हरिद्वार के एडवोकेट अरुण भदोरिया परिवार ने उठाई आवाज — उत्तराखंड पुलिस को समान सुविधाएं देने की मांग, मुख्यमंत्री व डीजीपी को भेजा पत्र, तमिलनाडु और राजस्थान के उदाहरण का दिया हवाला, पुलिसकर्मियों की छुट्टियों, भत्तों और कार्यदशा में सुधार की मांग को लेकर भेजा गया ज्ञापन

इन्तजार रजा हरिद्वार- हरिद्वार के एडवोकेट अरुण भदोरिया परिवार ने उठाई आवाज — उत्तराखंड पुलिस को समान सुविधाएं देने की मांग,
मुख्यमंत्री व डीजीपी को भेजा पत्र, तमिलनाडु और राजस्थान के उदाहरण का दिया हवाला,
पुलिसकर्मियों की छुट्टियों, भत्तों और कार्यदशा में सुधार की मांग को लेकर भेजा गया ज्ञापन
हरिद्वार, 17 जून 2025 —
हरिद्वार निवासी और कानून क्षेत्र से जुड़े अरुण भदोरिया एडवोकेट, कमल भदोरिया एडवोकेट व चेतन भदोरिया (जो वर्तमान में एलएलबी के छात्र हैं) ने उत्तराखंड के मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी व पुलिस महानिदेशक श्री दीपम सेठ को एक संयुक्त पत्र भेजते हुए राज्य पुलिसकर्मियों के हितों की रक्षा व उनके लिए बेहतर सुविधाएं प्रदान करने की पुरज़ोर मांग की है।
इस पत्र में भदोरिया परिवार ने उल्लेख किया है कि भारत के अन्य राज्यों की तुलना में उत्तराखंड पुलिस को अभी तक वे मूलभूत सुविधाएं नहीं मिली हैं, जो आज के समय में आवश्यक हैं और जिन्हें कई राज्य अपनी पुलिस को पहले ही प्रदान कर चुके हैं। उन्होंने विशेष रूप से तमिलनाडु और राजस्थान जैसे राज्यों के उदाहरण देते हुए बताया कि किस प्रकार अन्य राज्य सरकारें अपने पुलिसबल को सम्मान, सुविधा और समान अधिकार देने की दिशा में ठोस कदम उठा रही हैं।
तमिलनाडु मॉडल का हवाला
पत्र में बताया गया कि तमिलनाडु सरकार ने अपने पुलिसकर्मियों को सप्ताह में एक दिन का साप्ताहिक अवकाश, जन्मदिन तथा शादी की सालगिरह जैसे व्यक्तिगत अवसरों पर विशेष अवकाश देने की व्यवस्था लागू की है। यह कदम न केवल पुलिस कर्मियों के मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाने की दिशा में है, बल्कि उन्हें पारिवारिक संतुलन बनाए रखने में भी मदद करता है।
राजस्थान सरकार की घोषणाएं बनी प्रेरणा
राजस्थान सरकार के हालिया निर्णयों को उदाहरण बनाते हुए पत्र में उल्लेख किया गया है कि वहां हाल ही में राजस्थान पुलिस के 76वें स्थापना दिवस पर मुख्यमंत्री श्री भजनलाल शर्मा ने अनेक कल्याणकारी घोषणाएं कीं:
- पुलिस वर्दी भत्ता ₹7000 से बढ़ाकर ₹8000 किया गया
- मैस भत्ता ₹2400 से बढ़ाकर ₹2700 किया गया
- रोडवेज की एक्सप्रेस व सेमी-डीलक्स बसों में पुलिसकर्मियों को निःशुल्क यात्रा की सुविधा
- ₹200 करोड़ का पुलिस आधुनिकीकरण व अधोसंरचना फंड की स्थापना
- कारागार विभाग में कार्यरत लांगुरियों के मानदेय में 10% की बढ़ोतरी
इस परिप्रेक्ष्य में, भदोरिया परिवार ने कहा कि उत्तराखंड जैसे सीमावर्ती व पर्वतीय राज्य में कार्यरत पुलिस बल को ऐसी सुविधाओं से वंचित रखना अन्यायपूर्ण है। विशेषकर जब उत्तराखंड के पुलिसकर्मी कई बार विषम परिस्थितियों में निरंतर 12 से 14 घंटे तक काम करते हैं।
पूर्व में भी उठाई थी आवाज, नहीं हुई सुनवाई
पत्र में यह भी बताया गया कि इससे पूर्व भी उत्तराखंड में सप्ताह में एक अवकाश, जन्मदिन व सालगिरह पर अवकाश को लेकर शासन से अनुरोध किया गया था और बताया गया था कि प्रस्ताव शासन को भेजा गया है। इसके बावजूद, आज तक कोई स्पष्ट नीति या आदेश जारी नहीं हुआ।
बंदी रक्षकों की हालत दयनीय
कारागार विभाग में कार्यरत बंदी रक्षकों की ड्यूटी शर्तें भी इस पत्र का प्रमुख हिस्सा रहीं। पत्र में बताया गया है कि बंदी रक्षकों की ड्यूटी 8 घंटे पूरी करने के बाद 4 घंटे की अतिरिक्त ड्यूटी भी ली जाती है, जो बेहद मानसिक और शारीरिक थकावट भरी है। उनके अनुसार, ऐसे में पुलिसकर्मी न तो उचित आराम कर पाते हैं और न ही अपने परिवार को समय दे पाते हैं। उनकी पत्नियां और बच्चे भी उनकी ड्यूटी के आने-जाने में मदद करते हुए स्वयं भी प्रत्यक्ष रूप से प्रभावित होते हैं।
इस परिस्थिति को भारतीय संविधान की धारा 21 (जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता का अधिकार) का उल्लंघन करार दिया गया है। भदोरिया परिवार ने इसे गंभीर चिंता का विषय बताया और कहा कि सरकार को तुरंत इस दिशा में सकारात्मक पहल करनी चाहिए।
मुख्य मांगें जो पत्र में उठाई गईं
- पुलिसकर्मियों को सप्ताह में एक दिन का साप्ताहिक अवकाश दिया जाए
- जन्मदिन व शादी की सालगिरह पर अवकाश की नीति लागू हो
- पुलिस वर्दी व मैस भत्ते में बढ़ोतरी की जाए
- उत्तराखंड रोडवेज में पुलिसकर्मियों को निःशुल्क यात्रा सुविधा दी जाए
- पुलिस आधुनिकीकरण के लिए विशेष फंड की स्थापना हो
- कारागार विभाग में कार्यरत बंदी रक्षकों की ड्यूटी शर्तों में संशोधन हो और ड्यूटी टाइम को मानवोचित बनाया जाए
- पुलिस परिवारों को भी मानसिक राहत और पारिवारिक समय देने हेतु नीति निर्धारण हो
उत्तराखंड पुलिस: समर्पण तो है, पर सुविधा नहीं
वर्तमान परिदृश्य में उत्तराखंड पुलिस देश की उन पुलिस बलों में शामिल है जो प्राकृतिक आपदा, चारधाम यात्रा, पर्यटन सीजन और धार्मिक आयोजनों में पूरी मुस्तैदी से अपनी सेवाएं देती है। इसके बावजूद, उन्हें वे सुविधाएं नहीं मिल रही हैं जो अपेक्षित हैं। पत्र में यह भी कहा गया कि समानता के सिद्धांत पर यदि अन्य राज्यों को यह सुविधाएं दी जा सकती हैं तो उत्तराखंड पुलिस को भी इसका हक मिलना चाहिए।
संवेदनशीलता और सकारात्मक पहल की अपेक्षा
पत्र के अंत में भदोरिया परिवार ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और डीजीपी दीपम सेठ से अपील की है कि वे इस विषय को मानवीय संवेदना और प्रशासनिक दृष्टिकोण से प्राथमिकता दें। यदि राज्य सरकार इस दिशा में ठोस कदम उठाती है, तो यह न केवल पुलिसकर्मियों का मनोबल बढ़ाएगा, बल्कि बेहतर पुलिस व्यवस्था की नींव भी बनेगा।
हरिद्वार से उठी यह आवाज राज्यभर के पुलिसकर्मियों की दशा-दिशा सुधारने की एक सकारात्मक पहल हो सकती है। यदि सरकार इन मांगों पर अमल करती है तो उत्तराखंड पुलिस के लिए यह एक बड़ा बदलाव साबित होगा।