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तो क्या मिक्चर प्लांट बना ग्रामीणों के लिए अभिशाप,, धूल, दलदल और बर्बादी के बीच सिसकती खेती—सड़क से लेकर सांस तक संकट में,, ” तो क्या अब आंदोलन ही आखिरी रास्ता”, बोले ग्रामीण— लेकिन अब डीएम हरिद्वार मयूर दीक्षित से लगाई मदद की गुहार

इन्तजार रजा हरिद्वार- तो क्या मिक्चर प्लांट बना ग्रामीणों के लिए अभिशाप,,
धूल, दलदल और बर्बादी के बीच सिसकती खेती—सड़क से लेकर सांस तक संकट में,,
” तो क्या अब आंदोलन ही आखिरी रास्ता”, बोले ग्रामीण— लेकिन अब डीएम हरिद्वार मयूर दीक्षित से लगाई मदद की गुहार

✍️ इन्तज़ार रज़ा, विशेष संवाददाता
📍 Daily Live Uttarakhand, बहादराबाद डेस्क


हरिद्वार (बहादराबाद)।
उत्तराखंड की हरी-भरी कृषि भूमि पर जब उद्योगों की चहलकदमी बढ़ी, तो ग्रामीणों ने सोचा—अब विकास आएगा। लेकिन जब विकास की आड़ में एक मिक्चर प्लांट ने आन्नेकी हेत्तमपुर, महादेवपुरम, पुरनपुर, साल्हापुर और सुमन नगर जैसे गांवों की नींव ही हिला दी, तब लोगों को समझ में आया कि यह विकास नहीं, विनाश की शुरुआत है।

ग्रामीण अब सिर्फ शिकायत नहीं कर रहे—वे चेतावनी दे रहे हैं। उनका कहना है कि अगर जल्द समाधान नहीं हुआ तो वे आंदोलन करने पर मजबूर होंगे। यह आक्रोश किसी साजिश से नहीं उपजा, बल्कि आठ वर्षों की उपेक्षा ने इसे जन्म दिया है।

तो क्या मिक्चर प्लांट की मार: सड़क से खेत तक तबाही ही तबाही

जिस महादेव रोड से होकर प्रतिदिन भारी ट्रकों का आना-जाना होता है, वही अब ग्रामीणों की सबसे बड़ी मुसीबत बन चुकी है। सड़कों पर दो-दो फीट गहरे गड्ढे, हर समय उड़ती धूल और बारिश में दलदल की स्थिति ग्रामीणों के जनजीवन को लगभग अपंग बना चुकी है।

ग्रामीणों का कहना है कि—

“मिक्चर प्लांट वाले अपने ट्रकों के लिए रास्ता समतल करवा लेते हैं, लेकिन गांववालों के लिए आठ साल से कोई वैकल्पिक व्यवस्था नहीं की। सिर्फ मुनाफा देख रहे हैं, बाकी सबको बर्बाद कर दिया।”

फसलों पर धूल का कहर, किसान बेहाल

मिक्चर प्लांट से उड़ने वाली धूल सीधे खेतों पर जम जाती है, जिससे पत्तियों का पोषण चक्र रुक जाता है। गेहूं, सब्जी, दलहन जैसी मुख्य फसलें प्रभावित हो रही हैं। किसान सुरेश कुमार बताते हैं—

“पिछली बार चार बीघा में गेहूं और सब्जी लगाई थी, लेकिन ट्रकों की धूल से पत्तियां पीली पड़ गईं। उत्पादन आधा रह गया। खेत तक जाने में भी अब मुश्किल है।”

यह स्थिति केवल आर्थिक नुकसान नहीं, बल्कि मनोबल तोड़ने वाली बन चुकी है।

सड़क नहीं, जानलेवा जाल

महादेव रोड कभी इन गांवों की जीवनरेखा हुआ करता था, आज वही जान का खतरा बन गया है। स्कूल जाने वाले बच्चों से लेकर गर्भवती महिलाओं तक, सबको आवाजाही में खतरा बना रहता है। बारिश में यह मार्ग फिसलन और कीचड़ से भरा रहता है।

सुशील कुमार स्थानीय किसान कहते हैं

“हम अपने खेतों और घरों में कैद हो गए हैं। विकास के नाम पर हम बर्बाद हो रहे हैं।”

आठ वर्षों से चल रही उपेक्षा

यह समस्या एक-दो महीने की नहीं, बल्कि पूरे आठ वर्षों से चली आ रही है। ग्रामीणों ने तहसील, ब्लॉक और डीएम कार्यालय तक अनेकों ज्ञापन सौंपे हैं, लेकिन स्थिति जस की तस बनी हुई है। ग्रामीणों को अब लगता है कि कहीं न कहीं मिक्चर प्लांट मालिक और प्रशासनिक तंत्र की मिलीभगत भी इसमें शामिल है।

अब डीएम हरिद्वार मयूर दीक्षित को सौंपा ज्ञापन, मांगे रखीं स्पष्ट

दिनांक 16 जून 2025 को ग्रामीणों ने जिलाधिकारी हरिद्वार मयूर दीक्षित को ज्ञापन सौंपा जिसमें लिखा गया कि मिक्चर प्लांट के कारण जनजीवन संकट में है। ज्ञापन पर हस्ताक्षर करने वालों में भागेंराम, सुरेश कुमार, सचिन दुग्गल, छत्रपाल सिंह, राहुल कुमार, पेलन सिंह, सागर, संजय चौहान, राजपाल, स्वराज, राजकिरण समेत अनेक ग्रामीण शामिल थे।

ग्रामीणों की मुख्य मांगे हैं:

  1. रास्ते का तत्काल पक्कीकरण कराया जाए।
  2. दो-दो फीट गहरे गड्ढों को समतल किया जाए।
  3. बरसात से पूर्व कीचड़ नियंत्रण की पुख्ता व्यवस्था हो।
  4. मिक्चर प्लांट ट्रकों के लिए वैकल्पिक मार्ग बनाया जाए।
  5. धूल नियंत्रण के लिए नियमित पानी का छिड़काव हो।
  6. फसलों को हुए नुकसान का उचित मुआवजा दिया जाए।

तो क्या प्रशासनिक चुप्पी या उद्योगपति की दबंगई?

यह सवाल अब हर चौपाल में चर्चा का विषय बन चुका है—आखिर किसके दबाव में प्रशासन खामोश है? ग्राम पंचायत से लेकर ब्लॉक कार्यालय तक कोई भी अधिकारी इस विषय में खुलकर बात नहीं कर रहा। ग्राम सभा की बैठकें भी केवल खानापूरी बन कर रह गई हैं।

अब ग्रामीणों की पीड़ा को प्राथमिकता देने का समय

हरिद्वार जैसे धार्मिक और कृषि प्रधान जिले में अगर ग्रामीण अपने ही खेतों तक न पहुंच पाएं, तो इसे सिर्फ ‘अव्यवस्था’ नहीं, बल्कि ‘संवेदनहीनता’ और ‘शोषण’ का प्रतीक कहा जाना चाहिए।

उद्योगों का विकास जरूरी है, लेकिन उस विकास की कीमत यदि किसानों को अपनी आजीविका खोकर, स्वास्थ्य बिगाड़कर और सामाजिक शांति गवांकर चुकानी पड़े, तो यह कोई उपलब्धि नहीं, बल्कि लोकतंत्र पर धब्बा है। अब आवश्यकता है कि जिला प्रशासन और सरकार दोनों संज्ञान लें। मिक्चर प्लांट की निगरानी हो, रास्ता बने, और ग्रामीणों को वह सम्मान और सुविधा दी जाए जिसके वे अधिकारी नहीं, हकदार हैं।

📌 Daily Live Uttarakhand की यह विशेष रिपोर्ट जनहित में प्रकाशित की जा रही है। यदि आपकी पंचायत या गांव भी किसी ऐसी ही समस्या से जूझ रहा है, तो हमें लिखें या संपर्क करें।

✍️ रिपोर्ट: इंतज़ार रज़ा, विशेष संवाददाता
📍 स्थान: बहादराबाद, हरिद्वार
📧 ईमेल: dailyliveuttarakhand@gmail.com

 

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