उत्तराखंडएक्सक्लूसिव खबरें

सरकारी जमीन पर अब नहीं चलेगा कब्जे का खेल,, मुख्यमंत्री धामी की सख्त चेतावनी: अतिक्रमण पर चलेगा बुलडोज़र,, हरिद्वार से नैनीताल तक, नदियों और मैदानी इलाकों में कड़ी निगरानी के आदेश

इन्तजार रजा हरिद्वार-  सरकारी जमीन पर अब नहीं चलेगा कब्जे का खेल,,

मुख्यमंत्री धामी की सख्त चेतावनी: अतिक्रमण पर चलेगा बुलडोज़र,,

हरिद्वार से नैनीताल तक, नदियों और मैदानी इलाकों में कड़ी निगरानी के आदेश

इन्तजार रजा | Daily Live Uttarakhand | देहरादून

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी एक बार फिर सक्रिय मोड में हैं। इस बार निशाने पर है वो तबका, जो सरकारी जमीन पर कब्जा कर उसे बेचने, पट्टे कराने या अवैध निर्माण करने में माहिर है। मुख्यमंत्री ने शुक्रवार को मुख्यमंत्री आवास में एक उच्च स्तरीय बैठक की अध्यक्षता करते हुए राज्य की सरकारी भूमि को अतिक्रमण मुक्त करने के निर्देश दिए। उन्होंने साफ कहा, “सरकारी जमीनों पर अवैध कब्जा किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। अब फर्जीवाड़ा करने वालों के खिलाफ कानूनी शिकंजा कसा जाएगा।”


मैदानी क्षेत्रों से लेकर नदी किनारों तक—साफ-सफाई का अभियान

मुख्यमंत्री ने राज्य के मैदानी इलाकों—विशेषकर हरिद्वार, ऊधमसिंहनगर और नैनीताल जनपदों में अतिक्रमण की गंभीरता को देखते हुए सख्त कार्रवाई के आदेश दिए हैं। उन्होंने हरिद्वार में गंगा किनारे, रुद्रपुर में कल्याणी नदी और नैनीताल में कोसी नदी के तटों का विशेष तौर पर ज़िक्र करते हुए कहा कि:

“नदी किनारों पर वर्षों से कब्जे कर बनाए गए ढाबे, दुकाने, होटल या टीनशेड के नाम पर पक्के निर्माण अब नहीं चलेंगे। ऐसे सभी निर्माणों की सूची बनाकर सख्ती से कार्रवाई की जाए।”

मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि “पवित्र नदियों के तटों का संरक्षण हमारी प्राथमिकता है। धार्मिक और पारिस्थितिक महत्व को देखते हुए इन स्थलों से हर हाल में अतिक्रमण हटेगा।”


जनपद स्तर पर संयुक्त टीमें—अब कोई विभाग नहीं देगा बहाना

बैठक में मुख्यमंत्री ने कहा कि सिर्फ कागज़ों पर कार्रवाई दिखाने से नहीं चलेगा। इस बार ज़मीनी स्तर पर एक्शन दिखना चाहिए। उन्होंने सभी जिलों में “संयुक्त अतिक्रमण विरोधी टीमें” गठित करने के निर्देश दिए। इन टीमों में राजस्व, सिंचाई, वन, और लोक निर्माण विभाग के अधिकारियों को सम्मिलित किया जाएगा।

इस तरह की समन्वित कार्यप्रणाली से यह सुनिश्चित होगा कि कोई भी विभाग कार्रवाई से बच न सके और दोष एक-दूसरे पर न डाला जाए। मुख्यमंत्री ने स्पष्ट किया कि “जब तक विभाग आपस में जिम्मेदारी नहीं बांटेंगे, तब तक कार्रवाई अधूरी रह जाएगी।”


फर्जी दस्तावेज बनाकर कब्जा करने वालों पर कानूनी शिकंजा

बैठक में यह मुद्दा भी गंभीरता से उठाया गया कि किस तरह कुछ लोग फर्जी दस्तावेज बनाकर सरकारी भूमि को निजी दिखाकर बेच रहे हैं या पट्टा करा रहे हैं। मुख्यमंत्री ने इस पर सख्त टिप्पणी करते हुए कहा—

“यह कूट रचना अपराध की श्रेणी में आता है और ऐसे मामलों पर तत्काल एफआईआर होनी चाहिए। जमीनों के फर्जी दस्तावेज बनाकर बेचे जाने की प्रवृत्ति पर प्रभावी रोक जरूरी है।”

उन्होंने जिलाधिकारियों को यह भी निर्देशित किया कि यदि किसी राजस्व कर्मचारी की संलिप्तता पाई जाती है, तो उसके खिलाफ निलंबन एवं बर्खास्तगी तक की कार्रवाई हो।


बाहरी लोगों का सत्यापन जरूरी—ADGP को मिले कड़े निर्देश

बैठक में एक और अहम विषय रहा “बाहरी व्यक्तियों का सत्यापन।” मुख्यमंत्री ने एडीजीपी श्री ए.पी. अंशुमान को निर्देश दिए कि सत्यापन की प्रक्रिया को और अधिक कठोर बनाया जाए। उन्होंने कहा कि:

“कई बार बाहरी तत्व न केवल सरकारी भूमि पर कब्जा करते हैं, बल्कि नकली पहचान बनाकर सामाजिक और आर्थिक व्यवस्था को भी प्रभावित करते हैं। ऐसे में सख्त सत्यापन जरूरी है।”

एडीजीपी ने मुख्यमंत्री को अवगत कराया कि वर्तमान में 18 बिंदुओं पर सत्यापन की रिपोर्ट तैयार की जा रही है, जिसका डेटा राज्य स्तर पर एकत्र किया जा रहा है।


शासन स्तर पर बनेगा नोडल अधिकारी, हर जिले में निगरानी तंत्र

मुख्यमंत्री धामी ने यह भी निर्देश दिए कि शासन स्तर पर एक वरिष्ठ नोडल अधिकारी की नियुक्ति की जाए, जो केवल अतिक्रमण के मामलों की निगरानी करेगा। इसके अतिरिक्त, प्रत्येक जिले में एक मॉनिटरिंग सेल बनाई जाए जो प्रत्येक सप्ताह प्रगति रिपोर्ट शासन को भेजे। उन्होंने कहा:

“अगर सरकारी जमीन बचानी है, तो निगरानी की रफ्तार और रेंज दोनों बढ़ानी होंगी। जनप्रतिनिधियों, प्रशासन और पुलिस को मिलकर यह अभियान चलाना होगा।”


प्रशासनिक टीम की मौजूदगी—निर्णयों की गंभीरता दर्शाई

इस बैठक में शामिल अधिकारीगण इस अभियान की गंभीरता का स्पष्ट संकेत दे रहे थे। बैठक में प्रमुख सचिव श्री आर.के. सुधांशु, सचिव श्री एस.एन. पांडेय, एडीजीपी श्री ए.पी. अंशुमान, विशेष सचिव डॉ. पराग मधुकर धकाते एवं अपर सचिव श्री बंशीधर तिवारी शामिल रहे। यह प्रशासनिक टोली आने वाले समय में एक समन्वित कार्रवाई को सुनिश्चित करने जा रही है।


हरिद्वार और तराई क्षेत्र रहे निशाने पर—क्यों हैं ये ज़ोन संवेदनशील?

हरिद्वार और तराई क्षेत्र (विशेषकर रुद्रपुर, काशीपुर, गदरपुर) लंबे समय से अतिक्रमण की चपेट में रहे हैं। गंगा के किनारे कई घाट, दुकाने, होटल और धर्मशालाएं बिना किसी अधिकृत अनुमति के संचालित हो रही हैं। कल्याणी नदी के आसपास भी भू-माफिया वर्षों से जमीन कब्जा कर बेचते रहे हैं।

मुख्यमंत्री का इन क्षेत्रों को लेकर विशेष निर्देश इस बात का संकेत हैं कि प्रशासनिक मशीनरी अब सुस्त नहीं रहेगी। स्थानीय निकायों और राजस्व विभाग की मिलीभगत से अब तक जो कुछ हुआ, उसकी भरपाई सख्त कार्रवाइयों से की जाएगी।


जन जागरूकता भी जरूरी—सरकार को जनता का सहयोग चाहिए

मुख्यमंत्री ने स्पष्ट किया कि केवल सरकारी स्तर पर कार्रवाई से काम नहीं चलेगा। यदि आमजन भी इसमें भागीदारी निभाएं तो नतीजे बेहतर होंगे। उन्होंने अपील की:

“यदि किसी को पता चले कि कोई सरकारी भूमि पर अवैध निर्माण कर रहा है या फर्जी पट्टा करा रहा है, तो उसकी सूचना तुरंत प्रशासन को दें। आपकी जानकारी गोपनीय रखी जाएगी।”


निष्कर्ष: अतिक्रमण के खिलाफ सर्जिकल स्ट्राइक की तैयारी

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के नेतृत्व में अब एक बार फिर सरकारी भूमि को माफियाओं से मुक्त कराने का प्रयास तेज हो चला है। पहले भी उन्होंने भू-माफिया और फर्जीवाड़ा करने वालों पर शिकंजा कसने की दिशा में बड़े फैसले लिए थे। इस बार उनकी सक्रियता और अधिकारियों की भागीदारी यह संकेत दे रही है कि आने वाले दिनों में उत्तराखंड के मैदानी क्षेत्र और पर्वतीय नदियों के किनारे से अवैध अतिक्रमण पूरी तरह हटाया जा सकता है।

सरकार की इस मुहिम को तब और बल मिलेगा जब प्रशासन, पुलिस और आम जनता एक साथ मिलकर यह सुनिश्चित करेंगे कि “अब कोई भी सरकारी ज़मीन को अपनी जागीर नहीं बना सके।”


Daily Live Uttarakhand के लिए विशेष रिपोर्ट
रिपोर्टर: इन्तजार रज़ा | हरिद्वार/देहरादून
📅 दिनांक: 27 जून 2025

Related Articles

Back to top button
× Contact us