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सलेमपुर महदूद नाम बदलने की घोषणा के बाद लगातार भड़क रहा जन आक्रोश, राव आरिफ की अगुवाई में ग्रामवासियों ने जिलाधिकारी को सौंपा ज्ञापन, ऐतिहासिक पहचान बचाने की उठाई मांग, लोक माता अहिल्याबाई के सम्मान में बड़ी सौगात की मांग, छोटे गांव से नाम जोड़ने को बताया अनुचित

इन्तजार रजा हरिद्वार- सलेमपुर महदूद नाम बदलने की घोषणा के बाद लगातार भड़क रहा जन आक्रोश, राव आरिफ की अगुवाई में ग्रामवासियों ने जिलाधिकारी को सौंपा ज्ञापन, ऐतिहासिक पहचान बचाने की उठाई मांग,
लोक माता अहिल्याबाई के सम्मान में बड़ी सौगात की मांग, छोटे गांव से नाम जोड़ने को बताया अनुचित

हरिद्वार, 12 जून 2025
हरिद्वार जनपद के प्राचीन गांव सलेमपुर महदूद का नाम बदलकर “लोक माता अहिल्याबाई” रखने की चर्चाओं ने गांव में विरोध की लहर पैदा कर दी है। गांव के लोगों का कहना है कि यह बदलाव न केवल गांव की ऐतिहासिक पहचान को मिटाने का प्रयास है, बल्कि लोक माता अहिल्याबाई जैसे राष्ट्रीय सम्मान की प्रतीक महान विभूति को भी एक सीमित पहचान में समेटने जैसा है।

गांव के पूर्व प्रधान राव आरिफ पुत्र राव मुजफ्फर के नेतृत्व में ग्रामवासियों ने जिलाधिकारी हरिद्वार को एक ज्ञापन सौंपा। ज्ञापन में कहा गया है कि सलेमपुर महदूद गांव की स्थापना सन 1374 में हुई थी और यह गांव हरिद्वार की सांस्कृतिक, ऐतिहासिक और सामाजिक विरासत का प्रतीक है।

ग्रामवासियों ने यह स्पष्ट किया कि वे लोक माता अहिल्याबाई होल्कर के अतुलनीय योगदान को सम्मान देते हैं, लेकिन किसी छोटे गांव के नाम से जोड़ना उनकी गौरवमयी छवि के साथ न्याय नहीं करता। उनका तर्क है कि यदि लोक माता अहिल्याबाई के नाम को हरिद्वार से जोड़ना ही है, तो इसे जिला मुख्यालय रोशनाबाद, रावली महदूद, या किसी बड़े संस्थान जैसे मेडिकल कॉलेज, विश्वविद्यालय, रेलवे स्टेशन या बस अड्डे के नामकरण के रूप में जोड़ा जाए, जिससे उनका सम्मान और अधिक व्यापकता प्राप्त करे।

ज्ञापन में यह भी उल्लेख किया गया है कि धनगर समाज की बड़ी आबादी इस क्षेत्र में निवास करती है और वे सभी लोक माता अहिल्याबाई के प्रति आस्था और श्रद्धा रखते हैं, लेकिन उनकी आस्था को एक छोटे गांव के नाम से जोड़कर सीमित करना, माता के राष्ट्रव्यापी योगदान को कमतर करना होगा।

ग्रामवासियों ने अनुरोध किया है कि इस विषय पर ग्राम सभा और ग्राम पंचायत की खुली बैठक बुलाकर जनमत को शामिल किया जाए, जिससे किसी भी निर्णय से पहले लोकतांत्रिक प्रक्रिया का पालन हो और सभी ग्रामवासियों की सहमति को महत्व दिया जाए।

ग्रामवासी यह भी मानते हैं कि यदि सरकार लोक माता अहिल्याबाई को उचित सम्मान देना चाहती है, तो उन्हें बड़ी सौगातों के साथ जोड़ा जाए, जिससे राष्ट्रीय स्तर पर उनका नाम और अधिक चमके, न कि एक प्राचीन गांव की पहचान को समाप्त कर।

इस विरोध के साथ गांव में सामाजिक सौहार्द और ऐतिहासिक समझ का संयोजन देखने को मिला है, जहां लोग अपनी संस्कृति की जड़ों को बचाते हुए महान विभूतियों के सम्मान के लिए सार्थक और व्यापक पहल की मांग कर रहे हैं।

Daily Live Uttarakhand यह मांग करता है कि प्रशासन इस मामले को गंभीरता से लेते हुए लोक भावनाओं का सम्मान करे और कोई भी फैसला जन संवाद और लोकतांत्रिक प्रक्रिया के तहत लिया जाए।

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