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नाम गुप्ता, मालिक निकले गुलफाम!,, 🔺नारसन बॉर्डर पर खुली एक गुप्ता चाट की असल पहचान, श्रद्धालुओं में नाराजगी,, 🔺कांवड़ यात्रा मार्ग पर दुकान की स्कैनिंग से हुआ खुलासा, भावनाएं आहत

इन्तजार रजा हरिद्वार- नाम गुप्ता, मालिक निकले गुलफाम!,,

🔺नारसन बॉर्डर पर खुली एक गुप्ता चाट की असल पहचान, श्रद्धालुओं में नाराजगी,,

🔺कांवड़ यात्रा मार्ग पर दुकान की स्कैनिंग से हुआ खुलासा, भावनाएं आहत

हरिद्वार।
कांवड़ यात्रा के दौरान हरिद्वार के नारसन बॉर्डर पर स्थित एक दुकान को लेकर पहचान छिपाने का मामला सामने आया है। ‘गुप्ता चार्ट भंडार’ नाम से संचालित इस दुकान की जब कुछ सतर्क श्रद्धालुओं ने UPI स्कैनिंग की, तो पेमेंट डिटेल्स में मालिक का नाम “गुलफाम” दर्शाया गया। इस खुलासे के बाद श्रद्धालुओं के बीच भ्रम और असंतोष की स्थिति उत्पन्न हो गई।

नाम कुछ, असली पहचान कुछ और

कांवड़ यात्रा मार्ग पर लगाए गए दुकानों में ‘गुप्ता चार्ट भंडार’ एक आम दुकान की तरह थी। श्रद्धालुओं ने जब वहां से खरीदारी की और QR कोड स्कैन किया, तो चौंकाने वाला विवरण सामने आया – वास्तविक नाम गुलफाम।

यात्रियों का कहना है कि यह स्थिति धार्मिक स्थल की पवित्रता के संदर्भ में असहज करने वाली है। उनका मानना है कि यात्रियों के विश्वास के साथ पारदर्शिता आवश्यक है, चाहे दुकानदार किसी भी धर्म, जाति या पृष्ठभूमि से संबंधित हो।

श्रद्धालुओं ने जताई चिंता

कुछ कांवड़ियों ने इस विषय पर अपनी भावनाएं साझा करते हुए कहा:

“हम सभी धर्मों का सम्मान करते हैं, लेकिन अगर कोई दुकानदार अपनी पहचान छिपाकर कार्य कर रहा है, तो इससे अनावश्यक शक और नाराजगी की स्थिति बनती है। यह बेहतर होता कि वास्तविक नाम से ही दुकान चलाई जाती।”

“दुकान का नाम कुछ और, जबकि मालिकाना हक किसी और का हो — यह सामान्य व्यापारिक व्यवहार के अनुरूप नहीं है, खासकर ऐसे पवित्र माहौल में।”

कांवड़ मेले में पारदर्शिता की आवश्यकता

कांवड़ यात्रा देश की सबसे बड़ी धार्मिक यात्राओं में से एक है, जिसमें लाखों श्रद्धालु हर साल गंगा जल लेने हरिद्वार पहुंचते हैं। ऐसे में यह आवश्यक हो जाता है कि यात्रा मार्ग पर:

  • व्यापारिक पारदर्शिता बनी रहे
  • दुकानों की सही पहचान दर्शाई जाए
  • श्रद्धालुओं को भ्रम में डालने वाली कोई स्थिति उत्पन्न न हो

यह घटना दर्शाती है कि आगे आने वाले दिनों में व्यवस्थित जांच और जन-जागरूकता दोनों की आवश्यकता है ताकि इस तरह की परिस्थितियों से बचा जा सके।

संतुलित नजरिया जरूरी

यह जरूरी है कि किसी एक दुकान की गलती के आधार पर समुदाय या व्यवस्था पर कोई निष्कर्ष न निकाला जाए। व्यापार करने का अधिकार हर किसी को है, परंतु धार्मिक आयोजनों में सच्चाई और पारदर्शिता बनाए रखना भी उतना ही जरूरी है।

‘गुप्ता चार्ट भंडार’ नाम से संचालित दुकान की पहचान जब गुलफाम के रूप में सामने आई, तो श्रद्धालुओं में असहजता देखी गई। यह घटना इस बात की ओर इशारा करती है कि धार्मिक यात्रा मार्ग पर हर दुकान को अपनी असली पहचान के साथ सामने आना चाहिए।

इसका उद्देश्य किसी पर सवाल खड़े करना नहीं, बल्कि आस्था और पारदर्शिता के बीच संतुलन बनाए रखना है।

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