हरिद्वार में मनरेगा घोटाले पर कड़ा प्रहार, 14 वी.डी.ओ. को प्रतिकूल प्रविष्टि, 11 रोजगार सेवकों की वेतनवृद्धि पर रोक, फर्जी हाजिरी और फोटो अपलोड घोटाले में CDO ने की सख्त कार्रवाई, कई अफसर रडार पर, आरोपियों से वसूला जाएगा जुर्माना
मनरेगा घोटाले में बड़ा एक्शन, हरिद्वार CDO आकांक्षा कोंडे ने दिखाई सख्ती, 14 वीडीओ को प्रतिकूल प्रविष्टि, 11 रोजगार सेवकों की वेतन वृद्धि पर रोक, कई अफसर रडार पर, त्रुटिपूर्ण फोटोग्राफ्स से खुला घोटाला

इन्तजार रजा हरिद्वार- हरिद्वार में मनरेगा घोटाले पर कड़ा प्रहार,
14 वी.डी.ओ. को प्रतिकूल प्रविष्टि, 11 रोजगार सेवकों की वेतनवृद्धि पर रोक,
फर्जी हाजिरी और फोटो अपलोड घोटाले में CDO ने की सख्त कार्रवाई, कई अफसर रडार पर, आरोपियों से वसूला जाएगा जुर्माना
झूठी हाजिरी का खेल: एनएमएमएस ऐप बना फर्जीवाड़े का हथियार
हरिद्वार ज़िले में महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) के तहत संचालित कार्यों में बड़े पैमाने पर फर्जीवाड़े का खुलासा हुआ है। श्रमिकों की उपस्थिति दर्ज करने के लिए अनिवार्य एनएमएमएस ऐप पर गलत फोटो अपलोड कर सरकार को गुमराह किया गया। इस गड़बड़ी को गंभीरता से लेते हुए मुख्य विकास अधिकारी आकांक्षा कोंडे ने सख्त रुख अपनाते हुए दोषियों के खिलाफ त्वरित कार्रवाई की।

झूठी हाजिरी का खेल: एनएमएमएस ऐप बना फर्जीवाड़े का हथियार
CDO ने की जिले भर में चौतरफा जांच: दोषियों पर ताबड़तोड़ कार्रवाई
सरकार ने मनरेगा में पारदर्शिता लाने के लिए एनएमएमएस (नशनल मोबाइल मॉनिटरिंग सिस्टम) ऐप लागू किया था, जिससे कार्यस्थल पर मजदूरों की लाइव फोटो और लोकेशन अपलोड कर उपस्थिति की पुष्टि होती है। लेकिन हरिद्वार के कुछ अधिकारियों और कर्मचारियों ने इस तकनीकी प्रणाली को ही धता बताकर जालसाजी को अंजाम देना शुरू कर दिया।
शिकायतों में यह बात सामने आई कि कई स्थानों पर एक ही समय की एक जैसी फोटो अलग-अलग कार्यस्थलों पर अपलोड की जा रही हैं। कहीं एक ही श्रमिक की तस्वीर कई बार उपयोग में ली गई, तो कहीं तो कार्यस्थल ही अस्तित्व में नहीं था, लेकिन ऐप पर दर्ज किया गया कि वहां काम चल रहा है।
यह घोटाला केवल तकनीकी लापरवाही नहीं, बल्कि योजनाबद्ध धोखाधड़ी का संकेत दे रहा था, जिससे सरकार को करोड़ों की हानि और गरीब मजदूरों के हक पर कुठाराघात हो रहा था।
CDO ने की चौतरफा जांच: दोषियों पर ताबड़तोड़ कार्रवाई
मुख्य विकास अधिकारी आकांक्षा कोंडे ने जब यह स्थिति देखी तो तत्काल जिला स्तरीय जांच कमेटी गठित की। प्रत्येक ब्लॉक स्तर पर निरीक्षण दलों को भेजा गया, जिनके जिम्मे था कि वे ऐप पर अपलोड हुई मजदूरों की फोटो और लोकेशन का भौतिक सत्यापन करें।
जांच रिपोर्टों में सामने आया कि जिन कार्यस्थलों पर मजदूरों की उपस्थिति दर्शाई गई थी, वहां न तो काम हो रहा था और न ही वे मजदूर वास्तव में मौजूद थे। फर्जी उपस्थिति दिखाकर सरकारी धन को अवैध रूप से आहरित किया जा रहा था।
इस पर त्वरित कार्रवाई करते हुए:
- 14 ग्राम विकास अधिकारियों को प्रतिकूल प्रविष्टि दी गई
- 11 ग्राम रोजगार सेवकों की 2025-26 की वेतनवृद्धि पर रोक लगाई गई
- दोषी मेटों को सेवा से तत्काल हटा दिया गया
- संबंधित उप कार्यक्रम अधिकारियों से अर्थदंड वसूला गया
- लापरवाह ग्राम प्रधानों को कारण बताओ नोटिस जारी किए गए
यह पहली बार है जब जिले में इतनी बड़ी संख्या में अधिकारियों पर एक साथ अनुशासनात्मक कार्रवाई की गई है।
“मनरेगा गरीबों की योजना है, इसमें कोई लूट नहीं सहेगी” – सीडीओ
सीडीओ आकांक्षा कोंडे ने सख्त लहजे में कहा, “मनरेगा जैसी गरीबों की योजना में लापरवाही या फर्जीवाड़ा बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। सरकारी योजनाएं जनकल्याण के लिए हैं, ना कि अधिकारियों-कर्मचारियों की कमाई का जरिया बनने के लिए।”
उन्होंने सभी खंड विकास अधिकारियों को निर्देशित किया है कि वे क्षेत्रीय परियोजनाओं की निगरानी स्वयं करें और हर कार्यस्थल का औचक निरीक्षण अनिवार्य रूप से करें। इसके अलावा यह भी सुनिश्चित किया जाए कि एनएमएमएस ऐप का सही तरीके से उपयोग हो और कोई तकनीकी हेराफेरी न हो।
CDO ने यह भी कहा कि भविष्य में यदि कोई भी अधिकारी या कर्मचारी फर्जी हाजिरी, फोटो या योजनाओं में गड़बड़ी करते पकड़ा गया, तो न केवल विभागीय कार्रवाई बल्कि एफआईआर भी दर्ज की जाएगी।
आगे बढ़ेगा दायरा, कई अफसर भी आ सकते हैं निशाने पर
इस कार्रवाई के बाद पूरे जिले में हड़कंप है। माना जा रहा है कि यह तो महज़ शुरुआत है और आगे इसकी परतें और खुलेंगी। जिला प्रशासन ने संकेत दिए हैं कि अब बड़े अधिकारियों की भूमिका की भी जांच की जाएगी, खासतौर पर वे लोग जो महीनों तक क्षेत्रीय कार्यों का निरीक्षण किए बिना वेतन ले रहे थे।
यदि उच्चाधिकारियों की संलिप्तता प्रमाणित होती है तो उन्हें भी निलंबित किया जा सकता है। इसके लिए तकनीकी एक्सपर्ट्स को शामिल कर एनएमएमएस ऐप के डेटा का विस्तृत विश्लेषण शुरू किया गया है।
ईमानदार प्रशासन की मिसाल बना हरिद्वार
हरिद्वार जिला प्रशासन ने यह दिखा दिया कि ईमानदारी और पारदर्शिता की राह पर चलने की इच्छाशक्ति हो तो कोई भी भ्रष्टाचार छिपा नहीं रह सकता। मनरेगा जैसे जनकल्याणकारी कार्यक्रम में गड़बड़ी करना न केवल गरीबों के अधिकारों का हनन है, बल्कि यह संविधान और व्यवस्था का भी मजाक है।
मुख्य विकास अधिकारी द्वारा उठाए गए कड़े कदम से एक मजबूत संदेश गया है – अब कोई भी सरकारी योजना लूट का जरिया नहीं बनेगी। हर अधिकारी और कर्मचारी को अपने कर्तव्यों का पालन ईमानदारी से करना होगा, वरना कार्रवाई निश्चित है।
यह कार्रवाई उत्तराखंड के अन्य जिलों के लिए भी एक नज़ीर बनेगी, बशर्ते वहां का प्रशासन भी इसी तरह कड़ाई से पेश आए। अब देखना होगा कि क्या यह पारदर्शिता की पहल प्रदेशव्यापी आंदोलन का रूप ले पाती है या नहीं। फिलहाल, हरिद्वार प्रशासन ने ईमानदारी का परचम लहराकर जनता का विश्वास जरूर जीत लिया है।