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ऑपरेशन सिंदूर को मदरसा सिलेबस में शामिल करने पर सियासत गरमाई, बसपा विधायक शहजाद ने मदरसा बोर्ड के फैसले को बताया नादानी, “सरकार लेली है फैसला, बोर्ड नहीं”, बोले लक्सर विधायक , “ऑपरेशन सिंदूर अभी पूरा नहीं हुआ”, राजनीतिक रंग पकड़ता जा रहा मुद्दा

इन्तजार रजा हरिद्वार- ऑपरेशन सिंदूर को मदरसा सिलेबस में शामिल करने पर सियासत गरमाई,
बसपा विधायक शहजाद ने मदरसा बोर्ड के फैसले को बताया नादानी,
“सरकार लेली है फैसला, बोर्ड नहीं”, बोले लक्सर विधायक , “ऑपरेशन सिंदूर अभी पूरा नहीं हुआ”, राजनीतिक रंग पकड़ता जा रहा मुद्दा

उत्तराखंड मदरसा बोर्ड द्वारा ‘ऑपरेशन सिंदूर’ को मदरसों के सिलेबस में शामिल करने के निर्णय ने एक नई सियासी बहस को जन्म दे दिया है। रुड़की के लक्सर से बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के विधायक मोहम्मद शहजाद ने इस फैसले को ‘जल्दबाजी में लिया गया और नादानी भरा निर्णय’ करार दिया है। उन्होंने कहा कि यह फैसला मदरसा बोर्ड का नहीं बल्कि सरकार का होना चाहिए था।

“ऑपरेशन सिंदूर अभी पूरा नहीं हुआ”

विधायक मोहम्मद शहजाद ने कहा कि जिस ऑपरेशन सिंदूर को मदरसा पाठ्यक्रम में शामिल किया जा रहा है, वह अभी तक पूरा नहीं हुआ है। ऐसे में इसे ऐतिहासिक करार देना और छात्रों को इसके अधूरे तथ्यों के साथ पढ़ाना गलत होगा। उन्होंने कहा, “जब तक यह ऑपरेशन पूरी तरह सफल होकर खत्म नहीं होता, तब तक इसे पढ़ाना समझदारी नहीं मानी जा सकती। न तो इसका पूरा तथ्य सामने आया है और न ही इसकी अंतिम स्थिति तय हुई है।”

“मदरसा बोर्ड ने लिया हवा में फैसला”

बसपा विधायक ने आरोप लगाया कि मदरसा बोर्ड ने बिना विचार-विमर्श और तथ्यों की पुष्टि किए हवा में निर्णय लिया है। उन्होंने कहा कि यदि सिलेबस में किसी नई विषयवस्तु को शामिल करना है, तो उसके लिए पहले किताबें प्रकाशित करवाई जाएं, और यह स्पष्ट किया जाए कि ऑपरेशन सिंदूर कहां से शुरू हुआ और अब तक कहां तक पहुंचा है। उन्होंने इसे एकतरफा कदम बताया जो बिना सरकारी मंजूरी के उठाया गया है।

“ऐतिहासिक बताना जल्दबाजी”

विधायक शहजाद ने बोर्ड के उस बयान पर भी आपत्ति जताई जिसमें ऑपरेशन सिंदूर को ‘ऐतिहासिक निर्णय’ कहा गया है। उन्होंने कहा, “इतिहास तब लिखा जाता है जब कोई मिशन पूरा हो चुका होता है, यह अभी अधूरा है। ऐसे में इसे ऐतिहासिक करार देना सिर्फ सस्ती लोकप्रियता पाने का प्रयास है।”

राजनीतिक रंग पकड़ता जा रहा मुद्दा

गौरतलब है कि ऑपरेशन सिंदूर, देशभर में चल रहे एक बड़े आतंकवाद विरोधी अभियान का हिस्सा है जिसे लेकर केंद्र सरकार गंभीर है। ऐसे में इसका सिलेबस में आना जहां कुछ के लिए देशभक्ति का प्रतीक है, वहीं कुछ इसे एकपक्षीय और जल्दबाजी भरा कदम मान रहे हैं।

अब देखना होगा कि मदरसा बोर्ड अपने फैसले पर कायम रहता है या राजनीतिक विरोध और मांगों के बीच वह अपने निर्णय पर पुनर्विचार करता है। फिलहाल, यह मामला उत्तराखंड की सियासत में एक गर्म मुद्दा बन चुका है।

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