जिला अस्पतालों में डीएम का औचक निरीक्षण,, गरीब मरीजों को मिले समुचित इलाज और दवाएं: मयूर दीक्षित,, मोर्चरी के लिए 5 नए डीप फ्रीजर और 10 लाख की तत्काल स्वीकृति

इन्तजार रजा हरिद्वार- जिला अस्पतालों में डीएम का औचक निरीक्षण,,
गरीब मरीजों को मिले समुचित इलाज और दवाएं: मयूर दीक्षित,,
मोर्चरी के लिए 5 नए डीप फ्रीजर और 10 लाख की तत्काल स्वीकृति
हरिद्वार, 21 जून 2025 (Daily Live Uttarakhand):
जिलाधिकारी हरिद्वार मयूर दीक्षित एक बार फिर स्वास्थ्य सेवाओं को लेकर सख्त तेवर में नजर आए। शुक्रवार को उन्होंने हरमिलाप जिला चिकित्सालय एवं चैनराम महिला चिकित्सालय का औचक निरीक्षण कर अस्पतालों की व्यवस्थाओं की गहन समीक्षा की। निरीक्षण के दौरान डीएम ने साफ निर्देश दिए कि कोई भी गरीब, असहाय या सामान्य रोगी इलाज के अभाव में परेशान न हो। उन्हें सभी आवश्यक दवाएं मुफ्त और समय पर उपलब्ध कराई जाएं।
निरीक्षण के दौरान डीएम मयूर दीक्षित ने स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों को दो टूक कहा कि अस्पतालों में मौजूद डॉक्टरों की पहचान के लिए उनके नेम प्लेट अनिवार्य रूप से लगाई जाए, जिससे मरीजों को डॉक्टर की पहचान और विशेषज्ञता जानने में कोई असुविधा न हो। उन्होंने कहा कि इलाज के लिए आने वाले लोगों को सहजता और सम्मान के साथ व्यवहार मिलना चाहिए, यह हर सरकारी चिकित्सालय की जिम्मेदारी है।
मोर्चरी व्यवस्था सुधारने को 10 लाख की तत्काल स्वीकृति
हरमिलाप जिला अस्पताल में मोर्चरी की खराब हालत को देखते हुए जिलाधिकारी ने त्वरित निर्णय लेते हुए 5 डीप फ्रीजर खरीदने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि यह खरीद जेम पोर्टल से की जाए और किसी भी प्रकार की लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी। डीएम ने मौके पर ही 10 लाख रुपये की धनराशि स्वीकृत करते हुए संबंधित अधिकारियों को तत्काल प्रक्रिया पूरी करने के निर्देश दिए।
उन्होंने कहा कि कई बार शवों के सही ढंग से संरक्षित न होने की शिकायतें आती हैं, जिससे परिजनों को असुविधा होती है। इसलिए यह अत्यंत जरूरी है कि मोर्चरी की स्थिति में सुधार लाया जाए और आधुनिक उपकरण लगाए जाएं।
स्वास्थ्य सेवाओं की हकीकत जानने को मरीजों से सीधा संवाद
निरीक्षण के दौरान जिलाधिकारी मयूर दीक्षित ने अस्पताल में भर्ती मरीजों तथा उनके तीमारदारों से संवाद किया और उनकी समस्याओं को सुना। उन्होंने सीधे तौर पर पूछा कि क्या उन्हें इलाज में कोई दिक्कत आ रही है, क्या डॉक्टर समय पर आते हैं, और दवाएं उपलब्ध हो रही हैं या नहीं।
कुछ मरीजों ने दवा की कमी और कुछ स्टाफ की उदासीनता की शिकायत की, जिस पर डीएम ने तत्काल नोट लेने के निर्देश दिए। उन्होंने मुख्य चिकित्सा अधीक्षक से कहा कि यदि किसी स्तर पर लापरवाही मिले तो उस कर्मचारी के खिलाफ सख्त कार्रवाई होनी चाहिए।
अनुबंधित फर्म की निगरानी होगी सख्त
अस्पताल में विभिन्न चिकित्सा उपकरणों जैसे ईसीजी मशीन, अल्ट्रासाउंड, एक्स-रे आदि की स्थिति का निरीक्षण करते हुए जिलाधिकारी ने स्पष्ट निर्देश दिए कि उपकरणों के रख-रखाव की जिम्मेदारी जिन अनुबंधित फर्मों को दी गई है, यदि वे अपने दायित्वों का निर्वहन ठीक से नहीं कर रही हैं तो उनके विरुद्ध नोटिस जारी किया जाए।
उन्होंने कहा कि मरीजों के जीवन से जुड़ी मशीनों में कोई भी तकनीकी खराबी या लापरवाही अस्वीकार्य है। यदि फर्म समय पर मशीनें दुरुस्त नहीं कर पा रही है, तो उसके विरुद्ध अनुबंध तोड़ने तक की कार्यवाही की जाए और इसकी सूचना उच्चाधिकारियों को भी दी जाए।
प्रमुख वार्डों का गहन निरीक्षण, अधिकारियों को दिए निर्देश
जिलाधिकारी ने अस्पताल के ईसीज, रेडियोलॉजी, स्त्री रोग विभाग (गाइनोकोलॉजिस्ट), बाल रोग विभाग (पीडियाट्रिक वार्ड), डेंगू वार्ड, आपातकालीन विभाग (इमरजेंसी), प्रसव कक्ष (लेबर रूम) का गहन निरीक्षण किया।
हर विभाग में जाकर उन्होंने न केवल उपकरणों की स्थिति देखी बल्कि स्टाफ की उपस्थिति, स्वच्छता, मरीजों की संख्या, दवाओं की उपलब्धता और सुरक्षा उपायों की भी जांच की। उन्होंने कहा कि हर विभाग को अपडेट रखना होगा और मरीजों की सुविधा के लिए हर जरूरी कदम उठाए जाएं।
सीएमओ और सीएमएस सहित चिकित्सा अधिकारी रहे मौजूद
इस निरीक्षण के दौरान मुख्य चिकित्साधिकारी डॉ. आर.के. सिंह, मुख्य चिकित्साधीक्षक डॉ. विजयेश भारद्वाज, तथा डॉ. आर.वी. सिंह सहित अस्पताल प्रशासन के अन्य अधिकारी मौजूद रहे। उन्होंने जिलाधिकारी को अस्पताल की वर्तमान स्थिति और चल रही योजनाओं की जानकारी दी।
डॉक्टरों ने डीएम को अवगत कराया कि अस्पताल में स्टाफ की कुछ कमी है और संसाधनों की मांग समय-समय पर शासन को भेजी जाती रही है। इस पर डीएम ने उन्हें आश्वस्त किया कि आवश्यक संसाधनों की पूर्ति के लिए शासन से समन्वय किया जाएगा, लेकिन अस्पताल का जो मौजूदा तंत्र है, वह प्रभावी ढंग से कार्य करे यह सबसे जरूरी है।
सरकारी अस्पतालों में व्यवस्थाएं हों पारदर्शी और मानवीय: डीएम
जिलाधिकारी ने अधिकारियों को निर्देश दिया कि सरकारी अस्पतालों में पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित की जाए। आम जनता इन अस्पतालों पर भरोसा करती है, इसलिए हर डॉक्टर, नर्स और कर्मचारी को यह समझना होगा कि वह समाज की सेवा कर रहा है।
उन्होंने साफ शब्दों में कहा, “अगर कहीं से भी लापरवाही की शिकायत आती है तो मैं स्वयं संज्ञान लूंगा और संबंधित अधिकारियों पर जिम्मेदारी तय की जाएगी।”
प्रशासनिक निगरानी से सुधर रही स्वास्थ्य सेवाएं
हरिद्वार में जिलाधिकारी मयूर दीक्षित के नेतृत्व में स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार के स्पष्ट संकेत मिल रहे हैं। अस्पतालों का औचक निरीक्षण, मरीजों से सीधा संवाद, अनुबंधित फर्मों की जवाबदेही, और तत्काल वित्तीय स्वीकृति जैसी त्वरित कार्यवाहियां इस बात का प्रमाण हैं कि अब सरकारी स्वास्थ्य व्यवस्थाओं को सख्ती के साथ संचालित किया जा रहा है।
हरिद्वार की जनता को बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं दिलाने की दिशा में यह निरीक्षण एक अहम कदम माना जा रहा है। यदि इसी तरह प्रशासनिक सक्रियता बनी रही, तो आने वाले समय में हरिद्वार के सरकारी अस्पतालों की छवि और सेवाएं दोनों में सुधार तय माना जा सकता है।