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एडवोकेट भदोरिया एसोसिएट ने उठाई जनहित की आवाज,, कलेक्ट्रेट भवन में पीने के पानी की किल्लत पर जताई चिंता,, जिलाधिकारी से ग्राउंड फ्लोर पर वाटर कूलर और आरओ लगाने की मांग

इन्तजार रजा हरिद्वार- एडवोकेट भदोरिया एसोसिएट ने उठाई जनहित की आवाज,,

कलेक्ट्रेट भवन में पीने के पानी की किल्लत पर जताई चिंता,,

जिलाधिकारी से ग्राउंड फ्लोर पर वाटर कूलर और आरओ लगाने की मांग

हरिद्वार | इंतजार रज़ा

जिले की न्यायिक और प्रशासनिक गतिविधियों का मुख्य केंद्र कहे जाने वाले कलेक्ट्रेट भवन रोशनाबाद में एक अत्यंत महत्वपूर्ण जनसुविधा की कमी को लेकर अब आवाज उठाई गई है। हरिद्वार के वरिष्ठ अधिवक्ता अरुण भदोरिया, कमल भदोरिया एवं चेतन भदोरिया (एलएलबी छात्र) द्वारा संचालित “भदोरिया एसोसिएट्स” ने जनहित में जिलाधिकारी हरिद्वार को एक प्रार्थना पत्र सौंपा है, जिसमें ग्राउंड फ्लोर पर शुद्ध पेयजल की व्यवस्था हेतु दो वाटर कूलर और आरओ मशीन लगाए जाने की मांग की गई है।

प्रशासनिक भवन में पानी की समस्या बनी विकट चुनौती

भदोरिया एसोसिएट्स द्वारा प्रस्तुत पत्र में यह स्पष्ट किया गया कि कलेक्ट्रेट भवन का ग्राउंड फ्लोर, जहां एसडीएम हरिद्वार का कार्यालय, आयोजन कार्यालय, डाकघर तथा नगर मजिस्ट्रेट का न्यायालय स्थित हैं, वहां प्रत्येक दिन सैकड़ों अधिकारी, कर्मचारी और फरियादी आते हैं, लेकिन पेयजल की कोई समुचित व्यवस्था नहीं है। खास तौर पर गर्मियों के मौसम में यह समस्या और अधिक गंभीर रूप ले लेती है, जिससे स्वास्थ्य संबंधी परेशानियां उत्पन्न हो सकती हैं।

यह विडंबना ही कही जाएगी कि जहां पर जनता की समस्याओं को सुना और सुलझाया जाता है, वहीं पर आमजन के लिए पानी जैसी मूलभूत सुविधा का न होना प्रशासनिक लापरवाही को दर्शाता है।

भविष्य की उम्मीद : जिलाधिकारी से सकारात्मक कार्रवाई की अपेक्षा

“भदोरिया एसोसिएट” ने जिलाधिकारी से मांग की है कि जल्द से जल्द इस मुद्दे पर गंभीर संज्ञान लिया जाए और ग्राउंड फ्लोर पर कम से कम दो वाटर कूलर और शुद्ध पेयजल के लिए आरओ सिस्टम लगाए जाएं, ताकि कोई भी पीड़ित या कर्मचारी पानी के लिए भवन से बाहर जाने को मजबूर न हो।

पत्र में यह भी उल्लेख किया गया है कि पेयजल की उपलब्धता न केवल एक मौलिक आवश्यकता है, बल्कि यह एक गरिमामयी प्रशासनिक वातावरण बनाए रखने के लिए भी अनिवार्य है। अधिवक्ताओं का कहना है कि जब जिले के सबसे प्रमुख भवन में ही नागरिकों को राहत नहीं मिलेगी, तो अन्य स्थानों पर स्थितियों की कल्पना सहज की जा सकती है।

न्याय के मंदिरों में सुविधाओं की दरकार

यह एक सराहनीय पहल है, जिससे न केवल आम नागरिकों की परेशानी उजागर हुई है, बल्कि न्यायालय व प्रशासनिक दफ्तरों में नागरिक सुविधाओं की स्थिति पर भी गंभीर विमर्श शुरू हो सकता है। अधिवक्ता अरुण भदोरिया ने कहा,

“हमारा प्रयास केवल एक सुविधा की मांग नहीं है, बल्कि यह प्रशासनिक संवेदनशीलता को पुनः जाग्रत करने का प्रयास है, ताकि आने वाले हर व्यक्ति को न्याय व सेवा के साथ-साथ सम्मान और मूलभूत सुविधाएं भी मिलें।”

प्रतिक्रिया की प्रतीक्षा

अब सभी की निगाहें जिलाधिकारी हरिद्वार की ओर टिकी हैं कि वे इस मामले को कितनी प्राथमिकता देते हैं और क्या शीघ्रता से जनहित में यह मांग पूरी की जाती है। यदि इस दिशा में कदम उठाए जाते हैं तो निश्चित रूप से यह अन्य जिलों के लिए भी एक मिसाल बन सकता है।


“Daily Live Uttarakhand” इस तरह की जनहित याचिकाओं और अधिवक्ता समाज की सकारात्मक भागीदारी का स्वागत करता है। उम्मीद की जानी चाहिए कि जिलाधिकारी हरिद्वार शीघ्र कार्यवाही कर इस पहल को सार्थक बनाएंगे।

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