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रानीपुर पुलिस और समाजसेवी राव धन्नू की संयुक्त मुहिम रंग लाई, गड्ढा मुक्त सड़क की पहल से बदली तस्वीर,अब सलेमपुर-दादुपुर सुमन नगर गंग नहर पटरी की टूटी सड़क बन रही विकास का प्रतीक, राव धन्नू की पहल बनी उम्मीद की किरण, श्रमदान से बना सामाजिक मॉडल, प्रशासन के लिए एक संदेश एक चेतावनी 

स्थानीय दुकानदारों, महिलाओं और राहगीरों ने इस अभियान का खुलकर स्वागत किया। सुमन नगर के एक दुकानदार ने कहा, "हमने कई बार शिकायतें कीं, लेकिन पहली बार कोई खुद आकर गड्ढे भरता दिखा। राव धन्नू और पुलिस का धन्यवाद।" वहीं एक बुजुर्ग महिला ने कहा, "अब हम आराम से निकल सकते हैं। पहले तो डर लगता था कि कहीं गिर न जाएं।" स्कूली बच्चों और कॉलेज छात्रों ने भी इस पहल को "प्रेरणादायक" बताया और आगे ऐसे अभियानों में भाग लेने की इच्छा जताई। प्रशासन के लिए एक संदेश यह अभियान एक चेतावनी भी है—उन विभागों के लिए जो जन समस्याओं पर चुप्पी साधे रहते हैं। जब जनता खुद सड़कों के गड्ढे भरने लग जाए और पुलिस समाजसेवी के साथ मिलकर मरम्मत कार्य करने लगे, तो यह प्रशासन की निष्क्रियता का स्पष्ट संकेत होता है। समाजसेवी राव धन्नू ने भी प्रशासन से अपील की है कि इस क्षेत्र की स्थायी सड़क मरम्मत योजना बनाई जाए। उनका कहना है कि "हम गड्ढे भर सकते हैं, लेकिन स्थायी सड़क निर्माण तो सरकार को ही करना होगा।"

इन्तजार रजा हरिद्वार-रानीपुर पुलिस और समाजसेवी राव धन्नू की संयुक्त मुहिम रंग लाई,

गड्ढा मुक्त सड़क की पहल से बदली तस्वीर,अब सलेमपुर-दादुपुर सुमन नगर गंग नहर पटरी की टूटी सड़क बन रही विकास का प्रतीक, राव धन्नू की पहल बनी उम्मीद की किरण, श्रमदान से बना सामाजिक मॉडल, प्रशासन के लिए एक संदेश एक चेतावनी 

हरिद्वार, उत्तराखंड:
हरिद्वार के सलेमपुर, दादुपुर और सुमन नगर क्षेत्रों में वर्षों से जर्जर पड़ी सड़कों ने अब राहत की सांस ली है। जिन रास्तों पर कभी केवल गड्ढे ही नजर आते थे, अब वहां समतल और सुरक्षित सड़क दिखाई देने लगी है। यह सब मुमकिन हो सका है एक विशेष पहल के तहत—जिसमें एसएसपी हरिद्वार प्रमेन्द्र सिंह डोबाल के निर्देशन में रानीपुर पुलिस प्रभारी निरीक्षक कोतवाली रानीपुर कमल मोहन भंडारी और चौकी प्रभारी सुमन नगर अर्जुन कुमार एवं क्षेत्र के वरिष्ठ समाजसेवी राव धन्नू सहित पुलिस कर्मियों जयदेव और महेंद्र सिंह तोमर ने मिलकर गड्ढा मुक्त सड़क अभियान की शुरुआत की।

लंबे समय से उपेक्षित थीं सड़कें

पथरी पावर हाउस से लेकर सुमन नगर गंगा पटरी तक की सड़कें वर्षों से उपेक्षित थीं। गड्ढों से भरी इन सड़कों पर पैदल चलना तक जोखिम भरा हो गया था। स्थानीय लोग, महिलाएं, बच्चे और स्कूली छात्र-छात्राएं हर दिन जान हथेली पर रखकर इन रास्तों से गुजरते थे। दोपहिया और चारपहिया वाहन चालकों को न केवल वाहनों को क्षति होती थी, बल्कि कई बार दुर्घटनाएं भी हो जाती थीं।

स्थानीय निवासियों ने कई बार जनप्रतिनिधियों, नगर निगम और संबंधित विभागों से शिकायत की। लेकिन न तो किसी अधिकारी ने मौका मुआयना किया और न ही कोई सुधारात्मक कार्य हुआ। विभागीय उदासीनता इतनी अधिक थी कि लगता था मानो इस क्षेत्र को विकास की सूची से बाहर ही कर दिया गया हो।

राव धन्नू की पहल बनी उम्मीद की किरण

ऐसे हालात में सलेमपुर के वरिष्ठ समाजसेवी राव धन्नू ने न केवल इस मुद्दे को गंभीरता से लिया, बल्कि व्यक्तिगत स्तर पर पहल करते हुए रानीपुर पुलिस से संपर्क साधा। उन्होंने स्पष्ट शब्दों में कहा कि अब इंतजार नहीं, एक्शन का समय है। राव धन्नू के प्रयासों का ही नतीजा रहा कि रानीपुर पुलिस ने भी इस सामाजिक कार्य में अपनी भागीदारी दी और “गड्ढा मुक्त सड़क अभियान” की शुरुआत हुई।

इस अभियान की खास बात यह रही कि यह कोई सरकारी योजना नहीं, बल्कि जनसहयोग और सामाजिक उत्तरदायित्व की भावना से उपजा अभियान था। राव धन्नू ने स्थानीय युवाओं और सामाजिक संगठनों को इस कार्य में जोड़ा और रानीपुर पुलिस ने लॉजिस्टिक सहायता उपलब्ध कराई।

श्रमदान से बना सामाजिक मॉडल

अभियान की शुरुआत स्वयं श्रमदान से हुई। राव धन्नू ने फावड़ा उठाया, मिट्टी डाली, और गड्ढों को भरना शुरू किया। यह देखकर स्थानीय लोगों में उत्साह का संचार हुआ और दर्जनों लोग इस अभियान में जुड़ते चले गए। कुछ ने श्रमदान किया, तो कुछ ने आर्थिक सहायता दी, वहीं पुलिस विभाग ने ट्रैक्टर और मजदूरों की व्यवस्था कराई।

एक सप्ताह के भीतर सलेमपुर से सुमन नगर तक की कई मुख्य सड़कों पर बड़े-बड़े गड्ढे भर दिए गए। कहीं ईंटें डाली गईं, कहीं बजरी बिछाई गई, और अस्थायी तौर पर समतलीकरण कर दिया गया। इससे कम से कम आवागमन तो अब सुरक्षित और सरल हो सका है।

पुलिस की छवि में आया सकारात्मक बदलाव

इस पूरी प्रक्रिया में रानीपुर पुलिस की भूमिका बेहद सराहनीय रही। आमतौर पर पुलिस को कानून व्यवस्था तक सीमित माना जाता है, लेकिन इस पहल ने दिखा दिया कि यदि इच्छाशक्ति हो तो पुलिस समाजसेवा में भी अग्रणी भूमिका निभा सकती है।

रानीपुर थाने के अधिकारियों ने स्पष्ट किया कि उनका उद्देश्य केवल ट्रैफिक सुधारना नहीं, बल्कि जनता का भरोसा जीतना भी है। उनका कहना था कि पुलिस केवल अपराध रोकने वाली संस्था नहीं है, बल्कि समाज के हर सकारात्मक कार्य में भागीदार बन सकती है।

जनता की प्रतिक्रियाएं

स्थानीय दुकानदारों, महिलाओं और राहगीरों ने इस अभियान का खुलकर स्वागत किया। सुमन नगर के एक दुकानदार ने कहा, “हमने कई बार शिकायतें कीं, लेकिन पहली बार कोई खुद आकर गड्ढे भरता दिखा। राव धन्नू और पुलिस का धन्यवाद।”

वहीं एक बुजुर्ग महिला ने कहा, “अब हम आराम से निकल सकते हैं। पहले तो डर लगता था कि कहीं गिर न जाएं।”

स्कूली बच्चों और कॉलेज छात्रों ने भी इस पहल को “प्रेरणादायक” बताया और आगे ऐसे अभियानों में भाग लेने की इच्छा जताई।

प्रशासन के लिए एक संदेश

यह अभियान एक चेतावनी भी है—उन विभागों के लिए जो जन समस्याओं पर चुप्पी साधे रहते हैं। जब जनता खुद सड़कों के गड्ढे भरने लग जाए और पुलिस समाजसेवी के साथ मिलकर मरम्मत कार्य करने लगे, तो यह प्रशासन की निष्क्रियता का स्पष्ट संकेत होता है।

समाजसेवी राव धन्नू ने भी प्रशासन से अपील की है कि इस क्षेत्र की स्थायी सड़क मरम्मत योजना बनाई जाए। उनका कहना है कि “हम गड्ढे भर सकते हैं, लेकिन स्थायी सड़क निर्माण तो सरकार को ही करना होगा।”

नवाचार और जनसहयोग का मिश्रण

यह पूरी मुहिम एक उदाहरण बन गई है कि कैसे नवाचार, जनसहयोग और इच्छाशक्ति से समाज में सकारात्मक बदलाव लाया जा सकता है। बिना किसी राजनैतिक लाभ के, बिना किसी सरकारी योजना के—सिर्फ सेवा भावना और सामूहिक चेतना से यह कार्य सफल हुआ।

हरिद्वार के सलेमपुर-दादुपुर-सुमन नगर जैसे क्षेत्रों में “गड्ढा मुक्त सड़क अभियान” केवल एक मरम्मत कार्य नहीं, बल्कि एक सामाजिक क्रांति है। यह दिखाता है कि जब जनता और प्रशासनिक तंत्र का सहयोग होता है, तो कोई भी काम असंभव नहीं। रानीपुर पुलिस और राव धन्नू जैसे समाजसेवियों की पहल को यदि अन्य क्षेत्रों में दोहराया जाए, तो बहुत जल्द उत्तराखंड की सड़कें वास्तव में विकास की राह पर दौड़ती नजर आएंगी।

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