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शिक्षित महिलाओं को सशक्त बनाने की पहल,, बीटेक, एमएससी, बीएड और पीएचडी धारकों को मिला आंगनबाड़ी सहायिका का नियुक्ति पत्र,, कैबिनेट मंत्री रेखा आर्या ने कहा – आंगनबाड़ी केंद्र होंगे डिजिटल, महिलाएं निभाएंगी नई भूमिका

इन्तजार रजा हरिद्वार- शिक्षित महिलाओं को सशक्त बनाने की पहल,,

बीटेक, एमएससी, बीएड और पीएचडी धारकों को मिला आंगनबाड़ी सहायिका का नियुक्ति पत्र,,

कैबिनेट मंत्री रेखा आर्या ने कहा – आंगनबाड़ी केंद्र होंगे डिजिटल, महिलाएं निभाएंगी नई भूमिका

रिपोर्ट: Daily Live Uttarakhand ब्यूरो, हल्द्वानी

उत्तराखंड की शिक्षित महिलाओं के लिए सेवा और सशक्तिकरण की दिशा में एक नई शुरुआत हुई है। हल्द्वानी में आयोजित कार्यक्रम में महिला एवं बाल विकास मंत्री रेखा आर्या ने आंगनबाड़ी सहायिका और वर्करों को नियुक्ति पत्र वितरित किए। इस अवसर पर एक विशेष बात यह रही कि नियुक्ति पाने वाली महिलाएं बीटेक, एमएससी, पीएचडी और बीएड जैसी बड़ी डिग्रियों की धारक थीं।

बाल विकास विभाग द्वारा नैनीताल जिले के लिए आयोजित नियुक्ति पत्र वितरण समारोह में कुल 300 से अधिक आंगनबाड़ी सहायिका और वर्करों को नियुक्त किया गया। इस कार्यक्रम में समाज के हर वर्ग से आए लोगों ने भाग लिया और महिलाओं के इस योगदान को सराहा।


सेवाभाव की मिसाल बनीं पढ़ी-लिखी महिलाएं

कार्यक्रम में शामिल नवनियुक्त सहायिकाओं ने अपने अनुभव साझा किए।

उमा कोरंग, जिनके पास एमएससी (बॉटनी) की डिग्री है, ने कहा –
“यह मेरे लिए सम्मान की बात है कि मुझे आंगनबाड़ी के माध्यम से समाज सेवा का अवसर मिला।”

पूनम आर्या, जो कंप्यूटर साइंस में एमएससी हैं, ने कहा –
“मैं तकनीक के साथ समाज की सेवा करना चाहती हूं। आंगनबाड़ी में डिजिटल बदलाव का हिस्सा बनना मेरे लिए गर्व की बात है।”


डिजिटल आंगनबाड़ी का सपना होगा साकार

कैबिनेट मंत्री रेखा आर्या ने इस अवसर पर कहा कि आंगनबाड़ी केंद्रों को अब आधुनिक सुविधाओं से लैस किया जाएगा। उन्होंने बताया:

  • सभी आंगनबाड़ी केंद्रों को डिजिटल टूल्स और प्रशिक्षण सामग्री से सुसज्जित किया जा रहा है।
  • शिक्षित महिलाओं की भागीदारी से बच्चों के पोषण, शिक्षा और स्वास्थ्य में सुधार आएगा।
  • यह नियुक्ति केवल एक नौकरी नहीं, बल्कि समाजसेवा का एक अहम ज़रिया है।

रेखा आर्या ने कहा कि सरकार की प्राथमिकता है कि हर गांव की आंगनबाड़ी केंद्र मजबूत और सशक्त बनें। इसके लिए महिलाओं को तकनीकी प्रशिक्षण भी दिया जाएगा।


योग्यता और चयन प्रक्रिया रही पारदर्शी

इस नियुक्ति प्रक्रिया में विभाग द्वारा न्यूनतम शैक्षणिक योग्यता 12वीं पास रखी गई थी। लेकिन महिलाओं के उच्च शैक्षणिक स्तर को देखकर यह स्पष्ट हुआ कि अब महिलाएं सेवाभाव से प्रेरित होकर समाज में योगदान देना चाहती हैं। चयन पूरी तरह नियमानुसार और पारदर्शी प्रक्रिया के तहत किया गया।


स्थानीय लोगों की प्रतिक्रिया: सशक्तिकरण की दिशा में सही कदम

स्थानीय लोगों ने इसे महिलाओं के लिए एक सशक्त और सम्मानजनक अवसर बताया। लोगों का कहना है कि:

  • इससे महिलाओं को स्थानीय स्तर पर कार्य करने और बच्चों की परवरिश में योगदान देने का अवसर मिलेगा।
  • यह कदम बाल विकास के क्षेत्र में स्थानीय प्रतिभा को पहचान देने वाला साबित होगा।

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इस कार्यक्रम ने यह साबित कर दिया कि उच्च शिक्षा प्राप्त महिलाएं भी समाज की सेवा में बढ़-चढ़कर भाग लेना चाहती हैं।
आंगनबाड़ी जैसे ज़मीनी स्तर के कार्यों में जब तकनीक और शिक्षा का समावेश होगा, तब निश्चित ही बच्चों का सर्वांगीण विकास और माताओं की जागरूकता में सुधार आएगा।

रेखा आर्या द्वारा किए गए इस नवाचार को महिला सशक्तिकरण की दिशा में ऐतिहासिक पहल माना जा सकता है।

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