बनाती है। उत्तर में चीन और नेपाल की सीमाएं, दक्षिण में घनी आबादी वाले शहर, और बीच में आपदा-प्रवण पहाड़ी क्षेत्र—इन सभी को सुरक्षित रखना सरकार की प्राथमिकता है। यही वजह है कि राज्य सरकार अब सिविल डिफेंस फोर्स को सिर्फ देहरादून तक सीमित न रखकर राज्य के अन्य संवेदनशील जिलों तक फैलाने जा रही है।
इनमें से कुछ जिले जैसे कि पिथौरागढ़, चंपावत और चमोली, अंतरराष्ट्रीय सीमा से सटे हुए हैं, जबकि हरिद्वार, उधम सिंह नगर और उत्तरकाशी में धार्मिक, औद्योगिक और पर्यटन गतिविधियाँ अधिक होती हैं। ये इलाके बाढ़, भूस्खलन, अग्निकांड, और अन्य प्राकृतिक आपदाओं के खतरे में भी रहते हैं। सिविल डिफेंस यूनिट के जरिए इन क्षेत्रों में प्रशिक्षित स्वयंसेवकों की एक ऐसी फोर्स तैयार की जाएगी जो आपातकालीन परिस्थितियों में त्वरित प्रतिक्रिया दे सके। राज्य सरकार ने इस विस्तार की योजना को लेकर केंद्रीय गृह मंत्रालय को प्रस्ताव भेजने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। इसमें प्रत्येक जिले की जनसंख्या, भौगोलिक स्थिति, और सुरक्षा संवेदनशीलता को आधार बनाया गया है।
देहरादून बना रोल मॉडल, अब बाकी जिलों में दोहराई जाएगी सफलता
देहरादून में सिविल डिफेंस की शुरुआत वर्ष 1970 में हुई थी, जब यहां की जनसंख्या महज चार लाख थी। उस समय 22 सिविल डिफेंस पोस्ट बनाए गए थे। धीरे-धीरे जैसे-जैसे शहर बढ़ा, खतरे भी बढ़े और जरूरतें भी। वर्तमान में देहरादून में लगभग 250 से अधिक सिविल डिफेंस वार्डन सक्रिय हैं, जो आगजनी, यातायात नियंत्रण, आपदा बचाव कार्यों और सामुदायिक प्रशिक्षण में योगदान दे रहे हैं।
इसी मॉडल को देखते हुए राज्य सरकार ने निर्णय लिया है कि शेष जिलों में भी इसी तरह के प्रशिक्षित वालंटियर तैयार किए जाएंगे। इनके लिए जिला स्तर पर कार्यालय, कंट्रोल रूम, उपकरण और प्रशिक्षण केंद्र की व्यवस्था की जाएगी। साथ ही, स्थानीय प्रशासन के साथ इनकी नियमित समन्वय बैठकें भी होंगी। विशेषज्ञों का मानना है कि देहरादून मॉडल को पूरे राज्य में लागू करना एक दूरगामी और व्यावहारिक कदम है। इससे न केवल नागरिकों में सुरक्षा के प्रति जागरूकता बढ़ेगी बल्कि युवाओं को सामाजिक सेवा का अवसर भी मिलेगा।
कोटद्वार, रुड़की और हल्द्वानी को भी योजना में जोड़ने की तैयारी
बैठक में यह भी सुझाव आया कि केवल सीमावर्ती और बड़े जिलों तक ही नहीं, बल्कि तेजी से विकसित हो रहे शहरों जैसे कोटद्वार, रुड़की और हल्द्वानी को भी इस योजना में शामिल किया जाए। इन शहरों की जनसंख्या में लगातार वृद्धि हो रही है और औद्योगिक व आवासीय विकास के चलते जोखिम भी बढ़ा है।
हालांकि इन शहरों को सिविल डिफेंस विस्तार योजना में शामिल करने का अंतिम निर्णय केंद्र सरकार द्वारा अनुमोदन के बाद ही लिया जाएगा। राज्य सरकार ने इन शहरों की स्थिति का आंकलन करते हुए प्रस्ताव में इसे भी सम्मिलित करने की सिफारिश की है।
भविष्य की योजना: सिविल डिफेंस को डिजिटली सशक्त बनाने की दिशा में कदम
राज्य सरकार की योजना सिर्फ यूनिट स्थापित करने तक सीमित नहीं है। भविष्य में सिविल डिफेंस को तकनीकी रूप से भी मजबूत किया जाएगा। मोबाइल एप्लिकेशन, GPS ट्रैकिंग, डिजिटल मैपिंग और त्वरित संदेश सेवाओं के जरिए हर वार्डन को रियल-टाइम अलर्ट, दिशा-निर्देश और आवश्यक संसाधन प्राप्त होंगे।
इसके अलावा स्कूलों, कॉलेजों और सामाजिक संगठनों के साथ मिलकर सिविल डिफेंस ट्रेनिंग कैंप आयोजित किए जाएंगे, जिससे जनसामान्य को भी आपदा प्रबंधन और प्राथमिक चिकित्सा के प्रति प्रशिक्षित किया जा सके।
एक सशक्त, प्रशिक्षित और सजग नागरिक सुरक्षा बल की ओर कदम
उत्तराखंड सरकार का यह निर्णय राज्य की सुरक्षा संरचना को और मजबूत बनाने की दिशा में एक अहम कदम है। सीमावर्ती, औद्योगिक और धार्मिक क्षेत्रों में सिविल डिफेंस यूनिट की स्थापना से न केवल आपदा के समय त्वरित कार्रवाई संभव होगी, बल्कि जनसहभागिता और सामाजिक उत्तरदायित्व की भावना को भी बढ़ावा मिलेगा।
यह योजना यदि केंद्र सरकार से स्वीकृति प्राप्त करती है तो भविष्य में उत्तराखंड न केवल आपदा प्रबंधन में बल्कि नागरिक सुरक्षा के क्षेत्र में भी देशभर के लिए एक आदर्श मॉडल बनकर उभरेगा।