हर हर महादेव के जयकारों से गूंजा दक्षेश्वर धाम,, शिवरात्रि पर उमड़ा श्रद्धा का सैलाब, हरिद्वार में शिव भक्तों की भारी भीड़,, भोले की ससुराल में जलाभिषेक और आराधना से भक्ति का चरमोत्कर्ष

इन्तजार रजा हरिद्वार- हर हर महादेव के जयकारों से गूंजा दक्षेश्वर धाम,,
शिवरात्रि पर उमड़ा श्रद्धा का सैलाब, हरिद्वार में शिव भक्तों की भारी भीड़,,
भोले की ससुराल में जलाभिषेक और आराधना से भक्ति का चरमोत्कर्ष
हरिद्वार, 23 जुलाई (डेली लाइव उत्तराखंड)
सावन की शिवरात्रि पर भगवान शिव की ससुराल कहे जाने वाले दक्षेश्वर महादेव मंदिर में श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ पड़ा। मंगलवार तड़के से ही भक्तजन लंबी कतारों में खड़े होकर अपनी बारी का इंतजार करते दिखाई दिए। पूरा मंदिर परिसर “हर हर महादेव” और “बोल बम” के गगनभेदी नारों से गूंजता रहा। आस्था, श्रद्धा और भक्ति के इस महासंगम ने हरिद्वार को एक बार फिर अध्यात्म के रंग में रंग दिया।
सुबह 4 बजे से ही श्रद्धालुओं की भीड़ मंदिर परिसर में उमड़नी शुरू हो गई थी। लोटा-कलश, बेलपत्र, धतूरा, भांग और गंगाजल लिए हुए हर आयु वर्ग के श्रद्धालु दर्शन के लिए आतुर नजर आए। मंदिर के पुजारियों और स्वयंसेवकों ने दर्शन व्यवस्था को सुव्यवस्थित बनाए रखने के लिए निरंतर सेवा दी। हरिद्वार जिला प्रशासन ने भीड़ को नियंत्रित करने के लिए व्यापक प्रबंध किए थे।
शिव की ससुराल में सावन का विशेष महत्व
दक्षेश्वर महादेव मंदिर को शिव की ससुराल कहा जाता है क्योंकि मान्यता है कि यहीं पर राजा दक्ष ने यज्ञ किया था और यहीं माता सती ने यज्ञकुंड में आत्मदाह किया था। बाद में भगवान शिव ने इसी स्थान पर तांडव किया था, जिससे क्रोधित होकर उन्होंने यज्ञ विध्वंस कर दिया। कालांतर में इसी स्थान को ‘दक्षेश्वर धाम’ के रूप में स्थापित किया गया।
श्रावण मास की शिवरात्रि पर इस मंदिर का विशेष महत्व है। मान्यता है कि सावन भर भोलेनाथ इस मंदिर में वास करते हैं और यहीं से सृष्टि की ऊर्जा का संचार होता है। इस दिन जो भी भक्त सच्चे मन से जलाभिषेक करता है, उसकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
आस्था की कतारें और भक्ति की बहार
सुबह से लेकर दोपहर तक मंदिर परिसर श्रद्धालुओं से खचाखच भरा रहा। कुछ भक्त गंगा स्नान के बाद गंगाजल लेकर सीधे मंदिर पहुंचे और शिवलिंग पर जलाभिषेक किया। कोई बेलपत्र चढ़ा रहा था, तो कोई भांग-धतूरा अर्पित कर रहा था। मंदिर में विशेष श्रृंगार और पूजन अर्पण के साथ साथ मंत्रोच्चार भी अनवरत चलते रहे।
शिवभक्तों के चेहरों पर आस्था की चमक और विश्वास की गहराई स्पष्ट दिखाई दे रही थी। दूर-दराज के क्षेत्रों से आए श्रद्धालु बिना किसी दिखावे के सच्चे मन से भोलेनाथ की पूजा में लीन थे। युवा, महिलाएं, बच्चे और वृद्ध—हर वर्ग के लोग श्रद्धा की इस धारा में शामिल हुए।
प्रशासन मुस्तैद, पुलिस चौकस
भीड़ को नियंत्रित करने और सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिए जिला प्रशासन और पुलिस विभाग ने मंदिर परिसर के आसपास सख्त इंतजाम किए। भारी संख्या में पुलिस बल, महिला कांस्टेबल और होमगार्ड्स की तैनाती की गई थी। स्वयंसेवक भी लगातार लोगों को लाइन में रखने, बुजुर्गों की सहायता करने और प्राथमिक चिकित्सा देने में जुटे रहे।
सुरक्षा दृष्टि से सीसीटीवी कैमरे, बैरिकेडिंग, ड्रोन से निगरानी और पार्किंग प्रबंधन के विशेष इंतजाम किए गए। पुलिस अधीक्षक ग्रामीण स्वप्न किशोर सिंह ने बताया कि शिवरात्रि पर किसी भी प्रकार की अव्यवस्था न हो, इसके लिए पुलिस बल को तीन शिफ्टों में तैनात किया गया है।
पुजारियों और श्रद्धालुओं की बाइट्स
मंदिर के मुख्य पुजारी आचार्य राकेश तिवारी ने बताया, “दक्षेश्वर महादेव शिवजी का साक्षात दिव्य धाम है। सावन की शिवरात्रि पर यहां जल चढ़ाने से भक्तों को विशेष फल की प्राप्ति होती है। भोलेनाथ इतने भोले हैं कि एक लोटा जल और सच्ची भक्ति से ही प्रसन्न हो जाते हैं।”
बरेली से आए शिवभक्त मुकेश कुमार ने कहा, “पांच वर्षों से हर सावन हम यहीं आते हैं। यहां की ऊर्जा और वातावरण अलौकिक है। भीड़ में भी जो शांति मिलती है, वह कहीं और नहीं।”
पार्वती जी की भी होती है विशेष पूजा
शिवरात्रि पर शिव के साथ-साथ माता पार्वती की भी विशेष पूजा होती है। माना जाता है कि इस दिन मां पार्वती अपने भक्तों पर विशेष कृपा बरसाती हैं और जिन कन्याओं का विवाह नहीं हो पा रहा हो, वे इस दिन व्रत कर शिव-पार्वती की पूजा करें तो उन्हें योग्य वर की प्राप्ति होती है।
मंदिर परिसर में कन्याओं और विवाहित स्त्रियों की भी बड़ी संख्या देखी गई जो शिव-पार्वती से सुख, शांति और समृद्धि की कामना कर रही थीं। कई श्रद्धालु पारिवारिक कष्टों से मुक्ति के लिए पूजा अर्पण कर रहे थे।
धर्म, श्रद्धा और संस्कृति का संगम
दक्षेश्वर महादेव मंदिर की यह शिवरात्रि सिर्फ एक धार्मिक आयोजन नहीं बल्कि संस्कृति, परंपरा और भक्ति का ऐसा अद्भुत संगम है जो वर्षों से चलता आ रहा है। आस्था की इस धारा में डूबकर श्रद्धालु न केवल शिव के करीब आते हैं बल्कि अपने जीवन को भी एक नई दिशा देते हैं।
यह आयोजन यह बताने के लिए काफी है कि आधुनिकता के इस दौर में भी भारतीय जनमानस की जड़ें अभी भी अपनी संस्कृति, देवी-देवताओं और विशेषकर भगवान शिव से गहराई से जुड़ी हुई हैं।
हरिद्वार का दक्षेश्वर महादेव मंदिर इस बार भी सावन की शिवरात्रि पर श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र बना रहा। हजारों भक्तों ने भोलेनाथ को जलाभिषेक कर अपने जीवन के कल्याण की कामना की। यह आयोजन न केवल धार्मिक बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक दृष्टि से भी अत्यंत महत्वपूर्ण है। आने वाले वर्षों में भी यह परंपरा श्रद्धा और उल्लास के साथ और व्यापक रूप लेती रहेगी—यही हर शिवभक्त की कामना है।

रिपोर्ट: इन्तजार रजा, डेली लाइव उत्तराखंड
📍स्थान: दक्षेश्वर महादेव मंदिर, कनखल, हरिद्वार
🗓️ तारीख: 23 जुलाई 2025