पटवारी ने निगले रिश्वत के नोट: देहरादून के गुलशन हैदर को लेकर विजिलेंस का बड़ा अपडेट, अभी जेल में ही है आरोपी पटवारी, वायरल जमानत वाली खबरें फर्जी, अल्ट्रासाउंड और सीटी स्कैन रिपोर्ट का इंतज़ार, मेडिकल निगरानी में रखा गया है आरोपी पटवारी, देहरादून से शर्मनाक रिश्वत कांड: नोट निगल गया पटवारी!

इन्तजार रजा हरिद्वार- पटवारी ने निगले रिश्वत के नोट: देहरादून के गुलशन हैदर को लेकर विजिलेंस का बड़ा अपडेट,
अभी जेल में ही है आरोपी पटवारी, वायरल जमानत वाली खबरें फर्जी,
अल्ट्रासाउंड और सीटी स्कैन रिपोर्ट का इंतज़ार, मेडिकल निगरानी में रखा गया है आरोपी पटवारी,
देहरादून से शर्मनाक रिश्वत कांड: नोट निगल गया पटवारी!
उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में एक शर्मनाक रिश्वत प्रकरण सामने आया है, जिसने पूरे प्रशासनिक तंत्र पर सवाल खड़े कर दिए हैं। तहसील कालसी में तैनात पटवारी गुलशन हैदर को ₹2000 की रिश्वत लेते हुए रंगेहाथ विजिलेंस टीम ने गिरफ्तार किया। खास बात यह रही कि ट्रैप कार्रवाई के दौरान खुद को फँसने से बचाने के लिए गुलशन हैदर ने रिश्वत में लिए गए चार ₹500 के नोट निगल लिए। इस अजीबोगरीब हरकत ने न सिर्फ जांच एजेंसियों को चौंका दिया, बल्कि पूरे उत्तराखंड में इस मामले ने चर्चा का विषय बना दिया।
सूत्रों के अनुसार, यह रिश्वत मूल निवास और जाति प्रमाण पत्र बनाने के नाम पर मांगी गई थी। जैसे ही विजिलेंस की टीम ने पटवारी को रंगेहाथ पकड़ा, उसने तुरंत रिश्वत के नोट निगलने की कोशिश की। इसके बाद टीम ने बिना देर किए आरोपी को पास के स्वास्थ्य केंद्र में ले जाकर मेडिकल परीक्षण करवाया और डॉक्टरों की सलाह पर अल्ट्रासाउंड और सीटी स्कैन भी कराए।
अभी जेल में है गुलशन हैदर, जमानत की खबरें फर्जी
विजिलेंस विभाग की ओर से जारी आधिकारिक प्रेस विज्ञप्ति में यह स्पष्ट किया गया है कि पटवारी गुलशन हैदर फिलहाल देहरादून की जिला जेल में न्यायिक हिरासत में है। उसे 27 मई 2025 को कोर्ट में पेश किया गया, जहाँ माननीय न्यायालय ने 14 दिन की न्यायिक अभिरक्षा को मंजूरी दी। इससे पहले सोशल मीडिया पर ऐसी कई भ्रामक खबरें वायरल हो रही थीं कि आरोपी पटवारी को जमानत पर रिहा कर दिया गया है, जिसे विजिलेंस ने सिरे से खारिज किया है।
प्रवक्ता ने साफ कहा कि सोशल मीडिया या अन्य किसी माध्यम से किसी भी प्रकार की जानकारी को सत्यापित किए बिना प्रचारित करना न केवल पत्रकारिता की गरिमा के खिलाफ है, बल्कि जनता को गुमराह करने का कार्य भी है। विभाग ने सभी मीडिया संस्थानों और पत्रकारों से अनुरोध किया है कि खबरों के प्रकाशन से पहले संबंधित अधिकारियों से पुष्टि जरूर कर लें।
दावे मजबूत, जांच वैज्ञानिक आधार पर जारी
यह मामला इसलिए भी गंभीर हो गया है क्योंकि आरोपी ने सबूतों को नष्ट करने के लिए शारीरिक तौर पर रिश्वत की रकम को नष्ट करने का प्रयास किया। इस पर IPC की नई धारा 238 के तहत मुकदमा दर्ज किया गया है, जिसमें किसी वैधानिक कार्यवाही से बचने के लिए सबूत नष्ट करने को गंभीर अपराध माना गया है।
इसके अलावा, भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 की धारा 7 के तहत भी मुकदमा दर्ज किया गया है, जो सरकारी कर्मचारी द्वारा रिश्वत लेने से संबंधित है। ट्रैप की पूरी कार्रवाई ऑडियो-वीडियो रिकार्डिंग के जरिए की गई थी, जिससे अभियोजन पक्ष के पास मजबूत सबूत मौजूद हैं। इसके साथ ही मौके पर मौजूद स्वतंत्र गवाहों के बयान भी दर्ज किए जा चुके हैं।
वर्तमान में जांच दल अल्ट्रासाउंड और सीटी स्कैन की रिपोर्ट का इंतजार कर रहा है ताकि यह पुष्टि की जा सके कि निगले गए नोट आरोपी के शरीर से बाहर निकाले गए हैं या नहीं। इस बीच आरोपी को नियमित मेडिकल जांच के अधीन रखा गया है, ताकि उसकी तबीयत में किसी प्रकार की समस्या न आए और न्यायिक प्रक्रिया निर्बाध रूप से आगे बढ़ सके।
जनता में नाराज़गी, प्रशासनिक सख्ती की मांग
इस पूरे घटनाक्रम के बाद देहरादून ही नहीं, बल्कि पूरे उत्तराखंड में प्रशासनिक ईमानदारी पर सवाल उठे हैं। एक तरफ राज्य सरकार भ्रष्टाचार मुक्त उत्तराखंड का दावा कर रही है, वहीं पटवारी जैसे निचले स्तर के कर्मचारी खुलेआम घूसखोरी करते पकड़े जा रहे हैं। जनता की मांग है कि गुलशन हैदर जैसे कर्मचारियों पर सख्त से सख्त कार्रवाई की जाए, ताकि आने वाले समय में ऐसे मामलों की पुनरावृत्ति न हो।
सामाजिक कार्यकर्ताओं और जन संगठनों का कहना है कि यह मामला केवल एक पटवारी तक सीमित नहीं है, बल्कि प्रशासनिक तंत्र की उस गहराई को उजागर करता है जहाँ आम नागरिकों को बुनियादी प्रमाणपत्रों के लिए भी रिश्वत देनी पड़ती है।
इस पूरे प्रकरण ने विजिलेंस की सक्रियता को भी रेखांकित किया है, जिसने सही समय पर कार्रवाई कर राज्य के भ्रष्ट तंत्र के खिलाफ एक मजबूत संदेश देने का कार्य किया है।
पटवारी गुलशन हैदर का रिश्वत कांड केवल एक व्यक्ति की बेईमानी नहीं, बल्कि पूरे सिस्टम के लिए आईना है। उसकी गिरफ्तारी और जेल भेजे जाने के बाद अब सबकी निगाहें इस पर टिकी हैं कि अदालत और सरकार इस मामले में किस प्रकार की मिसाल पेश करती हैं। सोशल मीडिया पर फैल रही जमानत की खबरें भ्रामक हैं और प्रशासन ने इनका खंडन किया है। इस घटना से यह साफ हो गया है कि रिश्वतखोरी अब छिपकर नहीं, बल्कि खुलेआम की जा रही है, और इसके खिलाफ कार्रवाई भी उतनी ही निर्णायक होनी चाहिए।