पिरान कलियर दरगाह क्षैत्र आस-पास धार्मिक स्थलों की गरिमा के साथ समझौता क्यों?, पिरान कलियर में बाजारो, चौक चौराहों पर खुलेआम मांस की दुकानें, धार्मिक भावनाओं और स्वास्थ्य पर चोट!, वरिष्ठ समाजसेवी हितेश चौहान ने उठाई आवाज, प्रशासन से की सख्त कार्रवाई की मांग

इन्तजार रजा हरिद्वार- पिरान कलियर दरगाह क्षैत्र आस-पास धार्मिक स्थलों की गरिमा के साथ समझौता क्यों?,
पिरान कलियर में खुलेआम मांस की दुकानें, धार्मिक भावनाओं और स्वास्थ्य पर चोट!,
वरिष्ठ समाजसेवी हितेश चौहान ने उठाई आवाज, प्रशासन से की सख्त कार्रवाई की मांग
पिरान कलियर—हरिद्वार का एक ऐसा पवित्र मुस्लिम धार्मिक स्थल जिसे सिर्फ भारत ही नहीं, बल्कि पूरे विश्व में श्रद्धा और आस्था के साथ देखा जाता है। देश-विदेश से लाखों जायरीन यहां दरगाह शरीफ में जियारत के लिए आते हैं। लेकिन हाल के वर्षों में इस पवित्र स्थल की गरिमा को गंदगी, अव्यवस्था और खुलेआम लगे मांस की दुकानों ने जैसे धूमिल कर दिया है। यही चिंता समाजसेवी हितेश चौहान ने भी ज़ाहिर की है।
वरिष्ठ समाजसेवी हितेश चौहान ने स्थानीय मीडिया से बात करते हुए कहा कि पिरान कलियर केवल हरिद्वार का धार्मिक केंद्र नहीं है, बल्कि ये हमारे भारतवर्ष और पूरी दुनिया के मुसलमानों के लिए एक अहम आस्था स्थल है। लेकिन दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति यह है कि दरगाह के आसपास के क्षेत्र, मुख्य चौराहों, गलियों और बाजारों में जगह-जगह मांस की दुकानें खुल चुकी हैं। चौहान ने नाराज़गी जाहिर करते हुए कहा, “इतनी गंदगी फैल गई है, मांस के टुकड़े यहां-वहां बिखरे रहते हैं, बदबू का आलम यह है कि वहां से गुजरना तक मुश्किल हो गया है।”
धार्मिक भावनाओं को ठेस और समाज को गलत संदेश
चौहान ने यह सवाल उठाया कि धार्मिक स्थलों के पास इस तरह की मांस की दुकानें खुलना न केवल धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाता है, बल्कि समाज को भी एक बेहद गलत संदेश देता है। “क्या कोई हिंदू धार्मिक स्थल हो या मुस्लिम, किसी भी पवित्र स्थल के पास इस प्रकार की गतिविधियां उचित नहीं हैं। इससे आस्था की गरिमा घटती है और लोगों में आक्रोश पनपता है,” उन्होंने कहा।
वो कहते हैं कि यदि किसी दुकानदार के पास लाइसेंस है भी, तो भी उसे उचित स्थान पर दुकान चलाने की अनुमति होनी चाहिए—ऐसे नहीं कि बाजार के अंदर, चौराहे पर, या धार्मिक स्थल के प्रवेश द्वार के पास मांस बेचा जाए। इससे न केवल धार्मिक भावनाएं आहत होती हैं, बल्कि यह सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिहाज से भी एक गंभीर खतरा है।
प्रशासन की चुप्पी पर उठे सवाल
हितेश चौहान ने प्रशासन की भूमिका पर भी गंभीर सवाल उठाए। “मेरी समझ में नहीं आ रहा कि प्रशासन आखिर कर क्या रहा है? क्या अधिकारियों की आंखें बंद हैं या वे जानबूझकर अनदेखी कर रहे हैं? इतना बड़ा धार्मिक स्थल और वहां खुलेआम अवैध या अव्यवस्थित मांस की दुकानें चल रही हैं, और कोई कार्रवाई नहीं हो रही,” उन्होंने कहा।
उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा कि अगर समय रहते प्रशासन ने इस पर कड़ी कार्रवाई नहीं की, तो जनआक्रोश भड़क सकता है। “जब जनता कानून अपने हाथ में लेने पर मजबूर होती है, तो फिर प्रशासन को पीछे हटना पड़ता है। बेहतर यही होगा कि समय रहते कार्रवाई की जाए।”
समाधान: मांस की दुकानों का पुनर्स्थापन और लाइसेंस की सख्ती
हितेश चौहान ने स्पष्ट किया कि वे किसी की रोज़ी-रोटी के विरोध में नहीं हैं। उनका कहना है कि मांस की दुकानें अवश्य चलें लेकिन एक निश्चित, स्वच्छ और दूरस्थ स्थान पर। “हम यह नहीं कह रहे कि किसी को रोक दिया जाए, लेकिन व्यवस्था होनी चाहिए। लाइसेंस जिनके पास है, उन्हें भी साफ-सुथरे, तयशुदा स्थानों पर दुकानें देनी चाहिए। धार्मिक स्थलों और भीड़-भाड़ वाले इलाकों में नहीं।”
उन्होंने सुझाव दिया कि एक विशेष ज़ोन या मांस मंडी बनाई जाए, जहां ऐसी दुकानों को स्थानांतरित किया जाए। इससे ना केवल धार्मिक भावनाओं का सम्मान होगा, बल्कि स्वास्थ्य और स्वच्छता की दृष्टि से भी स्थिति बेहतर होगी।
हितेश चौहान ने अंत में यह मांग रखी कि दरगाह क्षेत्र में लगी सभी मांस की दुकानों की तुरंत जांच की जाए, लाइसेंस की वैधता की पुष्टि की जाए और अवैध या अनुचित स्थानों पर लगी दुकानों को तुरंत हटाया जाए। “वरना प्रशासन की निष्क्रियता से उपजे असंतोष का सामना समाज को करना पड़ेगा।”
आस्था और व्यवस्था के बीच संतुलन ज़रूरी
पिरान कलियर जैसे धार्मिक स्थलों की पवित्रता बनाए रखना न केवल प्रशासन का दायित्व है, बल्कि पूरे समाज की नैतिक जिम्मेदारी भी है। मांस की दुकानें हों या कोई अन्य व्यवसाय—हर गतिविधि को एक तयशुदा और उपयुक्त स्थान पर संचालित किया जाना चाहिए। हितेश चौहान जैसे समाजसेवी जब सवाल उठाते हैं, तो वह सिर्फ एक वर्ग की नहीं बल्कि पूरे समाज की भावना को स्वर देते हैं। अब देखना यह है कि हरिद्वार प्रशासन कब तक इस गंदगी और अव्यवस्था पर ध्यान देता है, और पिरान कलियर की गरिमा को पुनः स्थापित करने के लिए क्या ठोस कदम उठाता है।