कांवड़ मेला 2025: सुरक्षा, समन्वय और श्रद्धा का संगम,, डीजीपी दीपम सेठ के निर्देश— “हर श्रद्धालु की सुरक्षा हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता”,, सीसीटीवी, ड्रोन, QRT, ATS से लेकर सीमावर्ती राज्यों तक समन्वय—उत्तराखंड पुलिस का पुख्ता प्लान तैयार

इन्तजार रजा हरिद्वार- कांवड़ मेला 2025: सुरक्षा, समन्वय और श्रद्धा का संगम,,
डीजीपी दीपम सेठ के निर्देश— “हर श्रद्धालु की सुरक्षा हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता”,,
सीसीटीवी, ड्रोन, QRT, ATS से लेकर सीमावर्ती राज्यों तक समन्वय—उत्तराखंड पुलिस का पुख्ता प्लान तैयार
✍🏻 इन्तज़ार रज़ा, देहरादून | Daily Live Uttarakhand
उत्तराखंड में आगामी श्रावण मास कांवड़ मेला 2025 को लेकर पुलिस प्रशासन की तैयारियां अब अंतिम चरण में पहुंच रही हैं। इस धार्मिक आयोजन की विशालता और तीव्र जनसंख्या प्रवाह को देखते हुए राज्य पुलिस ने अभूतपूर्व स्तर की सुरक्षा और समन्वय की योजना तैयार की है।
डीजीपी उत्तराखंड श्री दीपम सेठ की अध्यक्षता में आज देहरादून स्थित पटेल भवन सभागार में आयोजित उच्चस्तरीय पुलिस गोष्ठी में राज्य के सभी ज़िलों के वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों की उपस्थिति में मंथन किया गया। इस बैठक में कांवड़ मेले के सुचारू संचालन, यातायात प्रबंधन, भीड़ नियंत्रण, आपातकालीन तैयारियों और जनसहयोग पर विस्तृत चर्चा की गई।
🔹 सुरक्षा के बहुस्तरीय इंतजाम—हर संदिग्ध गतिविधि पर रहेगी नज़र
डीजीपी दीपम सेठ ने स्पष्ट किया कि कांवड़ मेला एक धार्मिक नहीं, बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा का मसला भी है। इसके मद्देनज़र पूरे आयोजन क्षेत्र को तीन जोन—संवेदनशील, अति संवेदनशील और अतिभीड़ वाले क्षेत्रों में विभाजित किया जाएगा। इन क्षेत्रों में—
- अनुभवी पुलिस बल
- रिज़र्व पुलिस टीमें
- महिला पुलिस इकाइयाँ
- ATS (एंटी टेरर स्क्वॉड)
- बम डिस्पोजल यूनिट
- और खुफिया इकाइयाँ (Intelligence Units)
को रणनीतिक स्थानों पर तैनात किया जाएगा। प्रमुख घाट, शिविर स्थल, बाजार, और मंदिर परिसरों की 24×7 निगरानी सुनिश्चित की जाएगी।
🔸 यातायात नियंत्रण में दक्षता—कांवड़ मार्गों पर ‘Zero Error’ प्लान
डीजीपी ने ट्रैफिक और रूट मैनेजमेंट को लेकर विशेष दिशा-निर्देश दिए। मुख्य बिंदु:
- सभी प्रमुख मार्गों, वैकल्पिक रास्तों और पार्किंग स्थलों पर स्पष्ट ट्रैफिक प्लान लागू किया जाएगा।
- सीमावर्ती राज्यों में भी होर्डिंग, फ्लैक्स और सोशल मीडिया के माध्यम से जानकारी दी जाएगी।
- भारी वाहनों के डायवर्जन, अस्थायी पुलिस चौकियां, मोबाइल पेट्रोलिंग और पैदल/डाक कांवड़ियों के लिए सुरक्षित रास्ते चिन्हित किए जाएंगे।
हरकी पैड़ी, ऋषिकेश और नीलकंठ जैसे हॉटस्पॉट क्षेत्रों में विशेष बैरिकेडिंग और ड्रोन निगरानी भी प्रस्तावित है।
🔹 तकनीक आधारित निगरानी—CCTV, ड्रोन और बॉडी कैमरों की ताकत
तकनीकी संचार और निगरानी को इस बार विशेष प्राथमिकता दी गई है। हर महत्वपूर्ण स्थल पर—
- CCTV कैमरे
- ड्रोन निगरानी
- बॉडी वॉर्न कैमरे
- पब्लिक एड्रेस सिस्टम
लगाए जाएंगे। मेला नियंत्रण कक्ष (Control Room) को Quick Response Team (QRT) से जोड़ा जाएगा, ताकि किसी भी सूचना पर तत्काल प्रतिक्रिया हो सके।
सोशल मीडिया मॉनिटरिंग यूनिट भी हर अफवाह या असामाजिक सामग्री पर त्वरित कार्रवाई करेगी। श्रद्धालुओं तक सही, प्रमाणिक और समयबद्ध सूचना प्रसारित की जाएगी।
🔸 जनसहयोग और सुविधाएं—श्रद्धालुओं के लिए समर्पण का संदेश
कांवड़ियों के लिए राज्य सरकार और पुलिस विभाग का यह संदेश स्पष्ट है कि “आप हमारे मेहमान हैं, और आपकी हर आवश्यकता हमारी जिम्मेदारी है।” इसी सिद्धांत को आधार बनाकर निर्देशित किया गया कि:
- पेयजल, स्वास्थ्य सेवा, मोबाइल टॉयलेट, रात्रि विश्राम के स्थानों की प्रशासनिक समन्वय से व्यवस्था की जाए।
- शिविरों, धर्मशालाओं में ठहरने वालों का सत्यापन अनिवार्य किया जाए।
- हरिद्वार में अत्यधिक भीड़ की स्थिति में अन्य घाटों (जैसे कनखल, चंडीघाट) को वैकल्पिक रूप में प्रचारित किया जाए।
🔹 सीमावर्ती राज्यों से समन्वय—SOP लागू, मॉक ड्रिल और आपदा तैयारी
उत्तर प्रदेश, हरियाणा, दिल्ली और हिमाचल जैसे सीमावर्ती राज्यों के पुलिस अधिकारियों से पूर्व समन्वय बैठकें आयोजित करने के निर्देश दिए गए हैं। इन बैठकों में—
- इंटेलिजेंस इनपुट्स का साझा विश्लेषण
- ड्रेस रिहर्सल और मॉक ड्रिल
- आपदा प्रबंधन टीमें पहले से सक्रिय
- SOP को प्रभावी रूप से लागू किया जाएगा।
रेलवे स्टेशन, बस अड्डा, हरकी पैड़ी और नीलकंठ मंदिर जैसे अति संवेदनशील क्षेत्रों पर विशेष सुरक्षा योजना और भीड़ प्रबंधन तंत्र को लागू किया जाएगा।
🔸 नैतिक माहौल और कानून व्यवस्था—श्रद्धा के माहौल में कोई विघ्न नहीं
डीजीपी ने कानून व्यवस्था को लेकर सख्त रुख अपनाया और निर्देश दिए कि:
- मांस, शराब एवं नशे के पदार्थों की बिक्री पर पूरी तरह प्रतिबंध रहे।
- हर पुलिसकर्मी श्रद्धालुओं से सम्मानजनक व्यवहार करे।
- साम्प्रदायिक और असामाजिक तत्वों पर विशेष निगरानी रखी जाए।
🛡️ डीजीपी का संदेश—”श्रद्धा, सुरक्षा और सेवा हमारा संकल्प”
गोष्ठी के अंत में डीजीपी दीपम सेठ ने कहा:
“उत्तराखंड पुलिस पूरी सतर्कता, संवेदनशीलता और सेवा भावना के साथ कार्य कर रही है। यह हमारा कर्तव्य है कि कांवड़ मेला 2025 एक सफल, शांतिपूर्ण और श्रद्धा से परिपूर्ण आयोजन बने। हर कांवड़िये की सुरक्षा हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता है।”
📌कांवड़ मेला की नई परिभाषा: सुरक्षा, सुविधा और श्रद्धा का संतुलन
उत्तराखंड पुलिस द्वारा अपनाया गया बहुआयामी दृष्टिकोण न केवल कांवड़ियों के लिए बल्कि समूचे उत्तर भारत के लिए एक मॉडल सुरक्षा व्यवस्था के रूप में स्थापित हो रहा है। यह तैयारी बताती है कि कांवड़ मेला अब सिर्फ एक धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि प्रशासनिक दक्षता और संवेदनशीलता की परीक्षा बन चुका है।
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