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हरिद्वार को मिलेगा नया स्वरूप: पर्यटन, विकास और धार्मिक आस्था का संगम ऋषिकेश मास्टर प्लान व शारदा कॉरिडोर पर भी तेज़ी से होगा काम, मुख्य सचिव आनंद बर्द्धन की अध्यक्षता में सचिवालय में हुई महत्वपूर्ण बैठक, हरिद्वार कॉरिडोर को लेकर तय होंगी प्राथमिकताएं, उत्तराखंड की विकास यात्रा में नया अध्याय

इन्तजार रजा हरिद्वार- हरिद्वार को मिलेगा नया स्वरूप: पर्यटन, विकास और धार्मिक आस्था का संगम
ऋषिकेश मास्टर प्लान व शारदा कॉरिडोर पर भी तेज़ी से होगा काम,
मुख्य सचिव आनंद बर्द्धन की अध्यक्षता में सचिवालय में हुई महत्वपूर्ण बैठक, हरिद्वार कॉरिडोर को लेकर तय होंगी प्राथमिकताएं, उत्तराखंड की विकास यात्रा में नया अध्याय

उत्तराखंड में धार्मिक पर्यटन को नई दिशा देने और अवस्थापना विकास को सुदृढ़ करने के उद्देश्य से बुधवार को राज्य के मुख्य सचिव आनंद बर्द्धन की अध्यक्षता में सचिवालय में एक महत्वपूर्ण बैठक आयोजित की गई। बैठक में हरिद्वार कॉरिडोर, ऋषिकेश मास्टर प्लान और शारदा कॉरिडोर जैसे प्रमुख विकास कार्यों की समीक्षा की गई। इस दौरान उत्तराखंड निवेश एवं अवसंरचना विकास बोर्ड (यूआईआईडीबी) द्वारा विस्तृत प्रस्तुतिकरण दिया गया और भविष्य की कार्ययोजना पर चर्चा की गई।

हरिद्वार कॉरिडोर को लेकर तय होंगी प्राथमिकताएं

मुख्य सचिव ने हरिद्वार कॉरिडोर को राज्य का प्रमुख धार्मिक और सांस्कृतिक प्रोजेक्ट मानते हुए निर्देश दिया कि इस परियोजना के अंतर्गत आने वाले सभी कार्यों की प्राथमिकता तय की जाए। उन्होंने स्पष्ट किया कि जो प्रोजेक्ट शीघ्र धरातल पर उतारे जा सकते हैं, उन्हें तुरंत प्राथमिकता दी जाए और उनके क्रियान्वयन में किसी भी प्रकार की देरी न हो।

हरिद्वार कॉरिडोर परियोजना का उद्देश्य न केवल तीर्थयात्रियों की सुविधाओं को बेहतर बनाना है, बल्कि शहर की ऐतिहासिक और धार्मिक छवि को एक समकालीन रूप देना भी है। गंगा घाटों का सौंदर्यीकरण, यातायात व्यवस्था में सुधार, तीर्थ यात्रियों के लिए समुचित आवास और स्वच्छता की व्यवस्था, रिवरफ्रंट विकास और हेरिटेज ट्रेल्स जैसे अनेक पहलू इस परियोजना में शामिल हैं। मुख्य सचिव ने इस दौरान यह भी कहा कि पर्यावरणीय संतुलन को ध्यान में रखते हुए निर्माण कार्य किए जाएं ताकि हरिद्वार की आध्यात्मिक गरिमा और प्राकृतिक सौंदर्य दोनों सुरक्षित रह सकें।

ऋषिकेश मास्टर प्लान को मिलेगा नया आयाम

बैठक में ऋषिकेश मास्टर प्लान की समीक्षा करते हुए अधिकारियों ने बताया कि यह योजना शहर की अनियोजित विकास प्रक्रिया को नियंत्रित करने के लिए तैयार की जा रही है। मुख्य सचिव ने कहा कि ऋषिकेश अंतरराष्ट्रीय स्तर पर योग और ध्यान का केंद्र है, ऐसे में इसकी योजना इस दृष्टि से की जाए कि यहां आने वाले विदेशी पर्यटक और साधक बेहतर सुविधाएं प्राप्त कर सकें। मास्टर प्लान में ट्रैफिक मैनेजमेंट, भवन निर्माण नियंत्रण, नदी किनारे के अतिक्रमणों को हटाने, हरित क्षेत्रों को सुरक्षित करने, पार्किंग व्यवस्था को सुदृढ़ करने, नालों की सफाई और सीवरेज सिस्टम के सुदृढ़ीकरण जैसे कई आयाम शामिल हैं। आनंद बर्द्धन ने स्पष्ट किया कि इस योजना में जनता की भागीदारी भी सुनिश्चित की जाए ताकि स्थानीय लोगों की आवश्यकताओं और सुझावों को भी महत्व मिले।

शारदा कॉरिडोर को लेकर दिखी गंभीरता

बैठक में शारदा कॉरिडोर परियोजना पर भी विशेष ध्यान दिया गया। यह परियोजना भारत-नेपाल सीमा पर स्थित शारदा नदी क्षेत्र में धार्मिक और पर्यटक महत्व की सुविधाएं विकसित करने से जुड़ी है। इसका उद्देश्य सीमावर्ती क्षेत्रों में पर्यटन को बढ़ावा देना, स्थानीय लोगों को रोजगार देना और सांस्कृतिक धरोहरों को पुनर्जीवित करना है।

मुख्य सचिव ने अधिकारियों से कहा कि इस प्रोजेक्ट की विस्तृत कार्ययोजना जल्द से जल्द तैयार कर प्रस्तुत की जाए। इसके लिए भारत और नेपाल के बीच आवश्यक समन्वय भी किया जाएगा। इस कॉरिडोर के विकास से कुमाऊं क्षेत्र के पर्यटन को नई पहचान मिलने की उम्मीद है।

यूआईआईडीबी ने दिए तकनीकी सुझाव

बैठक में उत्तराखंड निवेश एवं अवसंरचना विकास बोर्ड (यूआईआईडीबी) ने हरिद्वार कॉरिडोर, ऋषिकेश मास्टर प्लान और शारदा कॉरिडोर के लिए विस्तृत प्रस्तुति दी। उन्होंने बताया कि इन तीनों परियोजनाओं में स्थायी विकास, पर्यावरणीय अनुकूलता, डिजिटल इंटीग्रेशन और स्मार्ट इंफ्रास्ट्रक्चर पर जोर दिया गया है।

यूआईआईडीबी के अधिकारियों ने यह भी बताया कि परियोजनाओं के लिए आवश्यक वित्तीय संसाधनों के निर्धारण के साथ-साथ विभिन्न केंद्र व राज्य योजनाओं से समन्वय भी स्थापित किया जा रहा है। परियोजना की निगरानी के लिए एक विशेष सेल बनाने का सुझाव भी दिया गया जिससे कार्यों की निरंतर समीक्षा संभव हो सके।

आमजन की सहभागिता और पारदर्शिता पर ज़ोर

मुख्य सचिव ने सभी विभागीय अधिकारियों से कहा कि इन परियोजनाओं के कार्यान्वयन में पारदर्शिता और जवाबदेही सबसे महत्वपूर्ण होनी चाहिए। इसके लिए स्थानीय निकायों, जनप्रतिनिधियों और आम नागरिकों की भागीदारी सुनिश्चित की जाए। सभी विकास कार्यों की अद्यतन जानकारी सार्वजनिक पोर्टल्स पर उपलब्ध कराई जाए जिससे जनता को परियोजनाओं की स्थिति की जानकारी समय-समय पर मिलती रहे।

उन्होंने कहा कि इन परियोजनाओं का क्रियान्वयन एक मिशन मोड में किया जाए और तय समय-सीमा में गुणवत्ता के साथ कार्य पूरे हों। उन्होंने अफसरों को यह भी निर्देश दिया कि जो परियोजनाएं वित्तीय या कानूनी अड़चनों के कारण रुकी हुई हैं, उन्हें जल्द से जल्द सुलझाया जाए।

 उत्तराखंड की विकास यात्रा में नया अध्याय

हरिद्वार, ऋषिकेश और शारदा कॉरिडोर जैसी परियोजनाएं उत्तराखंड की धार्मिक, सांस्कृतिक और आर्थिक स्थिति को सशक्त करने की दिशा में मील का पत्थर साबित हो सकती हैं। इन योजनाओं के सफल क्रियान्वयन से न केवल पर्यटकों और तीर्थयात्रियों को सुविधाएं मिलेंगी, बल्कि राज्य को आर्थिक रूप से भी मजबूती मिलेगी।

मुख्य सचिव आनंद बर्द्धन द्वारा की गई यह बैठक इस बात का संकेत है कि उत्तराखंड सरकार अपने धार्मिक स्थलों के समग्र विकास के प्रति गंभीर है और आने वाले समय में इसका प्रत्यक्ष लाभ जनता को देखने को मिलेगा। आने वाले वर्षों में इन परियोजनाओं के धरातल पर उतरने के बाद उत्तराखंड, विशेषकर हरिद्वार और ऋषिकेश, एक वैश्विक धार्मिक और पर्यटन केंद्र के रूप में अपनी पहचान और मजबूत करेगा।

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