जन समस्याओं में लापरवाही पर डीएम मयूर दीक्षित सख्त, पांच अधिकारियों का वेतन रोका,, CM हेल्पलाइन व जनसुनवाई पोर्टल की समीक्षा में खुली पोल, चेताया- जवाब दें वरना होगी कार्रवाई

इन्तजार रजा हरिद्वार- जन समस्याओं में लापरवाही पर डीएम मयूर दीक्षित सख्त, पांच अधिकारियों का वेतन रोका,,
CM हेल्पलाइन व जनसुनवाई पोर्टल की समीक्षा में खुली पोल, चेताया- जवाब दें वरना होगी कार्रवाई
हरिद्वार, 30 जून 2025 – जन समस्याओं को लेकर मुख्यमंत्री हेल्पलाइन और जनसुनवाई पोर्टल पर प्राप्त शिकायतों के निस्तारण में लापरवाही पर जिलाधिकारी मयूर दीक्षित ने बड़ा कदम उठाया है। सोमवार को जिला कार्यालय सभागार में आयोजित समीक्षा बैठक के दौरान डीएम ने पांच अधिकारियों का वेतन रोकने और कारण बताओ नोटिस जारी करने के निर्देश देते हुए प्रशासनिक सख्ती का संकेत दिया।
किसके रोके गए वेतन?
जिन पांच अधिकारियों पर कार्रवाई हुई है, उनमें शामिल हैं –
- जिला शिक्षा अधिकारी (बेसिक)
- चकबंदी अधिकारी, रुड़की
- अधिशासी अधिकारी, शिवालिक नगर
- तहसीलदार, हरिद्वार
- तहसीलदार, रुड़की
इन अधिकारियों का माह जून का वेतन तत्काल प्रभाव से रोका गया है, साथ ही कारण बताओ नोटिस जारी कर तीन दिन में जवाब मांगा गया है। जिलाधिकारी ने यह निर्णय सीएम हेल्पलाइन और जनसुनवाई पोर्टल पर लंबित शिकायतों के असंतोषजनक निस्तारण की समीक्षा के बाद लिया।
“जनता से सीधा संवाद करें अधिकारी” – डीएम
बैठक में जिलाधिकारी मयूर दीक्षित ने दो टूक कहा कि,
“जनसमस्याओं के निस्तारण में किसी भी प्रकार की लापरवाही या टालमटोल क्षम्य नहीं होगी। अधिकारी सीधे समस्या दर्ज कराने वाले व्यक्ति से बात करें और समाधान करें। कागजी खानापूर्ति नहीं, वास्तविक समाधान दिखना चाहिए।”
डीएम ने स्पष्ट किया कि जनसमस्याओं को लेकर की जाने वाली कॉल्स की रोजाना मॉनिटरिंग हो रही है। कॉल लॉग, रिकॉर्डिंग और फीडबैक की जांच से पता चलता है कि कई अधिकारी सिर्फ औपचारिकता कर रहे हैं, जबकि समस्याएं जस की तस बनी हुई हैं।
CM हेल्पलाइन बना जनविश्वास का जरिया, लेकिन…
हरिद्वार जिले में मुख्यमंत्री हेल्पलाइन (1905) और जनसुनवाई पोर्टल सरकार और जनता के बीच सेतु का काम कर रहे हैं। जनता अपनी समस्याएं सीधे ऑनलाइन या कॉल के माध्यम से दर्ज कराती है। ऐसे में इन माध्यमों पर प्राप्त शिकायतों का समयबद्ध निस्तारण प्रशासनिक जवाबदेही की परीक्षा है।
हालांकि, समीक्षा में सामने आया कि कई विभाग समस्याओं को या तो अनदेखा कर रहे हैं या उन्हें बिना समाधान के ‘निस्तारित’ दिखा रहे हैं। इस पर जिलाधिकारी ने बेहद नाराजगी जताई और साफ किया कि फर्जी समाधान या सतही जवाब से बचा नहीं जा सकता।
फील्ड में उतरने को कहा अधिकारियों को
समीक्षा के दौरान डीएम ने कहा कि अधिकारी सिर्फ बैठकों और कार्यालय में बैठने तक सीमित न रहें।
“जहां जरूरत हो, मौके पर जाएं। समस्या को आंखों से देखें, लोगों से संवाद करें, तभी समाधान वास्तविक होगा।” – मयूर दीक्षित
उन्होंने उदाहरण देते हुए बताया कि कई बार समस्याएं सिर्फ एक फोन या एक फील्ड विज़िट से हल हो सकती हैं, लेकिन लापरवाह रवैये के कारण लोग बार-बार शिकायत दर्ज करा रहे हैं।
प्रशासन की साख को नुकसान पहुंचा रहे हैं कुछ अधिकारी
डीएम दीक्षित ने सख्त लहजे में कहा कि कुछ अधिकारी अपनी उदासीनता से प्रशासन की साख और सरकार की जनहितकारी योजनाओं को नुकसान पहुंचा रहे हैं। जनसुनवाई पोर्टल और हेल्पलाइन को मजाक समझने वाले अधिकारियों को अब या तो जवाब देना होगा या कार्रवाई झेलनी होगी।
उन्होंने यह भी संकेत दिया कि यह केवल शुरुआती कार्रवाई है – यदि सुधार नहीं हुआ तो निलंबन जैसी कड़ी सज़ा भी दी जा सकती है।
जनता को सीधे लाभ मिले – यही प्राथमिकता
बैठक में जिलाधिकारी ने सभी विभागीय अधिकारियों को निर्देश दिए कि:
- हर समस्या को गंभीरता से लें।
- समस्या दर्ज कराने वाले को फोन कर स्थिति बताएं।
- प्रत्येक शिकायत की अद्यतन स्थिति ऑनलाइन अपडेट करें।
- समाधान के बाद फॉलोअप कॉल करें।
उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री स्वयं जनसुनवाई तंत्र को प्रभावी बनाने के लिए नियमित समीक्षा कर रहे हैं। ऐसे में जिलास्तर पर भी जवाबदेही सुनिश्चित की जाएगी।
भविष्य की रणनीति – हर सप्ताह होगी मॉनिटरिंग
जिलाधिकारी ने घोषणा की कि अब प्रत्येक सप्ताह विभागवार समीक्षा बैठक आयोजित की जाएगी, जिसमें प्रत्येक अधिकारी की कार्यप्रणाली की समीक्षा की जाएगी। शिकायतों की संख्या, समाधान की गुणवत्ता, और फीडबैक के आधार पर ग्रेडिंग प्रणाली लागू की जाएगी।
प्रशासनिक हलकों में हलचल
जिलाधिकारी की इस सख्त कार्रवाई के बाद प्रशासनिक हलकों में खलबली मच गई है। अधिकारी अब अधिक सजग हो गए हैं और जनसुनवाई पोर्टल की शिकायतों पर तेजी से कार्य शुरू कर दिया है। कई विभागों में देर शाम तक टीम बैठकों और लंबित मामलों की समीक्षा में जुटी रही।
“यह कार्रवाई सभी के लिए चेतावनी है। जिलाधिकारी खुद हर फीडबैक को पढ़ते हैं और सीधे फॉलोअप लेते हैं।”
जनता की राय – “ऐसे ही चाहिए अफसर”
स्थानीय नागरिकों ने जिलाधिकारी की इस पहल की सराहना की है। हरिद्वार निवासी व्यापारी संजीव भटनागर ने कहा,
“जनता कई बार हेल्पलाइन पर शिकायत दर्ज कराती है, लेकिन विभाग कोई रिस्पॉन्स नहीं देता। अब कम से कम डर तो बना।”
वहीं, महिला समूह से जुड़ी रीता देवी ने कहा,
“डीएम साहब की कार्यशैली साफ और सख्त है। ऐसे ही अफसर हों तो जनता को बार-बार अफसरों के चक्कर न काटने पड़ें।”
जिलाधिकारी मयूर दीक्षित की यह सख्ती सिर्फ चेतावनी नहीं, बल्कि प्रशासनिक जवाबदेही की मजबूत शुरुआत है। यदि सभी अधिकारी इसी गंभीरता से कार्य करें तो हेल्पलाइन और पोर्टल केवल औपचारिकता नहीं, बल्कि जनसेवा का वास्तविक माध्यम बन सकते हैं। जनता को अब यह उम्मीद है कि उनकी समस्याएं सिर्फ कागजों में नहीं, जमीन पर भी हल होंगी – और अफसरों को अपने काम का हिसाब देना ही होगा।
लेखक: Daily Live Uttarakhand विशेष संवाददाता
दिनांक: 30 जून 2025