ग्वालियर हाईकोर्ट में बाबा साहब की प्रतिमा को लेकर देश भर में आक्रोश,, हरिद्वार में भी भीम आर्मी का उग्र प्रदर्शन, कहा—प्रतिमा नहीं लगी तो राष्ट्रव्यापी होगा आंदोलन,, एसडीएम सदर हरिद्वार जितेन्द्र कुमार को सौंपा ज्ञापन,, संविधान निर्माता का सम्मान नहीं तो न्यायालय की नैतिकता पर उठेंगे सवाल: महक सिंह

इन्तजार रजा हरिद्वार- ग्वालियर हाईकोर्ट में बाबा साहब की प्रतिमा को लेकर देश भर में आक्रोश,,
हरिद्वार में भी भीम आर्मी का उग्र प्रदर्शन, कहा—प्रतिमा नहीं लगी तो राष्ट्रव्यापी होगा आंदोलन,, एसडीएम सदर हरिद्वार जितेन्द्र कुमार को सौंपा ज्ञापन,, संविधान निर्माता का सम्मान नहीं तो न्यायालय की नैतिकता पर उठेंगे सवाल: महक सिंह
✍🏻 इन्तज़ार रज़ा, हरिद्वार
Daily Live Uttarakhand विशेष रिपोर्ट
हरिद्वार, 24 जून।
मध्य प्रदेश हाईकोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ में संविधान निर्माता बाबा साहब डॉ. भीमराव अंबेडकर की प्रतिमा लगाए जाने की मांग को लेकर देश भर में दलित संगठनों और सामाजिक न्याय के समर्थकों में गहरा आक्रोश है। इसी कड़ी में सोमवार को हरिद्वार में भीम आर्मी और आजाद समाज पार्टी के कार्यकर्ताओं ने ज़ोरदार प्रदर्शन किया और ग्वालियर हाईकोर्ट प्रशासन के खिलाफ नारेबाजी करते हुए जिलाधिकारी के माध्यम से भारत के मुख्य न्यायाधीश को ज्ञापन भेजा।
कलेक्ट्रेट परिसर में जुटे कार्यकर्ता, न्याय की आवाज बुलंद
हरिद्वार के कलेक्ट्रेट भवन के बाहर सैकड़ों की संख्या में जुटे प्रदर्शनकारियों ने “जय भीम”, “बाबा साहब अमर रहें”, “संविधान के सम्मान में, बाबा साहब के स्थान में” जैसे नारों के साथ सरकार और न्यायपालिका से सवाल किए कि आजादी के 75 वर्षों बाद भी यदि किसी कोर्ट परिसर में संविधान निर्माता की प्रतिमा को जगह नहीं मिल पा रही है, तो इससे बड़ा दुर्भाग्य और क्या हो सकता है?
प्रदर्शनकारियों ने हाथों में तख्तियां और बैनर लेकर शांतिपूर्ण लेकिन उग्र तेवर में अपनी बात रखी। उन्होंने कहा कि बाबा साहब की प्रतिमा को लगाने से कोई धार्मिक भावना आहत नहीं होती, बल्कि यह न्यायिक प्रणाली को मजबूती देती है, जिसकी बुनियाद बाबा साहब ने ही रखी थी।
🗣️ महक सिंह, प्रदेश अध्यक्ष, आजाद समाज पार्टी
“ग्वालियर हाईकोर्ट परिसर में बाबा साहब की प्रतिमा लगाने का विरोध कुछ चुनिंदा मानसिकता के लोग कर रहे हैं। यह दुर्भाग्यपूर्ण और निंदनीय है। बाबा साहब सिर्फ दलित समाज के नहीं, पूरे देश के संविधान निर्माता हैं। यदि जल्द उनकी प्रतिमा नहीं लगी तो यह आंदोलन हर जिले, हर राज्य और संसद तक पहुंचेगा। हम बाबा साहब के सम्मान से कोई समझौता नहीं करेंगे। यह सिर्फ एक प्रतिमा नहीं, पूरे देश की आत्मा का प्रश्न है।”
हरिद्वार प्रशासन को सौंपा गया ज्ञापन
भीम आर्मी प्रतिनिधिमंडल ने जिला प्रशासन को संबोधित ज्ञापन हरिद्वार सदर के एसडीएम जितेन्द्र कुमार को सौंपा। ज्ञापन में मांग की गई कि भारत के मुख्य न्यायाधीश को यह संदेश तुरंत पहुंचाया जाए कि यदि जल्द प्रतिमा स्थापना नहीं हुई तो देशभर में उग्र आंदोलन की शुरुआत होगी।
🗣️ जितेन्द्र कुमार, एसडीएम सदर, हरिद्वार
“आज जिला प्रशासन को भीम आर्मी और आजाद समाज पार्टी द्वारा सौंपा गया ज्ञापन प्राप्त हुआ है। उन्होंने ग्वालियर खंडपीठ में डॉ. अंबेडकर की प्रतिमा स्थापित किए जाने की मांग की है। यह एक संवेदनशील मुद्दा है, और हम इस ज्ञापन को तत्काल शासन व न्यायालय को अग्रेषित करेंगे। प्रदर्शन शांतिपूर्ण रहा और सभी लोग संविधान के दायरे में रहकर अपनी बात रख रहे हैं।”
न्यायपालिका की भूमिका पर भी उठे सवाल
प्रदर्शनकारियों ने यह भी कहा कि यदि न्यायपालिका ही संविधान निर्माता के सम्मान में पिछड़ जाए तो फिर आम जनता किससे उम्मीद रखे? उनका कहना था कि बाबा साहब की प्रतिमा ग्वालियर हाईकोर्ट में लगे, यह न सिर्फ दलित समाज की बल्कि संविधान में आस्था रखने वाले हर भारतीय की मांग है।
एक युवा कार्यकर्ता मोहसिन मलिक ने कहा—
“बाबा साहब के बिना संविधान की कल्पना नहीं की जा सकती। आज हर वर्ग को जो अधिकार मिला है, उसकी नींव बाबा साहब ने रखी थी। कोर्ट परिसर में उनकी प्रतिमा लगाना न्याय व्यवस्था को नमन करने जैसा है।”
हरिद्वार से उठी चेतावनी की आवाज
महक सिंह ने यह भी कहा कि उत्तर भारत के तमाम शहरों में जल्द ही इसी मुद्दे को लेकर बड़े प्रदर्शन आयोजित किए जाएंगे। यदि न्यायपालिका खुद अपने निर्माता को नकारेगी तो यह पूरे लोकतंत्र के लिए खतरनाक संकेत होगा।
उन्होंने यह भी कहा कि भीम आर्मी किसी दल या सत्ता के विरोध में नहीं, बल्कि सामाजिक न्याय और संविधान की रक्षा में खड़ी है। यह आंदोलन किसी जाति के पक्ष में नहीं, बल्कि उस सोच के समर्थन में है जिसने भारत को एक लोकतांत्रिक गणराज्य बनाया।
संघर्ष अभी बाकी है
हरिद्वार का यह प्रदर्शन भले ही शांतिपूर्ण था, लेकिन इसके पीछे की चेतावनी स्पष्ट थी—अगर बाबा साहब की प्रतिमा जल्द नहीं लगी, तो भीम आर्मी चुप नहीं बैठेगी। संविधान निर्माता के सम्मान की लड़ाई सिर्फ एक राज्य या शहर तक सीमित नहीं रहेगी, यह राष्ट्रव्यापी आंदोलन बन सकती है।
ग्वालियर हाईकोर्ट के प्रशासन को यह समझना होगा कि यह मुद्दा मूर्ति लगाने भर का नहीं, बल्कि सामाजिक न्याय, लोकतंत्र और संवैधानिक मूल्यों की आत्मा को पहचान देने का है।
✒️ इन्तज़ार रज़ा हरिद्वार
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