कालनेमियों के खिलाफ सख्त मुख्यमंत्री धामी,, 🔷 SIT के गठन का आदेश, भ्रष्टाचार पर कसा शिकंजा,, 🔷 “राज्य को लूटने वालों को छोड़ा नहीं जाएगा” – सीएम का ऐलान

इन्तजार रजा हरिद्वार -🔷 कालनेमियों के खिलाफ सख्त मुख्यमंत्री धामी,,
🔷 SIT के गठन का आदेश, भ्रष्टाचार पर कसा शिकंजा,,
🔷 “राज्य को लूटने वालों को छोड़ा नहीं जाएगा” – सीएम का ऐलान
देहरादून।
उत्तराखण्ड में भ्रष्टाचार और अनियमितताओं के खिलाफ मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का एक और बड़ा एक्शन सामने आया है। वर्षों से सरकारी तंत्र में गहरे पैठ बनाए बैठे तथाकथित ‘कालनेमियों’ पर मुख्यमंत्री ने सीधी चोट करते हुए विशेष जांच दल (SIT) के गठन के आदेश दे दिए हैं। मुख्यमंत्री ने स्पष्ट कहा कि राज्य को लूटने वाले किसी भी व्यक्ति को बख्शा नहीं जाएगा, चाहे वह कोई भी पदधारी क्यों न हो।
मुख्यसेवक धामी ने यह ऐलान करते हुए कहा कि सरकार पारदर्शिता और जवाबदेही के सिद्धांतों पर चल रही है। जिन लोगों ने वर्षों तक योजनाओं, संसाधनों और पदों का दुरुपयोग कर राज्य को आर्थिक रूप से कमजोर किया है, उनके खिलाफ अब निर्णायक कार्यवाही होगी।
राज्यहित में कठोर निर्णय:
मुख्यमंत्री कार्यालय से जारी निर्देश में कहा गया है कि SIT को तीन प्रमुख जिम्मेदारियां सौंपी गई हैं:
- विगत 10 वर्षों में हुए प्रमुख घोटालों और आर्थिक अनियमितताओं की दोबारा जांच।
- उन अधिकारियों/ठेकेदारों की पहचान करना जिन्होंने फर्जी दस्तावेज़ों, नियम विरुद्ध निर्णयों या राजनीतिक संरक्षण से अनुचित लाभ उठाया।
- दोषियों के विरुद्ध तेज़ गति से कार्रवाई कर चार्जशीट दाखिल करना।
“अब कोई भी अछूता नहीं रहेगा” – सीएम धामी
सीएम धामी ने कहा, “जो लोग खुद को व्यवस्था से ऊपर समझ बैठे थे, अब उन्हें जवाब देना होगा। जनता के धन का दुरुपयोग करने वालों की जगह अब या तो सलाखों के पीछे होगी या कानून के शिकंजे में।”
कई विभागों में खुल सकती हैं परतें:
सूत्रों के अनुसार, प्रारंभिक जांच में निर्माण, खनन, भूमि रूपांतरण, मनरेगा, सामाजिक कल्याण योजनाएं, ट्रांसफर-पोस्टिंग और शिक्षा विभाग में व्यापक गड़बड़ियों के संकेत मिले हैं। SIT इन्हीं विभागों को प्राथमिकता में लेकर जांच शुरू करेगी।
जनता को भरोसा – अब न्याय मिलेगा
प्रदेश की जनता ने मुख्यमंत्री के इस निर्णय का स्वागत करते हुए कहा कि वर्षों से कई ‘अदृश्य ताकतों’ ने राज्य में भ्रष्टाचार का जाल बिछा रखा था। SIT के गठन से अब उम्मीद जगी है कि असली दोषियों तक कानून की पहुंच होगी।
मुख्यमंत्री का यह कदम साफ दर्शाता है कि उत्तराखण्ड अब ईमानदारी, पारदर्शिता और जवाबदेही के नए युग में प्रवेश कर चुका है, जहां ‘कालनेमियों’ की नहीं बल्कि जनता की चलेगी।