आपदा प्रबंधन में मीडिया की सटीक भूमिका पर मंथन, अफवाहों पर लगाम, सटीक जानकारी और जनसहयोग में मीडिया बन सकता है आपदा का प्रहरी:- डीएम कर्मेंद्र सिंह मीडिया बनाम अफवाह: चुनौती और समाधान पत्रकारिता की नई परिभाषा: संवेदनशीलता के साथ जिम्मेदारी भी जरूरी आपदा प्रबंधन का मजबूत स्तंभ बन सकता है मीडिया

इन्तजार रजा हरिद्वार- आपदा प्रबंधन में मीडिया की सटीक भूमिका पर मंथन,
अफवाहों पर लगाम, सटीक जानकारी और जनसहयोग में मीडिया बन सकता है आपदा का प्रहरी:- डीएम कर्मेंद्र सिंह
मीडिया बनाम अफवाह: चुनौती और समाधान
पत्रकारिता की नई परिभाषा: संवेदनशीलता के साथ जिम्मेदारी भी जरूरी
आपदा प्रबंधन का मजबूत स्तंभ बन सकता है मीडिया
हरिद्वार, 19 मई 2025।
मेला नियंत्रण भवन के सभागार में सोमवार को जिला आपदा प्रबंधन प्राधिकरण हरिद्वार द्वारा आयोजित कार्यशाला में ‘आपदा प्रबंधन में मीडिया की भूमिका’ विषय पर गंभीर विमर्श हुआ। जिलाधिकारी कर्मेंद्र सिंह की अध्यक्षता में संपन्न इस कार्यशाला में आपदा के तीनों चरणों — आपदा पूर्व, आपदा के दौरान और आपदा के बाद — में मीडिया की सकारात्मक और रचनात्मक भूमिका पर विस्तार से चर्चा की गई। कार्यशाला का मुख्य उद्देश्य मीडिया और प्रशासन के मध्य समन्वय स्थापित करना तथा सूचनाओं के आदान-प्रदान में पारदर्शिता और सटीकता को सुनिश्चित करना था।
मीडिया बनाम अफवाह: चुनौती और समाधान
जिलाधिकारी कर्मेंद्र सिंह ने अपने उद्बोधन में कहा कि आपदा की घड़ी में एक सटीक जानकारी सैकड़ों जानें बचा सकती है, वहीं एक अफवाह जन-जन में दहशत फैला सकती है। उन्होंने कहा कि मीडिया को चाहिए कि वह बिना पुष्टि के कोई भी जानकारी न प्रसारित करे। सोशल मीडिया के दौर में यह चुनौती और भी विकराल हो गई है, ऐसे में पारंपरिक मीडिया की जिम्मेदारी कई गुना बढ़ जाती है।
डीएम ने कहा, “जब लोग संकट में होते हैं, तो वे जानकारी के लिए मीडिया की ओर देखते हैं। ऐसे में अगर गलत सूचना फैलाई जाती है, तो इससे अफरा-तफरी मच सकती है। हमें समझना होगा कि सूचना भी एक राहत सामग्री की तरह होती है।” उन्होंने कहा कि मीडिया अफवाहों को रोकने में शासन-प्रशासन का सबसे बड़ा सहयोगी बन सकता है।
उन्होंने आगे कहा कि रेडियो, टेलीविजन, प्रिंट मीडिया और डिजिटल प्लेटफॉर्म्स जैसे माध्यम न केवल जानकारी देने में बल्कि अफवाहों का खंडन करने और लोगों में भरोसा बनाए रखने में भी अहम भूमिका निभा सकते हैं।
सूचना, समन्वय और सहयोग: त्रिस्तरीय भूमिका का खाका
आपदा प्रबंधन अधिकारी मीरा रावत ने कार्यशाला में राज्य के आपदा प्रबंधन ढांचे की विस्तृत जानकारी दी। उन्होंने बताया कि उत्तराखंड में आपदा प्रबंधन अधिनियम 2005 के तहत राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण कार्य करता है। इसमें मुख्यमंत्री अध्यक्ष होते हैं जबकि जिलास्तर पर जिलाधिकारी अध्यक्ष होते हैं।
उन्होंने कहा कि राज्य आपदा सलाहकार समिति में प्रशासनिक अधिकारी, तकनीकी विशेषज्ञ, पर्यावरणविद, सामाजिक कार्यकर्ता और मीडियाकर्मी शामिल हैं। मीरा रावत ने बताया कि यह समिति न केवल आपदा पूर्व योजना बनाती है बल्कि आपदा के दौरान समन्वय और राहत कार्यों में भी सक्रिय भूमिका निभाती है।
उन्होंने मीडिया कर्मियों को संबोधित करते हुए कहा, “आप सभी हमारी आँख और कान हैं। आपको जो दिखाई देता है, वही प्रशासन तक पहुंचता है। ऐसे में आपकी भूमिका केवल रिपोर्टिंग तक सीमित नहीं है, आप संकट प्रबंधन का अभिन्न हिस्सा हैं।”
विशेषज्ञों के अनुभव: सटीकता से ही बचती हैं जानें
कार्यशाला में उपस्थित NDRF और SDRF के विशेषज्ञों ने भी मीडिया की भूमिका को रेखांकित किया। एनडीआरएफ के वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि जब भी कोई आपदा आती है, तो सबसे पहले लोगों में भय और भ्रम का माहौल बनता है। ऐसे में मीडिया द्वारा जारी की गई सही और स्पष्ट जानकारी आमजन को स्थिर बनाए रखती है और राहत व बचाव कार्यों को निर्बाध रूप से चलने देती है।
उन्होंने एक उदाहरण देते हुए कहा कि 2021 में चमोली आपदा के दौरान एक अफवाह फैली कि एक और झील टूटने वाली है, जिससे कई गांव खाली कर दिए गए। बाद में जब वैज्ञानिकों ने स्थिति स्पष्ट की तब जाकर लोग लौटे। यह स्थिति मीडिया के संयम और तत्परता से टल सकती थी।
SDRF के प्रतिनिधियों ने बताया कि मीडिया से समन्वय बढ़ाकर फील्ड में काम कर रहे राहत दलों को समय से सूचना और दिशा-निर्देश उपलब्ध कराए जा सकते हैं। साथ ही उन्होंने यह भी अपील की कि मीडिया किसी भी आपदा को सनसनीखेज बनाने से बचे, ताकि आमजन में घबराहट न फैले।
पत्रकारिता की नई परिभाषा: संवेदनशीलता के साथ जिम्मेदारी भी जरूरी
कार्यशाला में बड़ी संख्या में पत्रकारों और छायाकारों ने भी भाग लिया। संवाददाताओं ने अनुभव साझा करते हुए कहा कि रिपोर्टिंग के दौरान वे किस तरह की चुनौतियों का सामना करते हैं और उन्हें प्रशासन से किस प्रकार के सहयोग की अपेक्षा रहती है।
वरिष्ठ पत्रकार नरेश गुप्ता ने कहा कि प्रशासनिक प्रेस ब्रीफिंग समय पर होनी चाहिए ताकि किसी भी भ्रम की स्थिति से बचा जा सके। उन्होंने सुझाव दिया कि प्रत्येक जिले में आपदा प्रबंधन से जुड़ी प्रेस यूनिट गठित की जाए जो जरूरत के अनुसार नियमित अपडेट दे।
वरिष्ठ फोटोग्राफर प्रमोद कश्यप ने कहा कि राहत कार्यों की फोटो रिपोर्टिंग करते समय उन्हें कई बार स्थानीय विरोध का सामना करना पड़ता है। ऐसे में प्रशासन की ओर से पहचान पत्र और आवश्यक ट्रेनिंग की व्यवस्था की जानी चाहिए।
आपदा प्रबंधन का मजबूत स्तंभ बन सकता है मीडिया
इस कार्यशाला के माध्यम से यह स्पष्ट हो गया कि मीडिया केवल समाचार देने का माध्यम नहीं बल्कि आपदा प्रबंधन का एक रणनीतिक अंग है। प्रशासन और मीडिया के बीच यदि आपसी संवाद और सहयोग मजबूत हो, तो आपदा प्रबंधन कहीं अधिक प्रभावशाली और जनहितकारी बन सकता है।
कार्यशाला के अंत में जिलाधिकारी कर्मेंद्र सिंह ने सभी पत्रकारों और विशेषज्ञों को धन्यवाद देते हुए कहा कि “हर आपदा एक सबक छोड़ती है, और मीडिया का सहयोग हमें उस सबक से बेहतर भविष्य की ओर ले जाने में मदद करता है।” उन्होंने आश्वस्त किया कि भविष्य में इस तरह की कार्यशालाओं का आयोजन नियमित रूप से किया जाएगा ताकि आपसी सहयोग और तैयारियों को और बेहतर बनाया जा सके।
संपर्क सूत्र:
जिला आपदा प्रबंधन प्राधिकरण, हरिद्वार
ईमेल: ddma.haridwar@uk.gov.in
फोन: 01334-XXXXXX