त्याग और सेवा की प्रतिमूर्ति अहिल्याबाई होल्कर की 300वीं जयंती पर सीएम धामी का उद्बोधन सनातन संस्कृति की पुनर्स्थापना में अहिल्याबाई का योगदान अमूल्य : मुख्यमंत्री राज्य सरकार सांस्कृतिक धरोहरों के संरक्षण और पुनरुद्धार को लेकर प्रतिबद्ध : पुष्कर सिंह धामी

इन्तजार रजा हरिद्वार- त्याग और सेवा की प्रतिमूर्ति अहिल्याबाई होल्कर की 300वीं जयंती पर सीएम धामी का उद्बोधन
सनातन संस्कृति की पुनर्स्थापना में अहिल्याबाई का योगदान अमूल्य : मुख्यमंत्री
राज्य सरकार सांस्कृतिक धरोहरों के संरक्षण और पुनरुद्धार को लेकर प्रतिबद्ध : पुष्कर सिंह धामी
देहरादून, 31 मई 2025 | डेली लाइव उत्तराखंड
मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी ने आज मुख्यमंत्री आवास स्थित मुख्य सेवक सदन में मराठा साम्राज्य की महान धर्मप्रेमी रानी अहिल्याबाई होल्कर की 300वीं जयंती पर आयोजित कार्यक्रम में प्रतिभाग कर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि अहिल्याबाई ने सेवा, करुणा और धर्मनिष्ठा के साथ भारतीय समाज को आध्यात्मिक और सांस्कृतिक चेतना से जोड़ने का अनुपम कार्य किया
अहिल्याबाई: सनातन संस्कृति की संवाहिका
मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि अहिल्याबाई होल्कर ने भारत की सनातन संस्कृति को एक सूत्र में पिरोने का कार्य किया। देश के प्रमुख धार्मिक स्थलों जैसे काशी विश्वनाथ, मथुरा, गंगा घाट, अयोध्या और सोमनाथ सहित अनेक मंदिरों का पुनर्निर्माण कर उन्होंने भारतीय सांस्कृतिक चेतना को पुनर्जीवित किया।
“उस कालखंड में जब महिलाओं की भूमिका केवल गृहस्थ तक सीमित मानी जाती थी, तब अहिल्याबाई ने न केवल कुशल प्रशासन का परिचय दिया, बल्कि धर्म और समाज के उत्थान के लिए कार्य कर अद्वितीय उदाहरण प्रस्तुत किया,” — मुख्यमंत्री धामी
मुख्यमंत्री ने उनके जीवन को “नारी सशक्तिकरण की ऐतिहासिक मिसाल” बताया और कहा कि आज के भारत को अहिल्याबाई जैसे चरित्रों से प्रेरणा लेनी चाहिए, ताकि राष्ट्र का निर्माण सेवा और समर्पण के आधार पर किया जा सके।
भारत सांस्कृतिक पुनर्जागरण के अमृतकाल में प्रवेश कर चुका है
मुख्यमंत्री ने अपने संबोधन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व की प्रशंसा करते हुए कहा कि भारत इस समय अपनी सांस्कृतिक चेतना के पुनर्जागरण के “अमृतकाल” में प्रवेश कर चुका है। उन्होंने कहा कि अब वो समय है जब वर्षों तक उपेक्षित रहे राष्ट्रनायकों और सांस्कृतिक प्रतीकों को राष्ट्रीय चेतना का हिस्सा बनाया जा रहा है।
“आज भारत न केवल अपने अतीत पर गर्व कर रहा है, बल्कि उस पर आधुनिक राष्ट्र निर्माण की नींव भी रख रहा है।”
मुख्यमंत्री ने बताया कि उत्तराखंड सरकार प्रधानमंत्री के मार्गदर्शन में धार्मिक स्थलों के पुनर्निर्माण एवं सौंदर्यीकरण के साथ ही सांस्कृतिक धरोहरों के संरक्षण हेतु व्यापक योजनाओं पर कार्य कर रही है। विशेष रूप से केदारखंड और मानसखंड क्षेत्र में तीर्थों के पुनरुद्धार और पर्यटन विकास पर जोर दिया जा रहा है।
यमुनातीर्थ और केदारखंड : सांस्कृतिक पुनर्निर्माण के केंद्र
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार हरिपुर कालसी में स्थित यमुनातीर्थ स्थल के पुनरुद्धार की दिशा में भी प्रयास कर रही है, ताकि धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा दिया जा सके। साथ ही केदारनाथ और बद्रीनाथ धाम के पुनर्निर्माण और सौंदर्यीकरण की योजनाएं भी तेजी से प्रगति पर हैं।
इन कार्यों के माध्यम से राज्य सरकार यह सुनिश्चित करना चाहती है कि उत्तराखंड की पहचान केवल “देवभूमि” तक सीमित न रहे, बल्कि वह सांस्कृतिक और आध्यात्मिक पुनर्जागरण का प्रमुख केंद्र बने।
सुशासन की दिशा में मजबूत कदम : भू-कानून से लेकर समान नागरिक संहिता तक
मुख्यमंत्री धामी ने कार्यक्रम के दौरान राज्य सरकार की प्रमुख उपलब्धियों का भी उल्लेख किया। उन्होंने बताया कि राज्य में एक सख्त भू-कानून लागू किया गया है, जिससे भूमि माफियाओं पर नियंत्रण लगेगा और राज्य के प्राकृतिक स्वरूप की रक्षा की जा सकेगी।
इसके अतिरिक्त, मुख्यमंत्री ने समान नागरिक संहिता को लागू करने के ऐतिहासिक कदम का भी उल्लेख किया और कहा कि उत्तराखंड ऐसा करने वाला देश का पहला राज्य बना है।
“यह केवल विधिक निर्णय नहीं, बल्कि सामाजिक समानता की दिशा में एक निर्णायक कदम है।”
उन्होंने कहा कि उत्तराखंड में देश का सबसे प्रभावी नकल विरोधी कानून भी लागू किया गया है, जिसका प्रत्यक्ष लाभ राज्य के युवाओं को मिल रहा है। मुख्यमंत्री के अनुसार, इस कानून के लागू होने के बाद पिछले तीन वर्षों में 23,000 से अधिक युवाओं को सरकारी नौकरियां दी गई हैं।
कार्यक्रम में कई वरिष्ठ नेता रहे मौजूद
कार्यक्रम में भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव श्री विनोद तावड़े, प्रदेश अध्यक्ष एवं राज्यसभा सांसद श्री महेन्द्र भट्ट, महामंत्री संगठन श्री अजेय कुमार, भाजपा महिला मोर्चा की राष्ट्रीय महामंत्री श्रीमती दीप्ति रावत भारद्वाज सहित कई प्रमुख जनप्रतिनिधि और पदाधिकारी उपस्थित रहे।
सभी ने अहिल्याबाई होल्कर के योगदान को स्मरण करते हुए उन्हें भारतीय संस्कृति की “धर्मनायिका” बताया और उनके आदर्शों को जन-जन तक पहुँचाने का संकल्प लिया।अहिल्याबाई होल्कर की 300वीं जयंती केवल इतिहास की स्मृति नहीं, बल्कि भविष्य के लिए एक प्रेरणास्रोत बनकर उभरी है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के नेतृत्व में उत्तराखंड सरकार इस अवसर को एक नए सांस्कृतिक पुनर्जागरण के सूत्रपात के रूप में देख रही है।