हरिद्वार में अपराध नहीं, कानून का राज, दिल्ली से लूटपाट करने आए बदमाशों का अंत: पुलिस मुठभेड़ में घायल होकर गिरफ्तार हरिद्वार पुलिस करेगी कड़ी पूछताछ, तीन राज्यों में दर्ज हैं दर्जनों आपराधिक केस

इन्तजार रजा हरिद्वार- हरिद्वार में अपराध नहीं, कानून का राज,
दिल्ली से लूटपाट करने आए बदमाशों का अंत: पुलिस मुठभेड़ में घायल होकर गिरफ्तार
हरिद्वार पुलिस करेगी कड़ी पूछताछ, तीन राज्यों में दर्ज हैं दर्जनों आपराधिक केस
हरिद्वार/मुजफ्फरनगर।
शनिवार को रुड़की और मंगलौर की सड़कों पर दहशत का पर्याय बन चुके तीन शातिर बदमाशों की कहानी उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर में पुलिस मुठभेड़ के साथ खत्म हो गई। दिल्ली के संगम विहार से आए ये अपराधी दिनदहाड़े वारदातें कर रहे थे, लेकिन पुलिस की सूझबूझ और तत्परता से इनका खेल खत्म हो गया। तीनों बदमाश मुठभेड़ में घायल हुए और अब जेल की सलाखों के पीछे जाएंगे।
लूट, दहशत और फिर पुलिस की गोली
शनिवार सुबह बदमाशों ने मंसूरपुर, छपार और पुरकाजी क्षेत्र में राहगीरों को निशाना बनाकर लूटपाट की। इसके बाद उत्तराखंड की सीमा में प्रवेश कर रुड़की और मंगलौर में लूट की दो और घटनाएं कीं। सबसे चौंकाने वाली घटना उस समय हुई जब एक महिला की चेन लूटी गई और एक पूर्व पार्षद के कार्यालय में घुसकर हमला करने की कोशिश की गई।
रात होते-होते बदमाश दिल्ली लौटने की फिराक में थे, लेकिन मुजफ्फरनगर पुलिस पहले से अलर्ट थी। धौला पुल के पास जब पुलिस ने इन्हें रोका, तो इन्होंने फायरिंग शुरू कर दी। जवाबी कार्रवाई में तीनों के पैर में गोली लगी और उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया।
मिल गया लूट का सामान, खुले अपराधों के राज
पुलिस ने तीनों के पास से नकदी, मोबाइल, सोने की चेन और चोरी की वेगनआर कार बरामद की। इसके अलावा फर्जी आधार कार्ड, बैंक पासबुक और एटीएम कार्ड जैसे दस्तावेज मिलने से पुलिस को शक है कि ये गैंग केवल लूट तक सीमित नहीं था। इनके तार साइबर क्राइम और बैंक फ्रॉड से भी जुड़े हो सकते हैं।
हरियाणा से चोरी की गई कार और उत्तराखंड में की गई लूट की वारदातों को मिलाकर तीन राज्यों की पुलिस अब इनसे पूछताछ करेगी। हरिद्वार पुलिस बी वारंट पर इन तीनों को लेकर आएगी और रुड़की-मंगलौर की वारदातों की गहन जांच करेगी।
तीनों के नाम पहले से ही आपराधिक रजिस्टर में
राजेश, अभी कुमार और साहिल – तीनों संगम विहार दिल्ली के निवासी हैं और पहले भी लूट, चोरी, धोखाधड़ी और हत्या के प्रयास जैसे मामलों में जेल जा चुके हैं। पुलिस रिकॉर्ड बताते हैं कि इन पर हरियाणा, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में कई केस दर्ज हैं। इतना ही नहीं, इनका आपसी नेटवर्क अन्य अपराधियों से भी जुड़ा हो सकता है।
हरिद्वार को सतर्क होने की जरूरत
इस पूरी घटना से हरिद्वार पुलिस को यह सख्त सबक लेना होगा कि बाहरी अपराधियों के नेटवर्क को यदि समय रहते नहीं रोका गया, तो शहर की सुरक्षा खतरे में पड़ सकती है। हाईवे पर सख्त निगरानी, शहर के प्रवेश द्वारों पर चेकिंग और संदिग्ध वाहनों पर नजर रखने की जरूरत है।
इसके साथ ही, यह भी साफ है कि सीमावर्ती जिलों – जैसे मुजफ्फरनगर, हरिद्वार और सहारनपुर – की पुलिस के बीच तेज सूचनातंत्र और समन्वय से अपराध पर लगाम लगाई जा सकती है। मंसूरपुर पुलिस की त्वरित कार्रवाई ने साबित कर दिया कि मुस्तैदी से बड़े अपराध टाले जा सकते हैं।
अब सवाल ये है – क्या यही आख़िरी गैंग है?
तीनों अपराधी भले ही अब पुलिस गिरफ्त में हैं, लेकिन यह घटनाएं इस बात का संकेत भी हैं कि दिल्ली-एनसीआर से सटे उत्तराखंड जिलों में अपराधी अब सुरक्षित पनाहगाहें तलाशने लगे हैं। हरिद्वार की राजनीतिक और धार्मिक छवि का फायदा उठाकर ये अपराधी यहां की सड़कों पर खौफ फैलाने आए थे।
अब यह जिम्मेदारी हरिद्वार पुलिस और प्रशासन की है कि वे भविष्य में ऐसी घटनाएं न होने दें। चेन स्नैचिंग, बैंक फ्रॉड, वाहन चोरी जैसे अपराधों के खिलाफ अभियान चलाकर शहर की सड़कों को सुरक्षित बनाना होगा।
अपराधियों का कोई राज्य नहीं होता, पर कानून सब पर भारी है
हरिद्वार जैसे शांत जिलों में अपराध की कोई जगह नहीं होनी चाहिए। यह घटना भले ही खतरे की घंटी थी, लेकिन पुलिस की तत्परता से यह संकट टल गया। उम्मीद की जानी चाहिए कि हरिद्वार पुलिस इस गिरोह से पूछताछ कर अन्य मामलों का भी खुलासा करेगी और आमजन की सुरक्षा सुनिश्चित करेगी।
अब वक्त है, हरिद्वार को अपराध मुक्त और कानून के शासन वाला जिला बनाने का।