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-कांवड़ यात्रा मार्ग पर नहीं दिखेगी शराब की एक झलक,, शिवभक्तों की आस्था को देखते हुए 14 शराब की दुकानों को ढका जाएगा पर्दे से,, 10 जुलाई की रात से लागू होंगे निर्देश, कांवड़ मेले में शुद्धता और श्रद्धा का माहौल बनाए रखने की कवायद शुरू

इन्तजार रजा हरिद्वार-कांवड़ यात्रा मार्ग पर नहीं दिखेगी शराब की एक झलक,,

शिवभक्तों की आस्था को देखते हुए 14 शराब की दुकानों को ढका जाएगा पर्दे से,,

10 जुलाई की रात से लागू होंगे निर्देश, कांवड़ मेले में शुद्धता और श्रद्धा का माहौल बनाए रखने की कवायद शुरू

इन्तजार रजा, हरिद्वार
श्रावण मास की आस्था और भक्ति के प्रतीक कांवड़ मेले के दौरान हरिद्वार प्रशासन ने एक बड़ा और श्रद्धालुओं की भावनाओं के अनुरूप निर्णय लिया है। इस वर्ष 11 जुलाई से शुरू हो रहे कांवड़ मेले के मद्देनजर यात्रा मार्ग पर स्थित देशी और अंग्रेजी शराब की 14 दुकानों को पर्दे से ढकने के निर्देश जारी किए गए हैं। इन दुकानों को 10 जुलाई की रात तक पूरी तरह ढक दिया जाएगा।

शासन के निर्देश पर हुई कार्रवाई

शिवभक्तों की धार्मिक आस्था और सार्वजनिक भावना को ध्यान में रखते हुए, उत्तराखंड शासन ने इस बार कांवड़ यात्रा मार्ग पर स्थित शराब और मांस की दुकानों के संचालन को लेकर सख्ती बरती है। आबकारी विभाग को इस संबंध में स्पष्ट आदेश दिए गए हैं कि कांवड़ मार्ग पर कोई भी धार्मिक भावना को आहत करने वाला दृश्य नजर न आए।
आबकारी विभाग ने शासन के निर्देशों का पालन करते हुए हरिद्वार जिले के भीतर यात्रा मार्ग पर स्थित कुल 14 शराब की दुकानों को चिन्हित किया है, जिन्हें पर्दे से ढकने की कार्रवाई की जाएगी।

किन मार्गों पर हैं ये दुकानें?

कांवड़ यात्रा में सबसे ज्यादा यात्री पश्चिमी उत्तर प्रदेश और हरियाणा से हरिद्वार पहुंचते हैं। खासतौर से मेरठ, मुजफ्फरनगर, बागपत, शामली, दिल्ली, गुरुग्राम और पानीपत जैसे जिलों के श्रद्धालु बहादराबाद, मंगलौर होते हुए हरिद्वार-दिल्ली हाईवे से हरिद्वार में प्रवेश करते हैं।
वहीं सहारनपुर, पंजाब और हरियाणा के अन्य क्षेत्रों से आने वाले श्रद्धालु बहादराबाद से धनौरी, इमलेखड़ा, भगवानपुर होकर यात्रा करते हैं।
इन्हीं प्रमुख मार्गों पर स्थित शराब की दुकानों को चिन्हित कर पर्दे से ढकने के निर्देश दिए गए हैं ताकि कहीं भी श्रद्धालुओं को धार्मिक भावना के विरुद्ध दृश्य का सामना न करना पड़े।

कांवड़ यात्रा में आस्था के साथ-साथ अनुशासन भी जरूरी

प्रशासन द्वारा यह निर्णय केवल श्रद्धालुओं की भावनाओं का सम्मान ही नहीं, बल्कि एक सकारात्मक संदेश भी है कि राज्य की धार्मिक परंपराओं का पूरा ध्यान रखा जा रहा है।
कांवड़ यात्रा के दौरान आमतौर पर शराब और मांस की बिक्री पर पहले से ही प्रतिबंध रहता है, लेकिन इस बार अधिकारियों ने और अधिक सतर्क रुख अपनाते हुए यात्रा मार्ग से दृश्य रूप में भी इन दुकानों को हटाने का कदम उठाया है।

कांवड़ मेला 2025: विशेष तैयारियां अंतिम चरण में

श्रावण मास कांवड़ मेला इस बार 11 जुलाई से 23 जुलाई 2025 तक चलेगा। अनुमान है कि इस बार हरिद्वार में करोड़ों श्रद्धालु पहुंचेंगे। सुरक्षा, स्वच्छता, स्वास्थ्य, यातायात, जल और खाद्य सुरक्षा समेत हर पहलू पर प्रशासन द्वारा सख्त निर्देश दिए जा चुके हैं।
इसी क्रम में यह निर्णय भी इस बात का प्रतीक है कि धार्मिक पर्यटन और सांस्कृतिक समरसता में किसी तरह की चूक को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।

शासन-प्रशासन के इस निर्णय पर संत समाज और सामाजिक संगठनों की सराहना

कई धार्मिक संगठनों और स्थानीय संत समाज ने इस निर्णय की सराहना की है। उनका कहना है कि यह पहल न केवल कांवड़ियों की धार्मिक भावनाओं की रक्षा करती है, बल्कि प्रदेश की धार्मिक छवि को भी और अधिक मजबूत बनाती है।
वहीं, कुछ सामाजिक संगठनों ने मांग की है कि भविष्य में कांवड़ मेला स्थायी धार्मिक उत्सव घोषित कर इस प्रकार की व्यवस्था को नियमित शासन नीति में तब्दील किया जाए।

📌 खास बिंदु:
  • कांवड़ मार्ग की 14 शराब दुकानों को 10 जुलाई की रात तक ढकने का आदेश।
  • सभी दुकानें यात्रा मार्ग की संवेदनशील पगडंडियों व मुख्य राजमार्ग पर स्थित।
  • कांवड़ियों की भावना आहत न हो, इस उद्देश्य से लिया गया फैसला।
  • मांस की दुकानें भी रहेंगी बंद।
  • आबकारी विभाग ने संबंधित संचालकों को भेजे लिखित निर्देश।

📣 “Daily Live Uttarakhand” की विशेष अपील
कांवड़ यात्रा आस्था, अनुशासन और आत्मसंयम का पर्व है। इस दौरान सभी नागरिकों, व्यापारियों और आगंतुकों से अपील है कि भक्ति के इस महापर्व में प्रशासन का सहयोग करें और धार्मिक भावनाओं का सम्मान करें।
हरिद्वार प्रशासन की यह पहल केवल एक प्रशासनिक निर्णय नहीं, बल्कि संस्कृति और श्रद्धा की रक्षा का संकल्प है।

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