छोटे व्यवसाय को नई उड़ान, स्वरोजगार को धामी सरकार का सहारा, मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना और नैनो योजना का विलय, चार गुणा ऋण और अतिरिक्त सब्सिडी से मिलेगा संबल, महिलाओं, ग्रामीण क्षेत्रों और पारंपरिक उत्पादों को प्राथमिकता, 50 हजार युवाओं को जोड़ने का लक्ष्य

इन्तजार रजा हरिद्वार- छोटे व्यवसाय को नई उड़ान, स्वरोजगार को धामी सरकार का सहारा,
मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना और नैनो योजना का विलय, चार गुणा ऋण और अतिरिक्त सब्सिडी से मिलेगा संबल,
महिलाओं, ग्रामीण क्षेत्रों और पारंपरिक उत्पादों को प्राथमिकता, 50 हजार युवाओं को जोड़ने का लक्ष्य
प्रदेश सरकार द्वारा स्वरोजगार को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से तैयार की गई नई नीति राज्य के युवाओं और बेरोजगारों के लिए आशा की एक नई किरण बनकर उभरी है। मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना (MSY) और अति सूक्ष्म नैनो योजना के समायोजन से बनने वाली इस एकीकृत योजना के तहत सरकार अब छोटे व्यवसाय शुरू करने वालों को उनकी लगाई गई पूंजी की चार गुणा तक ऋण सहायता देने जा रही है। इस नीति को आगामी कैबिनेट बैठक में मंजूरी मिलने की संभावना है।
स्वरोजगार को मिलेगा बढ़ावा, ऋण सीमा दो लाख तक
प्रदेश में पहले से संचालित मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना और अति सूक्ष्म योजना को मिलाकर बनाई गई नई नीति के तहत छोटे व्यवसाय के लिए अधिकतम ऋण सीमा को ₹50,000 से बढ़ाकर ₹2 लाख किया गया है। इससे उन नवाचारों, कारीगरों और स्टार्टअप्स को बल मिलेगा जो सीमित संसाधनों के चलते अपनी योजना को जमीन पर नहीं उतार पा रहे थे। सरकार का यह कदम विशेष रूप से ग्रामीण और अर्ध-शहरी क्षेत्रों में स्वरोजगार की संस्कृति को विकसित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल है।
सस्ती ब्याज दर और आकर्षक सब्सिडी का प्रावधान
नई प्रस्तावित नीति में तीन निवेश श्रेणियों के अनुसार सब्सिडी का स्पष्ट खाका तैयार किया गया है—
- दो लाख तक के निवेश पर
- ए और बी श्रेणी के क्षेत्रों में 30% सब्सिडी
- सी और डी श्रेणी में 25%
- दो से 10 लाख तक के निवेश पर
- ए और बी में 25%
- सी और डी में 20%
- 10 से 25 लाख तक के निवेश पर
- ए और बी में 20%
- सी और डी में 15%
यह श्रेणी विभाजन प्रदेश के भौगोलिक, सामाजिक और आर्थिक विकास के असंतुलन को पाटने में मदद करेगा। साथ ही इससे पिछड़े क्षेत्रों को अतिरिक्त बढ़ावा मिलेगा।
महिलाओं और पारंपरिक उत्पादों को विशेष प्रोत्साहन
नई नीति में महिला उद्यमियों के लिए विशेष प्रावधान जोड़ा गया है, जिसके तहत उन्हें सामान्य सब्सिडी के अतिरिक्त 5 प्रतिशत और दिया जाएगा। इसके अलावा ‘एक जिला दो उत्पाद’ (ODOP) योजना के अंतर्गत या किसी GI टैग प्राप्त उत्पादों के निर्माण पर भी अतिरिक्त सब्सिडी मिलेगी। सरकार की यह पहल पारंपरिक हस्तशिल्प, बुनकरी, फूड प्रोसेसिंग, और लोकल उद्यमों को पुनर्जीवित करने की दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण है।
रोजगार का आंकड़ा और भविष्य की योजना
सरकारी आंकड़ों के अनुसार, वर्ष 2020 से लेकर जनवरी 2025 तक मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना के तहत 31,715 लोगों को विभिन्न व्यवसायों के लिए ऋण उपलब्ध कराया गया। इससे प्रत्यक्ष और परोक्ष रूप से 95,000 से अधिक लोगों को रोजगार मिला। वहीं, अति सूक्ष्म नैनो योजना के तहत 4,658 लाभार्थियों को सहायता दी गई।
नई नीति के लागू होने पर सरकार का लक्ष्य अगले पांच वर्षों में कम से कम 50,000 नए उद्यमियों को स्वरोजगार से जोड़ना है। यह योजना न केवल राज्य की अर्थव्यवस्था को गति देगी, बल्कि पलायन की समस्या पर भी अंकुश लगाने में अहम भूमिका निभाएगी।
कोविड के बाद की अर्थव्यवस्था को सहारा
यह योजना कोविड महामारी के समय प्रारंभ हुई थी जब प्रदेश में रोजगार की भारी कमी थी और वापस लौटे प्रवासी उत्तराखंडियों को रोजगार देने की चुनौती थी। उस दौर में प्रारंभ की गई स्वरोजगार योजनाएं कारगर साबित हुईं, और अब उन्हें अधिक प्रभावी व व्यावहारिक बनाने के उद्देश्य से समायोजित किया जा रहा है।
विनय शंकर पांडे, सचिव, उद्योग विभाग 
“मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना और अति सूक्ष्म नैनो योजना को समायोजित करते हुए नई नीति का प्रस्ताव तैयार कर लिया गया है। इसमें छोटे कारोबारियों को चार गुणा तक ऋण सहायता देने के साथ ही सब्सिडी को भी श्रेणीबद्ध किया गया है। नीति पर शासन स्तर पर परीक्षण हो रहा है और इसे जल्द ही कैबिनेट में चर्चा के लिए रखा जाएगा। हमारा लक्ष्य है कि आगामी पांच वर्षों में कम से कम 50 हजार युवाओं को स्वरोजगार से जोड़ा जाए।”
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का बयान
“उत्तराखंड के युवाओं को आत्मनिर्भर बनाना हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता है। स्वरोजगार के अवसर बढ़ाने के लिए हमने मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना को और व्यापक, सरल और प्रोत्साहनकारी बनाया है। हमारी सरकार चाहती है कि गांव का युवा भी स्थानीय स्तर पर व्यवसाय कर सम्मानपूर्वक जीवन यापन कर सके। नई नीति से सिर्फ रोजगार नहीं मिलेगा, बल्कि राज्य की अर्थव्यवस्था भी मजबूत होगी और पारंपरिक उद्योगों को नवजीवन मिलेगा।”