अपराधउत्तराखंडएक्सक्लूसिव खबरेंधर्म और आस्थापॉलिटिकल तड़काप्रशासनस्वास्थ्य

वित्तीय मजबूती और विकास की नई राह पर उत्तराखण्ड, 16वें वित्त आयोग के समक्ष मुख्यमंत्री धामी ने रखा राज्य का पक्ष, ईको-सर्विस, प्राकृतिक आपदाएं और भौगोलिक चुनौतियों पर विशेष सहायता की मांग

इन्तजार रजा हरिद्वार- वित्तीय मजबूती और विकास की नई राह पर उत्तराखण्ड,
16वें वित्त आयोग के समक्ष मुख्यमंत्री धामी ने रखा राज्य का पक्ष,
ईको-सर्विस, प्राकृतिक आपदाएं और भौगोलिक चुनौतियों पर विशेष सहायता की मांग

मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी ने सोमवार को सचिवालय में आयोजित विशेष बैठक में 16वें वित्त आयोग के अध्यक्ष डॉ. अरविंद पनगढ़िया व अन्य सदस्यों के साथ विचार-विमर्श किया। इस अवसर पर उन्होंने उत्तराखण्ड की वित्तीय स्थिति, भविष्य की विकास आवश्यकताओं, भौगोलिक चुनौतियों और पर्यावरणीय उत्तरदायित्व के मद्देनजर राज्य के पक्ष को विस्तारपूर्वक प्रस्तुत किया।

मुख्यमंत्री ने आयोग के सदस्यों डॉ. मनोज पाण्डा, डॉ. सौम्या कांति घोष, श्रीमती ऐनी जॉर्ज मैथ्यू, सचिव श्री ऋत्विक पाण्डेय एवं संयुक्त सचिव श्री के.के. मिश्रा का स्वागत करते हुए कहा कि उत्तराखण्ड राज्य अपने स्थापना के रजत जयंती वर्ष में प्रवेश कर चुका है और इस अवसर पर देवभूमि में आपका आगमन महत्वपूर्ण है।

पर्यावरणीय सेवाओं का मूल्यांकन और मुआवजा

बैठक में मुख्यमंत्री ने “Environmental Federalism” की भावना के अनुरूप उत्तराखण्ड की पारिस्थितिकी सेवाओं (Ecosystem Services) के लिए उचित क्षतिपूर्ति की मांग की। उन्होंने केंद्र से आग्रह किया कि कर-हस्तांतरण (Tax Devolution) के तहत वन आच्छादन को 10% से बढ़ाकर 20% किया जाए। साथ ही वनों के संरक्षण एवं प्रबंधन के लिए विशेष अनुदान उपलब्ध कराए जाएं, जिससे राज्य की हरित सम्पदा को बनाए रखने में सहायता मिले।

उन्होंने यह भी कहा कि उत्तराखण्ड जैसे राज्य, जो देश को ऑक्सीजन, जल स्रोत और जैव विविधता उपलब्ध कराते हैं, उनके पर्यावरणीय योगदान को आर्थिक सहायता के रूप में पहचाना जाना आवश्यक है।

वित्तीय अनुशासन और विकास की गति

मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तराखण्ड ने पिछले 25 वर्षों में वित्तीय प्रबंधन में उल्लेखनीय सुधार किया है। राज्य का बजट आकार एक लाख करोड़ रुपये पार कर चुका है, जो विकास की गति को दर्शाता है। नीति आयोग की 2023-24 की एसडीजी रिपोर्ट में उत्तराखण्ड देश के अग्रणी राज्यों में शामिल है। राज्य में बेरोजगारी दर 4.4% तक घटी है और प्रति व्यक्ति आय में 11.33% की वृद्धि दर्ज की गई है, जो राष्ट्रीय औसत से अधिक है।

उन्होंने आयोग को बताया कि राज्य को आधारभूत संरचना के विकास के लिए आरंभ में बाहरी ऋणों पर निर्भर रहना पड़ा था, लेकिन अब राज्य आत्मनिर्भरता की ओर अग्रसर है।

औद्योगिक और सामाजिक चुनौतियों का उल्लेख

मुख्यमंत्री ने 2010 में औद्योगिक छूट पैकेज (Industrial Concessional Package) की समाप्ति के बाद राज्य को मिल रही कठिनाइयों का उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि भौगोलिक असुविधाओं के कारण पर्वतीय क्षेत्रों में निजी निवेश सीमित है, खासकर शिक्षा व स्वास्थ्य के क्षेत्र में। ऐसी परिस्थिति में राज्य सरकार को अतिरिक्त बजटीय प्रावधान करने पड़ते हैं।

उन्होंने मांग की कि केंद्र सरकार राज्य के ‘लोकेशनल डिसएडवांटेज’ को ध्यान में रखते हुए औद्योगिक प्रोत्साहन व विशेष वित्तीय सहायता प्रदान करे।

प्राकृतिक आपदाओं और जल संरक्षण की पहल

उत्तराखण्ड प्राकृतिक आपदाओं की दृष्टि से अत्यंत संवेदनशील राज्य है। मुख्यमंत्री ने कहा कि आपदा प्रबंधन, राहत और पुनर्वास के लिए राज्य को निरंतर केंद्रीय सहयोग की आवश्यकता होती है।

उन्होंने जल संरक्षण के क्षेत्र में राज्य सरकार की दो प्रमुख पहलों – सारा (SARAA) और भागीरथ एप – का उल्लेख करते हुए बताया कि ये योजनाएं जल स्रोतों के पुनर्जीवन और जनभागीदारी को बढ़ावा देने में कारगर सिद्ध हो रही हैं। इन पहलों के लिए विशेष अनुदान की मांग की गई।

राजकोषीय अनुशासन और व्यय संरचना

मुख्यमंत्री ने सुझाव दिया कि कर-हस्तांतरण के फार्मूले में “टैक्स एफर्ट” के साथ-साथ “राजकोषीय अनुशासन” को भी शामिल किया जाना चाहिए। उन्होंने ‘रेवेन्यू डेफिसिट ग्रांट’ की बजाय ‘रेवेन्यू नीड ग्रांट’ की वकालत की, जिससे जरूरतमंद राज्यों को वास्तविक आवश्यकता के अनुसार सहायता मिल सके।

उन्होंने यह भी कहा कि राज्य की त्रिविमीय भौगोलिक संरचना के कारण पूंजीगत व्यय और अनुरक्षण लागत अधिक होती है। राज्य का क्रेडिट-डिपॉजिट अनुपात भी अन्य राज्यों की तुलना में कम है, जिससे वित्तीय संसाधनों की उपलब्धता सीमित होती है।

आयोग की प्रतिक्रिया

16वें वित्त आयोग के अध्यक्ष डॉ. अरविंद पनगढ़िया ने कहा कि उत्तराखण्ड हर क्षेत्र में तेजी से प्रगति कर रहा है। राज्य की प्रति व्यक्ति आय में वृद्धि और बेरोजगारी दर में गिरावट सराहनीय है। उन्होंने कहा कि पर्वतीय राज्यों को मिलने वाली चुनौतियों और उनकी विशेष आवश्यकताओं को आयोग गंभीरता से लेगा और इस दिशा में ठोस विचार-विमर्श किया जाएगा।

डॉ. पनगढ़िया ने बताया कि आयोग अपनी रिपोर्ट 31 अक्टूबर 2025 तक केंद्र सरकार को सौंपेगा।

प्रशासनिक भागीदारी

बैठक में सचिव वित्त श्री दिलीप जावलकर ने राज्य की वित्तीय और संरचनात्मक चुनौतियों पर प्रस्तुति दी। मुख्य सचिव श्री आनंद बर्द्धन, प्रमुख सचिव श्री आर.के. सुधांशु, श्री एल. फैनई, श्री आर. मीनाक्षी सुंदरम सहित वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी भी बैठक में उपस्थित रहे।

यह बैठक राज्य की वित्तीय जरूरतों और नीति निर्धारण में उत्तराखण्ड के विशेष स्वरूप को उजागर करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित हुई।

Related Articles

Back to top button
× Contact us