IPS माता-पिता के संस्कारों से संवर रहा है अर्णव डोबाल का भविष्य,, पढ़ें संस्कारों से पनपती है समाजसेवा की पूरी पटकथा… वुडस्टॉक स्कूल के छात्र ने हरिद्वार में लगाया नि:शुल्क चिकित्सा शिविर… समाजसेवा में मिसाल बना 11वीं का छात्र अर्णव डोबाल, GRP परिसर में किया मानवता का कार्य

इन्तजार रजा हरिद्वार – IPS माता-पिता के संस्कारों से संवर रहा है अर्णव डोबाल का भविष्य,, पढ़ें संस्कारों से पनपती है समाजसेवा की पूरी पटकथा…
वुडस्टॉक स्कूल के छात्र ने हरिद्वार में लगाया नि:शुल्क चिकित्सा शिविर…
समाजसेवा में मिसाल बना 11वीं का छात्र अर्णव डोबाल, GRP परिसर में किया मानवता का कार्य
हरिद्वार | इन्तजार रज़ा
जहां किशोरावस्था में युवा अक्सर अपने लिए सोचते हैं, वहीं हरिद्वार के एक स्कूली छात्र ने सामाजिक सेवा को अपनी प्राथमिकता बनाकर पूरे उत्तराखंड के लिए एक नई प्रेरणा प्रस्तुत की है। यह प्रेरक कहानी है अर्णव सिंह डोबाल की—वुडस्टॉक स्कूल, मसूरी के 11वीं कक्षा के छात्र की, जिन्होंने समाज की उपेक्षित आबादी के स्वास्थ्य के लिए एक नि:शुल्क चिकित्सा शिविर का आयोजन कर यह दिखा दिया कि समाजसेवा के लिए उम्र नहीं, संवेदना चाहिए।
अर्णव डोबाल एक विशिष्ट पुलिस परिवार से आते हैं। उनके पिता प्रमेन्द्र सिंह डोबाल, वर्तमान में वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (SSP), हरिद्वार के पद पर कार्यरत हैं और उनकी माता श्रीमती सरिता डोबाल भी उत्तराखंड कैडर की IPS अधिकारी हैं। दोनों ही अधिकारी अपने कर्तव्य, जनसेवा और संवेदनशीलता के लिए व्यापक रूप से सराहे जाते हैं। यही संस्कार और प्रेरणा अर्णव के व्यक्तित्व की नींव बने हैं।
🏥 चिकित्सा शिविर: संवेदना और सेवा का संगम
दिनांक 11 जुलाई 2025 को अर्णव सिंह डोबाल ने हरिद्वार के रेलवे पुलिस बल (GRP) परिसर में एक नि:शुल्क चिकित्सा शिविर का आयोजन किया। इस शिविर का उद्देश्य था—रेलवे स्टेशन परिसर में काम करने वाले कुलियों, सफाईकर्मियों, मजदूरों, विक्रेताओं और आर्थिक रूप से कमजोर लोगों को स्वास्थ्य सेवा उपलब्ध कराना।
शिविर में निम्नलिखित सुविधाएं नि:शुल्क दी गईं:
- रक्तचाप (BP) जांच
- मधुमेह (शुगर) जांच
- सामान्य स्वास्थ्य परीक्षण
- नेत्र परीक्षण
- दंत परीक्षण
- मुफ्त दवाइयों का वितरण
शिविर सुबह 10 बजे से शाम 4 बजे तक चला और करीब 250 से अधिक लोगों ने इसका लाभ लिया।
🤝 शुभारती मेडिकल कॉलेज का सहयोग, डॉक्टर्स की समर्पित भूमिका
इस शिविर में अर्णव को शुभारती मेडिकल कॉलेज, देहरादून की चिकित्सकीय टीम का पूर्ण सहयोग प्राप्त हुआ। टीम में जनरल फिजिशियन, नेत्र विशेषज्ञ, दंत चिकित्सक, फार्मासिस्ट, नर्सिंग स्टाफ व तकनीशियन शामिल थे।
डॉ. सुरभि जोशी, जो जनरल फिजिशियन के रूप में शिविर में मौजूद थीं, ने कहा:
“अर्णव जैसे छात्र जब समाज के प्रति संवेदनशील कार्य करते हैं, तो यह न केवल प्रेरणादायक होता है बल्कि डॉक्टरों के लिए भी एक मानवीय आह्वान है। यह शिविर सेवा और शिक्षा के अद्भुत समन्वय का उदाहरण है।”
🧒 अर्णव डोबाल का सशक्त ब्यान: ‘सेवा ही शिक्षा का उद्देश्य होना चाहिए’
शिविर के सफल आयोजन के बाद अर्णव सिंह डोबाल ने मीडिया से बातचीत में कहा:
“मेरे माता-पिता ने हमेशा सिखाया है कि वर्दी केवल अधिकार नहीं, सेवा का दायित्व भी देती है। मैंने यही सीखा है कि अगर समाज ने हमें कुछ दिया है तो हमें भी लौटाना चाहिए। यह शिविर मेरे लिए एक स्कूल प्रोजेक्ट नहीं, एक सामाजिक उत्तरदायित्व है। मैं यह भी समझता हूं कि सेवा केवल बड़े मंचों से नहीं, छोटे प्रयासों से भी हो सकती है।”
उन्होंने यह भी बताया कि यह आयोजन उनके स्कूल के ‘कम्युनिटी सर्विस प्रोजेक्ट’ का हिस्सा था, लेकिन उन्होंने इसे औपचारिकता की बजाय जनहित कार्य में बदल दिया।
👮♂️ IPS पिता का भावुक ब्यान: ‘बेटे की सेवा भावना ने गर्वित किया’
SSP प्रमेन्द्र सिंह डोबाल ने बेटे की इस पहल पर कहा:
“अक्सर हम सोचते हैं कि हमारे बच्चे कब समझेंगे कि समाज भी उनका है। लेकिन अर्णव ने जो किया, उसने मुझे और मेरी पत्नी को भावुक कर दिया। समाजसेवा का संस्कार अगर परिवार और स्कूल से मिले तो बच्चे निश्चित ही बड़ा बदलाव ला सकते हैं। अर्णव की यह पहल मेरे लिए एक सिपाही के पदक से कम नहीं है।”
👩✈️ IPS माता का दृष्टिकोण: ‘समाज के लिए काम करना ही असली नेतृत्व है’
IPS अधिकारी सरिता डोबाल ने अपने बेटे की इस पहल को लेकर कहा:
“हम अपने बेटे को एक संवेदनशील और जिम्मेदार नागरिक बनाना चाहते हैं। उसकी यह सोच कि समाज की सबसे कमजोर कड़ी को मदद दी जाए, हमें गर्वित करती है। यह दिखाता है कि संवेदना और नेतृत्व जन्मजात नहीं, संस्कारजन्य होते हैं।”
📍 रेलवे परिसर में उमड़ा मानवता का कारवां
चिकित्सा शिविर की खबर जैसे ही फैली, कुली, सफाईकर्मी, ऑटो चालकों, रेलवे कर्मचारियों सहित आसपास के गरीब तबके के लोगों का तांता लग गया। उन्होंने शिविर में अनुशासनपूर्वक अपनी जांच कराई और दवाएं लीं।
मोहन लाल (65 वर्ष), सफाई कर्मचारी, ने कहा:
“हमारे लिए तो ये भगवान का काम है। ये बच्चा अगर IPS अफसर का बेटा होकर हमारे लिए कुछ कर सकता है, तो समाज में उम्मीद अभी बाकी है।”
🌿 संस्कारों से पनपती है समाजसेवा की चेतना
अर्णव पढ़ाई में भी अव्वल हैं और विद्यालय स्तर पर कई गतिविधियों में भागीदारी कर चुके हैं। लेकिन उनकी सोच यही नहीं रुकती। वे समाज, पर्यावरण और शिक्षा जैसे मुद्दों को अपनी प्राथमिकताओं में रखते हैं।
📌 आने वाले समय में अर्णव की योजनाएं:
- बुक बैंक योजना – गरीब छात्रों को निशुल्क पुस्तकें उपलब्ध कराना
- हेल्थ किट अभियान – मजदूरों और वंचित वर्ग को प्राथमिक स्वास्थ्य सुरक्षा किट वितरित करना
- वृक्षारोपण अभियान – पर्यावरण संतुलन के लिए सामूहिक पौधारोपण
- सड़क सुरक्षा जागरूकता कार्यक्रम – युवाओं और स्कूली बच्चों को यातायात के नियमों के प्रति सजग बनाना
🔎 शिविर से मिले सामाजिक संदेश
इस छोटे-से लेकिन अत्यंत प्रभावी आयोजन से कई महत्वपूर्ण सामाजिक संदेश उभरकर आए:
- सेवा की शुरुआत किसी भी उम्र से हो सकती है।
- परिवार का संस्कार भविष्य की दिशा तय करता है।
- पुलिस परिवार भी समाज के कमजोर वर्ग के लिए रोल मॉडल बन सकते हैं।
- युवा पीढ़ी केवल तकनीक नहीं, संवेदना की भी वाहक बन सकती है।
✅ उम्मीद की लौ जलाते युवा
आज जहां समाज कई चुनौतियों से गुजर रहा है, वहीं अर्णव डोबाल जैसे छात्र यह भरोसा दिलाते हैं कि भारत का भविष्य अभी उज्ज्वल है। उनकी यह पहल दिखाती है कि अगर विचार में सेवा, हृदय में संवेदना और कर्म में ईमानदारी हो, तो युवा पीढ़ी भी समाज का नेतृत्व कर सकती है।
अर्णव डोबाल आज केवल एक छात्र नहीं, बल्कि एक युवा समाजसेवी, संवेदनशील नागरिक और अपने माता-पिता के संस्कारों का सच्चा प्रतिनिधि बनकर उभरे हैं।
✍🏻 इन्तजार रज़ा, Daily Live Uttarakhand
📌 अर्णव सिंह डोबाल, वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक श्री प्रमेन्द्र सिंह डोबाल और IPS अधिकारी श्रीमती सरिता डोबाल के सुपुत्र हैं। दोनों ही अधिकारी उत्तराखंड कैडर के वरिष्ठ, समर्पित और लोकप्रिय अधिकारी माने जाते हैं।