स्ट्रीट चिल्ड्रन और बाल श्रमिकों पर हरिद्वार प्रशासन सख्त,, DM मयूर दीक्षित की अध्यक्षता में हुई महत्वपूर्ण बैठक, रेस्क्यू अभियान में तेजी के निर्देश,, “हर बच्चा स्कूल में दिखे, बाल विवाह और भीख मांगना सख्त अपराध की श्रेणी में आए”—DM

इन्तजार रजा हरिद्वार- स्ट्रीट चिल्ड्रन और बाल श्रमिकों पर हरिद्वार प्रशासन सख्त,,
DM मयूर दीक्षित की अध्यक्षता में हुई महत्वपूर्ण बैठक, रेस्क्यू अभियान में तेजी के निर्देश,,
“हर बच्चा स्कूल में दिखे, बाल विवाह और भीख मांगना सख्त अपराध की श्रेणी में आए”—DM
✍🏻 इन्तज़ार रज़ा, हरिद्वार | Daily Live Uttarakhand
हरिद्वार 25 जून 2025 — राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (NCPCR) के Pan India Rescue & Rehabilitation Campaign के तहत जिला कार्यालय सभागार में मंगलवार देर शाम जिलाधिकारी मयूर दीक्षित की अध्यक्षता में एक महत्वपूर्ण समीक्षा बैठक संपन्न हुई। इस बैठक का मुख्य फोकस जिले में स्ट्रीट चिल्ड्रन, बाल श्रम, बाल विवाह और भीख मांगने वाले बच्चों की समस्या पर एकजुट एवं ठोस रणनीति बनाना था।
“बच्चों को स्कूल में देखना है, सड़कों पर नहीं”: डीएम का स्पष्ट संदेश
बैठक में जिलाधिकारी मयूर दीक्षित ने अधिकारियों को सख्त लहजे में निर्देशित किया कि जिले में स्ट्रीट चिल्ड्रन का विधिवत चिन्हांकन किया जाए और उनके पुनर्वास की दिशा में तेजी लाई जाए। उन्होंने शिक्षा विभाग को विशेष रूप से निर्देशित किया कि विद्यालयों में बच्चों की उपस्थिति नियमित रूप से सुनिश्चित की जाए।
“यदि कोई बच्चा लगातार स्कूल नहीं आ रहा है, तो उसकी ट्रैकिंग करें। हर बच्चा पढ़ेगा तभी भविष्य बेहतर होगा, नहीं तो वह या तो भीख मांगेगा या बाल श्रम का शिकार बनेगा,” — जिलाधिकारी मयूर दीक्षित
डीएम ने यह भी कहा कि यदि कोई बच्चा भीख मांगते या बाल श्रम करते हुए पाया जाता है तो तुरंत रेस्क्यू किया जाए और उसे स्कूल में दाखिला दिलाया जाए। इस अभियान के लिए बाल श्रम जिला कार्यबल और बचाव दल को लगातार छापेमारी करने के निर्देश भी दिए गए।
बाल विवाह को लेकर सख्ती—”एक भी मामला नहीं होना चाहिए”
बैठक में जिलाधिकारी ने स्पष्ट रूप से कहा कि बाल विवाह किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। कोई भी बाल विवाह की सूचना मिले तो त्वरित कार्रवाई की जाए। बाल विवाह की रोकथाम हेतु ग्राम स्तर से लेकर जिले तक सतर्कता बरती जाए।
“हर बेटी और बेटा अपनी उम्र के अनुसार पढ़े-लिखे, यह प्रशासन की प्राथमिक जिम्मेदारी है।” — डीएम मयूर दीक्षित
श्रम विभाग ने पेश की रिपोर्ट, अब तक 20 बाल श्रमिकों की पहचान
श्रम विभाग की ओर से दी गई रिपोर्ट के अनुसार, अप्रैल 2024 से मार्च 2025 तक 18 बाल श्रमिक और 1 किशोर श्रमिक को चिन्हित किया गया था। इन बच्चों को स्कूलों में दाखिला दिलाने की प्रक्रिया शुरू की गई है। वहीं, अप्रैल 2025 से अब तक दो और बाल श्रमिक चिन्हित किए गए हैं जिनके पुनर्वास की प्रक्रिया चल रही है।
श्रम प्रवर्तन अधिकारी अनिल पुरोहित ने बताया कि किशोर श्रमिकों को शिक्षा के साथ-साथ व्यावसायिक प्रशिक्षण दिलाने की योजना पर भी कार्य चल रहा है।
कारखानों को ‘नो चाइल्ड लेबर’ प्रमाणपत्र अनिवार्य
बैठक में सचिव जिला विधिक सेवा प्राधिकरण सिमरनजीत कौर ने कहा कि जिले के सभी कारखानों से यह प्रमाणपत्र लिया जाए कि वहां कोई बाल श्रमिक कार्यरत नहीं है। साथ ही 14 से 18 वर्ष के किशोर यदि कहीं कार्यरत हैं, तो उन्हें वयस्क की तरह वेतन दिया जाए और 6 घंटे से अधिक काम न लिया जाए।
उन्होंने यह भी कहा कि गैर-सुरक्षित कार्यों में किशोरों से काम कराना पूरी तरह प्रतिबंधित है और ऐसा करने वालों के खिलाफ सख्त कानूनी कार्यवाही की जाएगी।
अधिकारियों की व्यापक मौजूदगी, संयुक्त कार्य योजना का खाका तैयार
बैठक में सभी संबंधित विभागों की भागीदारी रही। उपस्थित प्रमुख अधिकारियों में अपर जिलाधिकारी पीआर चौहान, मुख्य चिकित्सा अधिकारी आरके सिंह, स्टेट कोऑर्डिनेटर उत्तराखंड गजेंद्र नौटियाल, सीओ एसपी बडोनी, डीपीओ अविनाश सिंह भदोरिया, एसएनए नगर निगम ऋषभ उनियाल और अन्य अधिकारी शामिल रहे।
सभी विभागों ने संयुक्त रूप से आश्वासन दिया कि बच्चों की सुरक्षा, शिक्षा और अधिकार सुनिश्चित करने में कोई कमी नहीं छोड़ी जाएगी।
हरिद्वार प्रशासन ने यह स्पष्ट कर दिया है कि बाल अधिकारों के उल्लंघन को अब नजरअंदाज नहीं किया जाएगा। चाहे बात भीख मांगते बच्चों की हो, बाल विवाह की हो या कारखानों में काम कर रहे नाबालिगों की, हर पहलू पर सख्त कार्रवाई की जाएगी। जिलाधिकारी मयूर दीक्षित की यह सक्रियता आने वाले समय में जिले में बाल संरक्षण के क्षेत्र में एक सकारात्मक बदलाव लाने वाली साबित हो सकती है।
📌 “बचपन को बचाने की लड़ाई अब हर जिम्मेदार अधिकारी की प्राथमिकता होगी”, यह संदेश इस बैठक ने हर विभाग को दिया है।